'मेरी जिंदगी के सबसे लंबे 36 घंटे', सचिन तेंदुलकर ने उतारा था हेनरी ओलंगा का भूत
23 साल का युवा गेंदबाज सचिन तेंदुलकर का विकेट लेने के बाद उन्हें घूरकर देखता है। सचिन तेंदुलकर को गेंदबाज का ऐसा करना बिल्कुल भी पसंद नहीं आता और 36 घंटे बाद मास्टर ब्लास्टर गजब कर देते हैं।
बात है 1998 में खेले गए कोको-कोला कप की। जिम्बाब्वे के खिलाफ भारत की टीम 209 रनों के लक्ष्य को बचाने के लिए मैदान पर उतरी थी। हेनरी ओलंगा (Henry Olonga) भारतीय बल्लेबाजों पर कहर बनकर टूटे गांगुली और द्रविड़ को आउट करने के बाद उन्होंने सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को भी निपटा ही दिया था लेकिन अंपायर ने नो बॉल करार दे दी और सचिन को जीवनदान मिल गया। इसकी अगली ही गेंद उन्होंने बाउंसर फेंकी और फिर सचिन को आउट किया।
विश्व के सबसे महान बल्लेबाज को हेनरी ओलंगा ने 2 गेंद में 2 बार आउट कर सबको चौंका दिया। सचिन को आउट करने के बाद 23 साल के हेनरी ओलंगा बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गए और उन्होंने सचिन तेंदुलकर को गुस्से में घूरकर विकेट का जश्न मनाया। जोश-जोश में हेनरी ओलंगा द्वारा किया गया ये एक्शन उनको कितना भारी पड़ने वाला था इसका उन्हें शायद कोई अंदाजा नहीं था।
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हेनरी ओलंगा का सेलिब्रेशन देखकर सचिन तेंदुलकर बेहद खफा हो गए थे। इस टूर्नामेंट का फाइनल इस मैच के 36 घंटे बाद होना था सचिन के शब्दों में कहें तो ये उनकी लाइफ के सबसे लंबे 36 घंटे थे। पवेलियन में लौटते ही वो सीधा नेट्स में चले गए जहां उन्होंने जमकर शॉट बॉल खेलने का अभ्यास किया।
सचिन तेंदुलकर ने कई साल बाद एक इंटरव्यू में कहा कि हेनरी ओलंगा की उस शॉट बॉल ने और उस डिस्मिसल ने उन्हें रात भर जगाया था। फाइनल मुकाबले में जब सचिन और हेनरी ओलंगा फिर एक दूसरे के सामने आए तो गेंदबाज ने पहली ही गेंद उन्हें सरप्राइज बाउंसर मारी। इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने हेनरी ओलंगा के साथ जो कुछ भी किया वो किसी कत्ल से कम नहीं था।
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सचिन तेंदुलकर को देखकर ऐसा लगा कि मानो वो हेनरी ओलंगा से जंग लड़ने के लिए मैदान पर उतरे हों। सचिन तेंदुलकर ने इस मैच में अपने 50 रन महज 28 गेंद में पूरे किए थे। भारत एक भी विकेट गंवाए बिना 30 ओवर में उस मुकाबले को जीत गया था। कमेंटेटर को उस वक्त कहते सुना गया था कि अगर हेनरी ओलंगा गेंदबाजी करते रहेंगे तो हम सब जल्दी घर चले जाएंगे।
हेनरी ओलंगा महान सचिन तेंदुलकर से पिटने के बाद बेहद दुखी हो गए लेकिन, इस घटना से उन्होंने एक सीख ली। हेनरी ओलंगा ने फिर कभी अपनी लाइफ में किसी खिलाड़ी को आउट करने का बाद उस तरह का जश्न नहीं मनाया जैसा उन्होंने सचिन को आउट करने के बाद मनाया था।
हेनरी ओलंगा के बारे में बात करें तो 31 जनवरी 1995 जिम्बाब्वे क्रिकेट के लिए ऐतिहासिक दिन था क्योंकि ये वो दिन था जब उनके क्रिकेट इतिहास में पहली बार कोई ब्लैक व्यक्ति इंटरनेशनल टीम में सिलेक्ट हुआ था। जिम्बाब्वे में 99 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ब्लैक अफ्रीकी की है बावजूद इसके उनकी पूरी क्रिकेट टीम ब्रिटिश ओरिजिन के वाइट खिलाड़ियों से भरी हुई थी। हेनरी ओलंगा को महज 18 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का मौका मिला था।
हेनरी ओलंगा ने पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए उस मैच में पहले ही ओवर में विकेट झटका था लेकिन, इसके बाद चोटिल होकर वो मैच से बाहर हो गए। वहीं इसके बाद उनपर थ्रोइंग का आरोप लगा और वो इंटरनेशनल क्रिकेट से बैन हो गए। उन्हें उनका एक्शन ठीक करने के लिए कहा गया। 18 साल के हेनरी ओलंगा को उस वक्त जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने किसी भी देश में जाकर एक्शन पर काम करने के लिए कहा और उन्होंने एक्शन ठीक करने के लिए भारत का चुनाव किया।