टेस्ट शुरू हो गया और टीम इंडिया के एक क्रिकेटर को 800 किलोमीटर दूर, टेस्ट में खेलने के लिए ढूंढ रहे थे
न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच इंग्लैंड में सीरीज का लॉर्ड्स में पहला टेस्ट- उस टेस्ट की शुरुआत ही एक अजीब घटना से हुई थी। इंग्लैंड के खब्बू स्पिनर, लीच को सिर्फ 6 ओवर के खेल के अंदर ही टेस्ट से बाहर होना पड़ा। एक गेंद को बॉउंड्री तक पहुंचने से रोकने के चक्कर में ऐसी चोट (सिर बाउंड्री कुशन से टकरा गया) खाई कि बाकी के टेस्ट के लिए बाहर। मजबूरी में लेंकशायर के लेग स्पिनर मैट पार्किंसन को टीम में लेना पड़ा और वे इंग्लैंड के पहले कंकशन रिप्लेसमेंट बन गए।
ऐसा तो पहले भी हो चुका है- तो इसमें ख़ास बात क्या है? दो बातें ख़ास हैं। पहली- मैट पार्किंसन ऐसे दूसरे क्रिकेटर हैं जिसने अपना टेस्ट डेब्यू ही कंकशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर किया। दूसरी- मैट पार्किंसन तो टीम में भी नहीं थे। जब उन्हें टेस्ट के लिए बुलाने का फैसला लिया तो वे तो मैनचेस्टर में लगभग 320 किलोमीटर दूर अपने घर पर बारबेक्यू कर रहे थे। इतनी दूर बैठे खिलाड़ी को बुलाने का मतलब है उसका कई घंटे इंतजार और इस दौरान उसके बिना खेलना। तो मैट पार्किंसन ही क्यों, वे स्टेडियम कब और कैसे पहुंचे और उन्होंने टेस्ट में क्या किया- ये एक अलग स्टोरी है।
पता नहीं क्यों, इस घटना पर, किसी को भी, भारत का एक किस्सा याद क्यों नहीं आया। तब भी लगभग ऐसा ही हुआ था और मीलों दूर के खिलाड़ी को बुला लिया- बस अंदाज अलग था। चलिए भारत बनाम पाकिस्तान 1983 टेस्ट के लिए सीधे नागपुर चलते हैं। 5 अक्टूबर,1983- टेस्ट का पहला दिन। :
उन दिनों मोहिंदर अमरनाथ गजब की फार्म में थे पर इस टेस्ट के लिए फिट नहीं थे- आख़िरी मिनट तक उन्हें फिट करने की कोशिश हुई। जब तय हुआ कि वे नहीं खेल पाएंगे तो टेस्ट शुरू होने में ज्यादा समय नहीं बचा था। अफरा- तफरी तो मची पर मालूम था कि उनकी जगह रोजर बिन्नी खेल लेंगे- वे भी उन दिनों अच्छी फार्म में थे।
ऐसे में, पता नहीं कहां से संदीप पाटिल का नाम उछल पड़ा और ऐसा उछला कि तय हो गया कि वे खेलेंगे। टीम घोषित हो गई और वे संदीपं पाटिल टीम में थे जो स्टेडियम में मौजूद टीम का हिस्सा होना तो दूर नागपुर में भी नहीं थे। वे तो लगभग 840 किलो मीटर दूर मुंबई में थे। वह मोबाइल फ़ोन का युग नहीं था कि एकदम खिलाड़ी को ढूंढ लिया।
संदीप के घर फ़ोन किया तो वे घर पर नहीं। अब दो एक्सरसाइज शुरु हो गईं- घर वाले उन्हें ढूंढने में लग गए और बोर्ड अधिकारी संदीप पाटिल को जल्दी से जल्दी नागपुर से मुंबई पहुंचाने के इंतजाम में। 800 किलो मीटर से ज्यादा की दूरी कोई मजाक नहीं होती। इस दूरी को देखकर ही, उन्हें चुनने के फैसले पर तरस आने लगा था। ये भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े रहस्य में से एक है कि संदीप पाटिल तब टीम में आए कैसे? ऑफिशियल घोषणा ये थी कि टीम ने एकमत होकर कहा कि संदीप पाटिल की जरूरत है पर कप्तान कपिल देव और सीनियर क्रिकेटर सुनील गावस्कर दोनों ने कई साल बाद कहा- ऐसा कुछ नहीं हुआ था और टीम पर तो उन्हें थोप दिया था।
जब ये लगा कि संदीप पाटिल के जल्दी पहुंच पाने के कोई आसार नहीं तो नागपुर के सबसे प्रभावशाली नेता काम आए। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के स्टेट प्लेन का इंतजाम करा दिया। सांताक्रुज एयरपोर्ट पर प्लेन तैयार पर संदीप पाटिल तब तक गायब थे। इस बीच घर वालों ने संदीप पाटिल को ढूंढ लिया था। वे, जहां थे वहां से सीधे एयरपोर्ट पहुंचे- घर वालों ने उनकी किट सीधे एयरपोर्ट पहुंचाई। इस सब के बावजूद, जब वे नागपुर में स्टेडियम पहुंचे तो दिन का खेल खत्म होने के करीब था। दो बातें अच्छी हुईं- कपिल देव ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी को चुना और बरसात ने काफी देर खेल नहीं होने दिया। इसलिए संदीप पाटिल की तब तक जरूरत नहीं पड़ी थी।
पहले दिन का खेल रुका तो गावस्कर और यशपाल शर्मा क्रीज पर थे और स्कोर 2 विकेट पर 92 रन था। संदीप पाटिल को पूरे दिन की भागम-भाग के बाद रात का आराम मिला पर इस ड्रा रहे टेस्ट में संदीप पाटिल ने 6 और 26 के स्कोर बनाए। जो ऐसी जल्दबाजी में टीम में शामिल किया जाएगा- वह और क्या करेगा?