मुरलीधरन को अर्जुन राणातुंगा ने था बचाया, ऑस्ट्रेलिया ने घिनौनी कोशिश से कर ही दिया था करियर खत्म
मुथैया मुरलीधरन ने 133 टेस्ट मैच में 800 विकेट लिए वहीं मुरलीधरन के नाम 350 वनडे मैचों में कुल 534 विकेट दर्ज हैं। मुथैया मुरलीधरन के करियर को बचान में अर्जुन राणातुंगा का योगदान था।
मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) एक ऐसा गेंदबाज जो गेंद को जादू की तरह घूमाता था। टेस्ट और वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले मुथैया मुरलीधरन की कहानी काफी ज्यादा दिलचस्प है। मुथैया मुरलीधरन को अपने करियर के शुरुआती दिनों में जिन चीजों का सामना करना पड़ा उसके बारे में कल्पना करना भी आपको कंपा सकता है। ये बात बेहद कम लोग जानते हैं कि मुथैया मुरलीधरन का करियर बरबाद करने के लिए ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट ने घिनौनी चाल चली थी।
मुथैया मुरलीधरन इस कहानी में शामिल तो हैं लेकिन, वो इस कहानी के हीरो नहीं हैं। इस कहानी के हीरो हैं अर्जुन राणातुंगा जिन्होंने मुथैया मुरलीधरन को बचाने के लिए अपना पूरा करियर दांव पर लगा दिया था। कहानी है 1995 की मुथैया मुरलीधरन ने हाल ही में इंटरनेशनल क्रिकेट में प्रवेश किया था और डैरल हेयर अंपायरिंग कर रहे थे।
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उस वक्त एक नियम था कि गेंदबाज गेंदबाजी करते वक्त अपना हाथ झुका नहीं सकता है। लेकिन, इस बात को जज ऑनफील्ड अंपायर को ही करना रहता है। बस यहीं से शुरू हुआ था बवाल। डैरल हेयर ने मुरलीधरन के एक्शन को लेकर नो बॉल देना शुरू कर दिया। मुथैया मुरलीधरन कोई भी गेंद फेंकते डैरल हेयर नो बॉल दे देते।
दरअसल, नो बॉल दे देकर मुरलीधरन का करियर खत्म करने की कोशिश की जा रही थी। अर्जुन राणातुंगा जो उस वक्त श्रीलंका के कप्तान थे उन्होंने परेशान होकर मुरलीधरन को दूसरे छोर से गेंदबाजी करने के लिए कहा। इसपर अंपायर ने ये घोषित कर दिया कि भले ही वो अंपायरिंग ना कर रहे हों लेकिन, फिर भी वो नो बॉल तो देंगे ही।
मैच खत्म होने के बाद श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने अंपायर डैरल हेयर से बातचीत करने की कोशिश की लेकिन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने ऐसा नहीं होने दिया। इसके बाद अगले कुछ मैचों में जब दूसरे ऑस्ट्रेलियाई अंपायर आए तब उन्होंने भी मुथैया मुरलीधरन के साथ ठीक ऐसा ही किया मतलब उनकी हर बॉल को नो बॉल देना शुरू कर दिया।
दरअसल, हाथ मोड़ने वाला मुरली के एक्शन पर पहले बवाल था लेकिन, बाद में अंपायर ने उनके लेग ब्रेक पर भी नो बॉल बोलना शुरू कर दिया। कुछ साल बाद महान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन ने इन दोनों अंपायरों की अंपायरिंग को महाखराब अंपायरिंग कह डाला था।
मुरलीधरन के एक्शन को आईसीसी ने पूरी तरह से सही ठहरा दिया था। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड और मीडिया मुरलीधरन के एक्शन के पीछे ही पड़ गया था और उन्हें चकर तक कह डाला था। इसके बाद एक अन्य सीरीज में 1999 में एक बार फिर अंपायर थे ऑस्ट्रेलियाई एमरसन और उन्होंने मुरली की गेंदों को नो बॉल देना शुरू कर दिया।
आईसीसी के क्लियर कर देने के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई अंपायर द्वारा ऐसी अंपायरिंग देखकर अर्जुन राणातुंगा के सबर का बांध टूट गया। और वो अंपायर से भिड़ गए लेकिन, अंपायर एमरसन आईसीसी के नियमों तक को मानने के लिए तैयार नहीं थे जिसके बाद अर्जुन राणातुंगा ने विपक्षी टीम इंग्लैंड से हाथ मिलाया और पूरी श्रीलंका टीम को लेकर मैदान के बाहर जाने लगे।
मैच रेफरी जिसके बाद दौड़कर नीचे आए और ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका बोर्ड के साथ बातचीत करने के बाद अर्जुन राणातुंगा को ये समझाने की कोशिश की कि मुरली अब केवल लेग ब्रेक गेंद डाल सकते हैं और अंपयार एमरसन नो बॉल नहीं देंगे। लेकिन,अर्जुन राणातुंगा मानने को तैयार नहीं थे वो अड़ गए कि मुरली जैसे गेंद डालना चाहेगा वैसे डालेगा।
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अर्जुन राणातुंगा ने बेझिझक मुरली को अंपायर एमरसन के छोर से गेंदबाजी करने के लिए कहा। मानो वो कहना चाह रहे हों कि जो करना है कर लो देखता हूं कि आप मुरली को कैसे रोकते हो। अर्जुन राणातुंगा पर इसके बाद 6 मैच का बैन लगा दिया गया। अर्जुन राणातुंगा के इस रवैयै ने मुरलीधरन के करियर को बचा लिया और दुनिया को नायाब हीरा दिया।