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5 ऐसे मौके जब खिलाड़ियों ने मैदान पर बहाएं आंसू

क्रिकेट एक गेम है, लेकिन मैदान पर उतरने वाला खिलाड़ी सिर्फ खेलता नहीं क्रिकेट को फील करता है। ऐसे में कई मौके होते है जब खिलाड़ी अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पाते।

Nishant Rawat
By Nishant Rawat June 05, 2022 • 15:58 PM
Cricket Image for 5 ऐसे मौके जब खिलाड़ियों ने मैदान पर बहाएं आंसू
Cricket Image for 5 ऐसे मौके जब खिलाड़ियों ने मैदान पर बहाएं आंसू (Ab de Villiers)
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क्रिकेट के मैदान पर कई बार खिलाड़ियों को आंसू बहाते हुए देखा गया है। कई खिलाड़ियों ने खुशी में आंसू बहाएं वहीं कई खिलाड़ियों का दर्द आंसूओं के रूप में निकला। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताएंगे उन 5 किस्सों के बारे में जब खिलाड़ी मैदान पर अपने आंसू चाहकर भी नहीं रोक सके।

5. रॉस टेलर (2022)

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साल 2022, न्यूजीलैंड के दिग्गज बल्लेबाज़ रॉस टेलर अपना आखिरी वनडे मैच नीदरलैंड्स के सामने खेलने उतरे। इस मैच में वह अपने तीनों ही बच्चों को राष्ट्रगान के दौरान मैदान पर लेकर आए थे जिसके बीच वह काफी भावुक हो गए और लाख कोशिश के बावजूद भी अपने आंसूओं को छलकने से रोक नहीं सके। बता दें कि रॉस टेलर ने अपना पहला इंटरनेशलन मैच साल 2006 में खेला था।

4. साउथ अफ्रीका टीम (2015)

साल 2015, वर्ल्ड कप के दौरान सितारों से सज़ी साउथ अफ्रीका की टीम शानदार प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन सेमाफाइनल में उन्हें न्यूजीलैंड की टीम से हार का सामना करना पड़ा। यह मुकाबला आखिरी ओवर तक गया था, लेकिन एक बार फिर साउथ अफ्रीका वर्ल्ड कप जीतने से दूर रह गई। 

इस हार के बाद साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी दुख से टूटे नज़र आए और उन सब के आखों में आंसू थे।

3. युवराज और हरभजन (2011)

साल 2011, महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीता जिसके बाद खिलाड़ियों के इमोशन्स उभरकर सभी के सामने आए। 

इसी बीच भारतीय टीम के दो सितारे युवराज सिंह और हरभजन सिंह की भरी हुई आंखे लिए कैमरे में कैद हुईं। ये खुशी के आंसू थे, जो 28 साल बाद अपनी ही जमी पर वर्ल्ड कप जीतने के बाद छलक रहे थे।

2. इंजमाम उल हक (2007)

साल 2007, पाकिस्तान दिग्गज कप्तान और बल्लेबाज़ इंजमाम उल हक वर्ल्ड कप में अपना आखिरी वनडे इंटरनेशनल मैच खेल रहे थे। इस मैच में जिम्बावे के खिलाफ आउट होने के बाद वह पवेलियन लौटते समय आंसू बहाते नज़र आए। ये आंसू एक सफल करियर की खुशी में उनकी आंखो से निकले थे।

1. विनोद कांबली (1996)

साल 1996, भारतीय टीम श्रीलंका के खिलाफ सेमीफाइनल हार चुकी थी। भारतीय फैंस का गुस्सा टीम के खराब प्रदर्शन के कारण उबाल खा रहा था। लोगों के आक्रमक रवैये के कारण सेमीफाइनल पूरा किए बगैर ही श्रीलंका को जीता हुआ घोषित किया गया, जिसके बाद निराश और दुख में डूबे विनोद कांबली आंखों में दर्द लिए वापस पवेलियन लौटते दिखे।

श्रीलंका ने भारत को 252 रनों का टारगेट दिया था, जिसके जवाब में भारतीय टीम 8 विकेट खोकर सिर्फ 120 रन ही बना सकी थी, जिसके बाद मैच क्रोधित जनता के कारण श्रीलंका को जीता हुआ घोषित किया गया।

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