वो गेंदबाज जिसने टीम इंडिया के क्रिकेटर संदीप पाटिल के कान पर बाउंसर मारी, फिर हताश होकर लिया रिटायरमेंट

Updated: Sat, Sep 07 2024 16:00 IST
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क्रिकेट की दुनिया में इस खबर पर बड़ी हैरानी जाहिर की गई कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर विल पुकोवस्की (Will Pucovski) मेडिकल वजह से, सिर्फ 26 साल की उम्र में क्रिकेट से रिटायर हो गए। पुकोवस्की का करियर उनकी बल्लेबाजी की टेलेंट की चर्चा से शुरू हुआ पर उसके बाद तो बार-बार सिर पर चोट और हॉस्पिटल बस यही उनके नाम के साथ जुड़ गए। यहां तक कि 2021 का सिडनी में भारत के विरुद्ध उनका शानदार डेब्यू भी सब भूल गए। आखिर में मेडिकल पैनल ने भी कह दिया कि सिर अब कोई और चोट खाने की हालत में नहीं है। क्रिकेट में, चोट के कारण रिटायर होने की सबसे चर्चित मिसाल है ये। 

यहां तो जिस बल्लेबाज के सिर पर गेंद लगी वह रिटायर हुआ पर क्रिकेट में एक अनोखी मिसाल ऐसी भी है जब वह गेंदबाज, जिसकी गेंद, बल्लेबाज के सिर पर लगी, वह उस चोट को देखकर इतना हताश हुआ कि रिटायर हो गया। ये क्रिकेट की सबसे अजीब स्टोरी में से एक है और भारत के क्रिकेट प्रेमियों के लिए ख़ास भी क्योंकि वह बल्लेबाज भारत का था। 

सीधे चलते हैं 1980-81 के भारत के ऑस्ट्रेलिया टूर पर। सिडनी में पहले टेस्ट में ही भारत की पारी से हार के साथ-साथ, इस टेस्ट की सबसे ख़ास खबर थी पेसर लेन पास्को (Len Poscoe) का एक बाउंसर संदीप पाटिल के सिर के करीब, कान पर लगा। उन्हें हॉस्पिटल ले गए पर इस बुरी चोट के बावजूद संदीप पाटिल ने उस पारी में आगे भी बल्लेबाजी की। उनकी इस हिम्मत और आगे इस सीरीज में क्या किया वह एक अलग स्टोरी है। सिडनी में तब, संदीप पाटिल के सिर पर बंधी बेंडेज ने पास्को का दिल दहला दिया। उस पर कमाल ये कि टेस्ट के दौरान ही, जब दोनों का आमना-सामना हुआ तो संदीप पाटिल ने, जो हुआ उसके लिए माफी मांगी- 'लेनी, गलती मेरी थी कि मैं ही अपना सिर गेंद के रास्ते में ले आया।' 

तब लगभग 32 साल के थे पास्को, एक गजब के और कामयाब गेंदबाज पर इस घटना ने ऐसा हिला दिया कि 3 टेस्ट बाद ही ये तय कर लिया कि जिस खेल में मरने की नौबत आ जाए- वह नहीं खेल सकते। ऐसी तेज गेंदबाजी किस काम की? अचानक ही रिटायर हो गए। ठीक है कि ये फैसला पूरी तरह से महज इस एक किस्से की वजह से नहीं लिया पर ये भी तय है कि वे बल्लेबाज को बार-बार लगने वाली चोट से अंदर से हिल चुके थे और इस किस्से ने उन्हें ऐसे फैसले पर मजबूर कर दिया। 

