1978 में इतिहास बना जब भारत ने महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में डेब्यू किया और इसकी मेजबानी भी की

Updated: Tue, Sep 23 2025 10:39 IST
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ICC Women's Cricket World Cup: भारत में आयोजित हो रहे आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 में कई नए रिकॉर्ड बनेंगे। हालांकि अभी तक भारत ने कभी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप नहीं जीता है, लेकिन इसके आयोजन का सफ़र आगे बढ़ाने में भारत का योगदान बड़ा ख़ास है। देखिए कुछ ख़ास पड़ाव:

* इस बार का 50 ओवर वर्ल्ड कप,  2016 के बाद से भारतीय उपमहाद्वीप में आयोजित हो रहा पहला सीनियर आईसीसी महिला टूर्नामेंट है (उस साल भारत ने आईसीसी महिला T20 वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी)।

* भारत इससे पहले 1978, 1997 और 2013 में महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी कर चुका है और इस तरह 2025 में चौथी बार इस आयोजन के मेजबान हैं। ऐसा रिकॉर्ड और किसी देश के नाम नहीं। 

*अब तक खेले 12 महिला वर्ल्ड कप, 5 देश में आयोजित हुए हैं: भारत, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड में तीन-तीन बार, ऑस्ट्रेलिया में दो बार और दक्षिण अफ्रीका में एक बार। 

* इस बार पाकिस्तान के खेलने की वजह से, भारत और पाकिस्तान के बीच हाइब्रिड मॉडल में मैच खेलने की पॉलिसी के तहत, श्रीलंका को भी मेजबान के तौर पर जोड़ा गया।

भारत में आयोजित पिछले तीनों महिला वर्ल्ड कप में से हर एक के साथ आयोजन से जुड़े कई दिलचस्प किस्से हैं। 1978 इनमें से ख़ास है क्योंकि पहली बार महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप भारत आया और उसी साल भारत ने महिला वर्ल्ड कप में डेब्यू भी किया। 1973 तक, वूमंस क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया बन चुकी थी (प्रेजिडेंट: प्रेमिला बाई चव्हाण) तब भी उस 1973 के पहले वर्ल्ड कप में टीम न खेल पाई थी। 

सच्चाई ये है कि एसोसिएशन तो बन गई लेकिन देश में महिला क्रिकेट का ढांचा अभी भी पूरी तरह नहीं बन पाया था और संसाधन, अनुभव और पैसा सब कम थे।  ऐसे में, 1978 के महिला वर्ल्ड कप की मेजबानी एक बड़ी ख़ास उपलब्धि थी। ये टूर्नामेंट 1 से 13 जनवरी तक राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में देश के चार शहरों में खेले थे। 

टीम: दक्षिण अफ्रीका का तो उनकी रंग-भेद पॉलिसी के तहत खेलों में बहिष्कार चल रहा था, इसलिए उन्हें खेलने नहीं बुलाया। तब भी 6 टीम- भारत (मेजबान), ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और नीदरलैंड  को खेलना था लेकिन सिर्फ ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की ही टीम आईं। नीदरलैंड और वेस्टइंडीज दोनों ने खर्चे के लिए पैसे की तंगी के कारण नाम वापस ले लिया।

इस तरह वर्ल्ड कप में खेलने के लिए सिर्फ 4 टीम बची थीं और इतनी कम टीम के होने से एक बार तो ये भी सोच लिया था कि वर्ल्ड कप का आयोजन रद्द कर दें। तब इंटरनेशनल वूमंस क्रिकेट काउंसिल ने सपोर्ट किया। यह पहला और आखिरी ऐसा वर्ल्ड कप था जब 4 टीम ने टूर्नामेंट में हिस्सा लिया।

डायना एडुल्जी इस वर्ल्ड कप में भारत की टीम की कप्तान थीं। भारत के मैचों का नतीजा इस तरह रहा:

* विरुद्ध इंग्लैंड:  9 विकेट से करारी हार।

* विरुद्ध न्यूजीलैंड: 9 विकेट से एक और हार। 

* विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया: इस बार 151 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 71 रन से हार।  

उस साधारण शुरुआत से अब  भारतीय महिला टीम, इस समय खेल रही सबसे मजबूत टीम में से एक है और इस बार वर्ल्ड कप टाइटल के दावेदारों में से एक। इसी तरह, आयोजन के मामले में भी भारत में अब बहुत बदलाव आ चुका है।

आपको ये भी बता दें कि मूलतः 1978 का महिला वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका में खेलना था लेकिन रंगभेद पॉलिसी के विरोध में चल रहे खेल बहिष्कार की वजह से ये मौका उनके हाथ से निकल गया। भारत में खेले उस वर्ल्ड कप की एक और हैरान करने वाली लेकिन हौसला बढ़ाने वाली बात ये थी कि ज़्यादातर मैचों में अच्छी-खासी भीड़ उमड़ी। टूर्नामेंट का सबसे ख़ास मैच 13 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेले। ये आखिरी लीग मैच उन दो टीम के बीच था जो अब तक टूर्नामेंट में अपराजित थीं।  इस तरह से ये किसी फाइनल जैसा ही था। ऑस्ट्रेलिया 7 विकेट से जीत के साथ चैंपियन बना। हैदराबाद के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में खेले इस मैच को देखने हज़ारों की भीड़ स्टेडियम में थी। तब मैच कोलकाता, जमशेदपुर और पटना में भी खेले थे। 

सीनियर स्पोर्ट्स लेखिका शारदा उग्रा ने अपने एक आर्टिकल में लिखा, 'चूंकि भारत में 1987 में पहली बार पुरुष वर्ल्ड कप खेले इसलिए लोगों को ये याद ही नहीं रहता कि महिला वर्ल्ड कप तो उससे भी पहले आयोजित हो गया था। वे पुरुषों की तुलना में कहीं आगे थीं। खेलों में महिलाओं की उपलब्धियों को, ठीक वैसे ही जैसे हम महिला साइंटिस्ट के मामले में देखते हैं, कभी सही पहचान और मान्यता नहीं मिली है। वे ऑफिशियल तौर पर बेहतर मान्यता की हकदार हैं, सिर्फ ज्यादा पैसा नहीं चाहिए, खेल के इतिहास में भी उनके नाम को सही सम्मान मिलना चाहिए।' वे गलत नहीं हैं।

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चरनपाल सिंह सोबती

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