2 बार IPL जीतने वाले रजत भाटिया ने क्रिकेट से लिया संन्यास, कहा-सचिन का विकेट याद रहेगा
नई दिल्ली, 29 जुलाई| भारत के अनुभवी घरेलू खिलाड़ी रजत भाटिया ने बुधवार को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया और इसी के साथ अपने 20 साल के करियर को अलविदा कह दिया।
भाटिया ने आईएएनएस से कहा, "हां, मैंने सुबह ही क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का फैसला किया है। मैंने बीसीसीआई को और डीडीसीए को मेल भेजकर इस बात की जानकारी दे दी है।"
हरफनमौला खिलाड़ी भाटिया ने 112 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 6,482 रन बनाए और 137 विकेट लिए। वह 2008 में रणजी ट्रॉफी जीतने वाली दिल्ली की टीम का हिस्सा थे और उन्होंने फाइनल में उत्तर प्रदेश के खिलाफ नाबाद 139 रनों की पारी खेली थी। लिस्ट-ए में उन्होंने 119 मैच खेले और 3038 रन बनाए तथा 93 विकेट भी लिए।
इस हरफनमौला खिलाड़ी ने अपना आखिरी मैच ढाका प्रीमियर डिविजन क्रिकेट लीग में मोहम्मदेन स्पोर्टिग क्लब के लिए 2018-19 में खेला था।
भाटिया ने कहा, "मैं सितंबर 2019 में संन्यास लेने वाला था, क्योंकि मैं पिछले साल घरेलू क्रिकेट नहीं खेल रहा था। लेकिन मैंने सोचा कि मैं बांग्लादेश में पेशेवर क्रिकेट खेल रहा हूं तो थोड़ा इंतजार कर सकता हूं, लेकिन फिर चीजें बदलीं और मुझे पता चला कि वह अब और कोई पेशेवर खिलाड़ी नहीं ले रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "इसलिए मुझे लगा कि यह संन्यास लेने का सबसे सही समय है, क्योंकि यह मेरे लिए विशेष दिन है, आज मेरी बेटी का जन्मदिन है। इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं उस दिन यह फैसला लेता हूं जिसे मैं याद रख सकूं।"
दिल्ली के रहने वाले भाटिया ने आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए भी खेला था, लेकिन वह गौतम गंभीर की कप्तानी वाली कोलकाता नाइट राइडर्स का अहम हिस्सा रहे। वह दो बार आईपीएल जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे। वह 2008 में खिताब जीतने वाली राजस्थान रॉयल्स और 2012 में खिताब जीतने वाली कोलकाता का हिस्सा थे।
लंबे समय तक घरेलू क्रिकेट खेलने के बाद भी वह कभी भी राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं बना सके।
भाटिया से जब अपने करियर के सबसे विशेष पल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "निजी तौर पर मैं हमेशा आईपीएल में सचिन तेंदुलकर का विकेट लेना याद रखूंगा।"
भविष्य की रणनीति के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैं बायोमैकेनिक विशेषज्ञ की ट्रेनिंग कर रहा हूं, मैं बीते तीन साल से यह कोर्स कर रहा हूं। मैंने इस तरह की ट्रेनिंग में निवेश इसलिए किया क्योंकि यह अलग तरह की है। मुझे लगता है कि यह करनी चाहिए क्योंकि यह हर खेल से जुड़ी हुई है और मैं क्रिकेट को कुछ वापस देना चाहता हूं।"
भाटिया ने साफ कहा कि वह कोच नहीं बनना चाहते, लेकिन मौका मिला तो वह युवा खिलाड़ियों के साथ अपना अनुभव साझा करना चाहेंगे।