अब जब पास्को की बात कर ही रहे हैं तो आपको बता दें कि वे और जेफ थॉमसन (Jeff Thomson) बैंकस्टाउन में एक ही स्कूल में थे और दोनों ऐसे कमाल के तेज गेंदबाज कि 16-17 साल की उम्र में तो फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल रहे थे। बैंक्सटाउन ओवल में, फ्लैट पिच पर भी उनके सामने बल्लेबाजों की हालत ये होती थी कि लोकल बैंकस्टाउन हॉस्पिटल में, मैच के दिनों में एक वार्ड को 'थॉमसन-पास्को वार्ड' का नाम दे देते थे क्योंकि हर थोड़ी देर बाद, मैच से, कोई न कोई आता रहता था- टूटी उंगलियां, टूटे हाथ, टूटी पसलियां और ये दोनों इसके जिम्मेदार होते थे। ये दोनों पेसर न सिर्फ एक ही पंचबाउल बॉयज़ हाई स्कूल (Punchbowl Boys High School) से थे, एक ही क्लास में थे और साथ-साथ बैठते थे। दोनों ने मिलकर टेस्ट क्रिकेट में 264 विकेट लिए। 

अब जब लेन पास्को का बाउंसर संदीप पाटिल के सिर पर लगने की बात हो रही है तो उस सिडनी टेस्ट में उनके खेलने का नजारा भी बता दें। तब टीम इंडिया के कप्तान सुनील गावस्कर थे। वे मुंबई के और संदीप भी मुंबई के। टूर से पहले ही संदीप पाटिल ने अपना डर गावस्कर को बता दिया- 'क्या मैं इन तेज़ गेंदबाजों का सामना कर पाऊंगा?' उन्हें अंदाजा था कि इस सवाल का सुनील गावस्कर से बेहतर जवाब कोई नहीं देगा। गावस्कर ने मूल मंत्र दिया- आंखें खुली रहेंगी तो उन्हें खेल लोगे। 

सिडनी में अटैक में डेनिस लिली, रॉडनी हॉग और लेन पास्को थे और 4 विकेट जल्दी गिरने पर, टी इंटरवल के करीब संदीप पाटिल बैटिंग के लिए आए और स्कोर 70 था। ऐसे गेंदबाज और वे उन्हें खेलने आ गए बिना हेलमेट। ब्रेक से पहले की, रॉडनी हॉग की आखिरी गेंद संदीप की गर्दन पर लगी और वहीं गिर गए। जैसे ही टी के लिए ड्रेसिंग रूम में दाखिल हुए तो ड्रेसिंग रूम में एक सरप्राइज विजिटर आ गए- और कोई नहीं सर गारफील्ड सोबर्स और उन्होंने ख़ास तौर पर सदीप पाटिल को दिखाई हिम्मत के लिए शाबाशी भी दी! 

ड्रेसिंग रूम में अब सभी ने संदीप पाटिल से कहा हेलमेट पहन लो। वे फिर से सुनील गावस्कर से सलाह करने चले गए और जवाब मिला- खुद पर विश्वास करो और किसी की बातों पर ध्यान न दो। आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि टीम इंडिया की हालत ये थी कि अगर संदीप पाटिल तब हेलमेट पहनना भी चाहते, तो कोई हेलमेट था भी नहीं वहां। वे फिर से बिना हेलमेट खेलने गए और सामने थे लेन पास्को।

कई साल बाद संदीप पाटिल ने बताया कि किसी भी खिलाड़ी से गलती तब होती है जब दुविधा में हो। ब्रेक के दौरान जो अलग-अलग सलाह मिली, उसने उन्हें भ्रम में डाल दिया।  पास्को की पहली गेंद- बाउंसर। वे दो मन में फंस गए- रास्ते से हटूं या झुक जाऊं? इसी में फंस गए और गेंद सीधी बाएं कान पर जा लगी। वे बेहोश हो गए। उन्हें बस इतना नजर आया कि ग्रेग चैपल और रॉडनी हॉग उनकी मदद के लिए भागे, कुछ मिनट बाद असिस्टेंट मैनेजर बापू नाडकर्णी और डॉक्टर सेंथिल को भी मदद करते देखा। संदीप पाटिल को आज भी याद है- बापू नाडकर्णी उनसे पूछ रहे थे कि क्या दर्द हो रहा है? तब टीम में योगराज सिंह (युवराज सिंह के पिता) भी थे और वे कह रहे थे- ऐ सैंडी कुछ नहीं हुआ!

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- चरनपाल सिंह सोबती

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