टीम इंडिया, दक्षिण अफ्रीका में 26 दिसंबर से पहला टेस्ट खेलेगी- 26 दिसंबर से ही क्यों?

Updated: Sat, Dec 11 2021 12:26 IST
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बदलते हालात में, क्रिकेट साउथ अफ्रीका ने टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीका टूर 2021-22 का नया प्रोग्राम बना दिया- सीरीज, जो पहले 17 दिसंबर से शुरू होनी थी, अब 26 दिसंबर से शुरू होगी और उस दिन से पहला टेस्ट सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में खेला जाएगा। सीरीज में टी 20 इंटरनेशनल हट गए पर जो टेस्ट 26 दिसंबर से शुरू होना था- उसकी तारीख नहीं बदली। ऐसा क्या ख़ास है 26 दिसंबर की तारीख में?

इतना ही नहीं, उस दिन तो एशेज सीरीज का तीसरा टेस्ट भी मेलबर्न में शुरू होगा। सिर्फ इसी साल नहीं, हर साल कोशिश होती है इस तारीख से टेस्ट खेलने की- 2020 में तो 26 दिसंबर को तीन टेस्ट शुरू हुए थे (ऑस्ट्रेलिया- भारत मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में, न्यूजीलैंड- पाकिस्तान बे ओवल, माउंट माउंगानुई में और सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क में दक्षिण अफ्रीका- श्रीलंका)।अगर आपने ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से आ रही रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ा हो तो नोट किया होगा कि इन टेस्ट को बॉक्सिंग डे टेस्ट लिखा जा रहा है। क्या है ये बॉक्सिंग डे और इसका क्रिकेट से क्या नाता है?

बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच (Boxing Day Test) को वास्तव में पहचान मिली ऑस्ट्रेलिया में। कई जगह तो यहां तक लिखा है कि 26 दिसंबर से मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया में खेले जाने वाले ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट टेस्ट को बॉक्सिंग डे टेस्ट कहते हैं। वहां टेस्ट से भी पहले, विक्टोरिया- न्यू साउथ वेल्स शेफ़ील्ड शील्ड मैच को एमसीजी में खेलने का सिलसिला शुरू किया गया था (पहली बार 1865 में) पर इससे खिलाड़ी अपने परिवार के साथ क्रिसमस नहीं मना पा रहे थे और ये परंपरा रोक दी गई।

रिकॉर्ड के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में वह पहला टेस्ट जिसे बॉक्सिंग डे टेस्ट कहा गया 1950 में खेला गया था पर वास्तव में वह टेस्ट मेलबर्न में 22 से 27 दिसंबर तक खेला गया था और उसमें चौथे दिन का खेल बॉक्सिंग डे कहा गया। 1950 से 1975 तक सिर्फ 5 ऐसे टेस्ट खेले गए जिन्हें बॉक्सिंग डे टेस्ट कहा गया। सच ये है कि 1980 से मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट शुरू करने पर सहमति हुई और तब से ऑस्ट्रेलिया नियमित इस परंपरा को निभा रहा है।

वास्तव में, क्रिसमस के एक दिन बाद, 26 दिसंबर को यूनाइटेड किंगडम,ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा सहित कई कॉमनवेल्थ देशों में बॉक्सिंग डे के तौर पर मनाया जाता है। यहां 'बॉक्सिंग' शब्द रिंग में मुकाबले का प्रतीक नहीं- बॉक्स का प्रतीक है। चर्च में या अमीर, क्रिसमस के मौके पर जरूरतमंदों को जो गिफ्ट 'बॉक्स' देते थे उन्हें, क्रिसमस के दिन काम करने के बाद, इस दिन खोला जाता था और ये बॉक्सिंग डे बन गया।

इसे घोड़ों के पैट्रन सेंट स्टीफन के पर्व के तौर पर भी मानते है। इस मौके पर दिन में कई खेल आयोजन भी होते थे- इसलिए ये दिन खेलों से भी जुड़ गया और क्रिकेट ने इसे सबसे चर्चित बना दिया। इसी की देखा देखी दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड ने भी 26 दिसंबर से टेस्ट खेलने की परंपरा शुरू कर दी और इन टेस्ट को भी बॉक्सिंग डे टेस्ट कहा जाने लगा। उस दिन खेलों के लिए खूब उत्साह देखा जाता है। इसीलिए मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में दर्शकों की मौजूदगी के उस दिन के कई रिकॉर्ड हैं- रिकॉर्ड 91112 दर्शक स्टेडियम में थे 2013 में इंग्लैंड के टेस्ट के दौरान। इसकी एक वजह ये भी है कि उस दिन छुट्टी रहती है।

दक्षिण अफ्रीका ने 26 दिसंबर 1992 से वह टेस्ट खेले जिन्हें बॉक्सिंग डे टेस्ट कहा- वैसे वहां 1913 और 1961 में भी 26 दिसंबर से टेस्ट शुरू होने का रिकॉर्ड है।अब चूंकि भारत की टीम दक्षिण अफ्रीका जा रही है तो सीधे दक्षिण अफ्रीका की बात करते हैं। इस साल सेंचुरियन में ऐसा टेस्ट खेलने से पहले- 1992,1996, 2006, 2010 और 2013 में भी भारत ने दक्षिण अफ्रीका में बॉक्सिंग डे टेस्ट खेला। रिकॉर्ड देखिए :

  • अब तक दक्षिण अफ्रीका में खेले 5 बॉक्सिंग डे टेस्ट में से भारत ने कोई भी नहीं जीता है - 4 में हार और एक ड्रा।
  • दक्षिण अफ्रीका पिछले लगातार 5 बॉक्सिंग डे टेस्ट (2016 से 2020) जीत चुका है।
  • वे वास्तव में 2009 के बाद से कोई बॉक्सिंग डे टेस्ट नहीं हारे हैं- उन्हें ऐसे टेस्ट में आज तक सिर्फ वेस्टइंडीज और इंग्लैंड ने ही एक- एक टेस्ट में हराया है।
  • जिस तरह ऑस्ट्रेलिया में तय है कि बॉक्सिंग डे टेस्ट मेलबर्न में खेलेंगे- दक्षिण अफ्रीका में ऐसा नहीं है। वहां पोर्ट एलिजाबेथ, डरबन, केपटॉउन और सेंचुरियन में ऐसे टेस्ट खेले जा चुके हैं।
  • इस बार भारत की टीम सेंचुरियन में बॉक्सिंग डे टेस्ट खेलेगी और 2018 से हर साल ये टेस्ट यहीं हो रहा है।

ये सब पढ़ते हुए क्या आप को ये ख्याल नहीं आया कि भारत, इतना बड़ा क्रिकेट देश और उस पर देश में कई बड़े त्यौहार- तो भारत में किसी ख़ास त्यौहार के मौके पर टेस्ट खेलने की परंपरा क्यों नहीं है? विश्वास कीजिए- भारत में भी ऐसी ही परंपरा थी पर वह एक अलग स्टोरी है।


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