1975 World Cup: 8 ओवर मेडन, 6 रन दिए और 1 विकेट, बिशन बेदी का वो जादुई स्पेल जो हमेशा याद रखा जाएगा
आज के भारत में क्रिकेट प्रेमियों की पीढ़ी जिन नाम से परिचित है उनमें से इस दुनिया को अलविदा कह रहे क्रिकेटरों की लिस्ट में सबसे नया नाम बिशन सिंह बेदी (Bishan Singh Bedi) का है। उनके बारे में बहुत
आज के भारत में क्रिकेट प्रेमियों की पीढ़ी जिन नाम से परिचित है उनमें से इस दुनिया को अलविदा कह रहे क्रिकेटरों की लिस्ट में सबसे नया नाम बिशन सिंह बेदी (Bishan Singh Bedi) का है। उनके बारे में बहुत कुछ लिखा जा रहा है पर क्रिकेट में उनका सबसे आसान परिचय- सबसे बेहतरीन खब्बू स्पिनरों में से एक, 67 टेस्ट में 28.71 औसत से 266 विकेट और कई साल तक टेस्ट में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट का रिकॉर्ड उनके नाम रहा। 10 वनडे इंटरनेशनल भी खेले और इस खबर को समय के वर्ल्ड कप के माहौल से जोड़ें तो इनमें 5 वर्ल्ड कप मैच थे जो वे 1975 और 1979 वर्ल्ड कप में खेले।
सब जानते हैं भारत के 1975 वर्ल्ड कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बारे में पर ये भी सच है कि अपने 3 में से 1 मैच में भारत ने जीत भी हासिल की थी। इसके बाद वर्ल्ड कप में अगला मैच 1983 में ही जीता था। 1975 वर्ल्ड कप उस दौर में खेले थे जब 'स्पिन चौकड़ी' (भागवत चंद्रशेखर, बिशन बेदी, इरापल्ली प्रसन्ना एवं श्रीनिवास वेंकटराघवन) ही भारत का अटैक थे- पेसर गेंद की चमक उतारने/स्पिनर रोटेट करने में मदद करते थे। तब भी वनडे क्रिकेट के बारे में जो चर्चा थी- उसे देखते हुए इनमें से बेदी और वेंकट ही वर्ल्ड कप टीम में लिए गए थे। इन दोनों के साथ जुड़ी फायदे वाली बात ये थी कि दोनों इंग्लिश क्रिकेट सीजन में वनडे खेल रहे थे और जानते थे कि वनडे क्रिकेट क्या होती है? ऐसा ही अनुभव रखने वाले टीम के तीसरे क्रिकेटर फारुख इंजीनियर थे।
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1975 वर्ल्ड कप में भारत के ख़राब खेलने के पीछे कई और ऐसी वजह भी हैं जो अब चर्चा में नहीं हैं। उदाहरण के लिए- बेदी के वनडे क्रिकेट खेलने के अनुभव के बावजूद उन्हें इंग्लैंड के विरुद्ध मैच में नहीं खिलाया। 60 ओवर वाले मैच थे तब और अटैक में मदन लाल, मोहिंदर अमरनाथ, आबिद अली ,करसन घावरी, वेंकट और एकनाथ सोलकर थे। इंग्लैंड ने 334-4 बनाए जो उस समय बहुत बड़ा स्कोर थे।
भारत ने बेदी को न खिलाने की गलती को ईस्ट अफ्रीका के विरुद्ध अगले मैच में सुधारा और यही वह मैच था जिसे भारत ने जीता। इसमें कोई शक नहीं कि ये टीम वास्तव में केन्या, युगांडा, तंजानिया और जाम्बिया के क्रिकेटरों से बनी 'खिचड़ी' थी पर आखिरकार वर्ल्ड कप खेल रहे थे।
लीड्स में ईस्ट अफ्रीका ने पहले बैटिंग की और 55.3 ओवर में सिर्फ 120 रन ही बनाए। उनकी इस दुर्दशा के लिए बेदी बहुत कुछ जिम्मेदार थे। अविश्वसनीय आंकड़े दर्ज किए- 12 ओवर, 8 ओवर मेडन, 6 रन दिए और 1 विकेट। ये आंकड़े आज तक सबसे कंजूस गेंदबाजी के लिए चर्चा में रहते हैं। देखिए तो-
* 72 गेंद के स्पेल में एक गेंदबाज के सबसे कम रन देने का रिकॉर्ड है ये (उनके बाद : रिचर्ड हेडली 10 रन, इसी टीम के विरुद्ध इसी वर्ल्ड कप में)।
* अगर 50 ओवर क्रिकेट को भी शामिल कर लें तो कम से कम 60 गेंद के स्पेल में प्रति ओवर सबसे कम रन देने के रिकॉर्ड में बेदी के 0.50 रन प्रति ओवर से बेहतर प्रदर्शन सिर्फ फिल सिमंस (0.30) का है- 1992 में सिडनी में पाकिस्तान के विरुद्ध 10 ओवर में सिर्फ 3 रन देकर 4 विकेट लिए थे।
* वर्ल्ड कप की बात करें तो इस संदर्भ में सबसे बेहतर रिकॉर्ड बिशन बेदी के ही नाम है।
* वर्ल्ड कप करियर रिकॉर्ड : 5 मैच, 360 गेंद, 148 रन देकर 2 विकेट। जो वर्ल्ड कप करियर में कम से कम 5 मैच खेले उनमें से सबसे बेहतर इकॉनमी रेट की लिस्ट में बेदी 2.47 के साथ तीसरे नंबर पर हैं पर वास्तव में शुद्ध गेंदबाजों में से उनका रिकॉर्ड सबसे बेहतर है- 0.00 इकॉनमी रेट दर्ज करने वाले मोहम्मद युसूफ ने 13 मैच में सिर्फ 1 गेंद फेंकी और 9 मैच खेल कर 2.22 का इकॉनमी रेट दर्ज करने वाले थिलन समरवीरा ने सिर्फ 12 गेंद फेंकी।
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अद्भुत थी बिशन सिंह बेदी की गेंदबाजी।