ऑस्ट्रेलिया को मात देकर श्रीलंका बना वर्ल्ड चैंपियन
वेस्टइंडीज को हैरतंगेज तरीके से पटखनी देकर ऑस्ट्रेलिया की टीम फाइनल में पहुंची थी तो वहीं श्रींलंका एक अधूरे मैच में
वेस्टइंडीज को हैरतंगेज तरीके से पटखनी देकर ऑस्ट्रेलिया की टीम फाइनल में पहुंची थी तो वहीं श्रींलंका एक अधूरे मैच में भारत को मात देकर फाइनल में पहुंचा था।
श्रींलंका के कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने टॉस जीतकर पहले फिल्डिंग करने का फैसला किया। मार्क वॉ हालांकि 12 रन बनाकर चमिंडा वास के शिकार बन गए थे पर रिकी पॉन्टिंग औऱ कप्तान मार्क टेलर ने श्रीलंका के कप्तान राणातुंगा के दांव की हवा निकाल दी। दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 101 रन की पार्टनरशिप कर श्रीलंका के सामने बड़े स्कोर की नींव रख दी थी। श्रीलंका के तेज गेंदबाजों ने पहले 13 ओवर में 72 रन लूटा दिए। टेलर और पॉन्टिंग की पारी श्रीलंका के लिए सर दर्द करने का काम करने लगी थी ऐसे में ऐन मौके पर अपने चाल से विपक्षी टीमों के हर पैंतरे को असफल करने के लिए जाने जाते थे कप्तान राणातुंगा ने 27वें ओवर में अरविंद डि सिल्वा से गेंदबाजी कराई। राणातुंगा के विश्वास को सही साबित करते हुए डि सिल्वा ने अपनी फिरकी के जाल में कंगारू कप्तान मार्क टेलर (74) को फंसाकर जयसूर्या के हाथों कैच करा श्रीलंका को बेशकिमती सफलता दिलाई। डि सिल्वा को पहली सफलता मिलते ही उनकी गेंदबाजी में पैनापन दिखाई देने लगा जिसका ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ठीक ढ़ंग से सामना करने में असमर्थ लगने लगे। पॉन्टिंग (45) को भी डि सिल्वा ने आउट कर श्रीलंका को मैच में वापसी करा दी थी। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज श्रीलंका के स्पिन आक्रमण डि सिल्वा, मुथ्थैया मुरलीधरण और सनथ जयसूर्या के सामने एक के बाद एक थोड़े – थोड़े अंतराल में पवेलियन का रूख करने लगे। आखरी पलों में माइकल वेवन की 30 गेंदों पर 36 रन की साहसिक पारी के चलते ऑस्ट्रेलियाई टीम 50 ओवर में 7 विकेट पर 241 रन का स्कोर खड़ा किया।
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पूरे टूर्नामेंट में श्रीलंका ने जो शानदार खेल दिखाया था उस हिसाब से श्रीलंका के लिए 50 ओवरों में 242 रन की चुनौती बड़ी नहीं थी, पर वर्ल्ड कप के इतिहास में दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम कभी भी मैच नहीं जीती थी जिससे कहीं ना कहीं श्रीलंका के बल्लेबाजों के ऊपर दबाव था।
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ऑस्ट्रेलिया अपने तेज गेंदबाजों और महान स्पिन गेंदबाज शेन वॉर्न के बलबूते फाइनल मैच को बचाने की कोशिश के तहत मैदान पर उतरा तो वहीं श्रीलंका के धाकड़ ओपनिंग जोड़ी जयसूर्या और कालूवितरना जो पूरे टूर्नामेंट में विरोधी गेंदबाजों का लाइन और लैंथ बिगाड़ने के लिए मशहूर हो गए थे उस रोज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी अटैक के सामने कुछ कमाल नहीं कर पाए और दोनों ओपनर 23 रन के अंदर श्रीलंका के ड्रेसिंग रूप की शोभा बढ़ा रहे थे।
अरविंद डि सिल्वा औऱ असंका गुरुसिंहा के सामने फाइनल मैच में श्रीलंका की चुनौती को बरकरार रखने की जिम्मेदारी थी। दोनों बल्लेबाजो ने स्थिरता पूर्ण पारी को आगे बढ़ाने की कोशिश की। असंका गुरुसिंहा ने विषम परिस्थति में हाफ सेंचुरी लगाकर श्रीलंका को जीत की ओर अग्रसर करने लगे। ऐसा नहीं कि ऑस्ट्रेलिया को भरपूर मौके नहीं मिले , जब असंका गुरुसिंहा 53 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे तो उसी पल उनका स्टुअर्ट लॉ ने कैच छोड़ दिया था । लेकिन गुरुसिंहा को 65 रन पर पॉल रिफ़्फ़ेल ने आउट कर ऑस्ट्रेलिया की उम्मीद जगा दी थी।
148 रन पर 3 विकेट गिरने के बाद कप्तान राणातुंगा क्रीज पर मौजूदा डि सिल्वा का साथ देने के लिए मैदान पर आए। यहां से मैच का अगला समीकरण शुरू हुआ एक और जहां ऑस्ट्रेलिया विकेटों की तलाश में रणनीतियों पर काम कर रहा था तो वहीं एक छोर पर अपने बल्ले से अरविंद डि सिल्वा ऑस्ट्रेलिया के हर एक रणनीति को तोड़ते हुए श्रीलंका को लक्ष्य के करीब पहुंचा रहे थे। खासकर फाइनल में डि सिल्वा ने अपने बल्ले से जो कारनामा किया वो वर्ल्ड कप के इतिहास में सुनहरों अक्षरों में दर्ज हो गया।
ऑस्ट्रेलियन कप्तान मार्क टेलर की कप्तानी का हर एक दाव बेअसर साबित होने लगा। अंतिम 10 ओवर में श्रीलंका को वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए सिर्फ 51 रनों की जरूरत थी। डि सिल्वा वर्ल्ड कप के इतिहास के फाइनल मैच में शतक लगाने वाले तीसरे बल्लेबाज बन गए थे । इससे पहले वेस्टइंडीज के क्लाइव रॉयड और विवियन रिचर्ड्सन ने ऐसा कारनामा कर पाए थे । डि सिल्वा ने 124 गेंद पर आकर्षक 107 रन बनाकर श्रीलंका का को पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनाने के सपने पर मोहर लगा दी। 47वें ओवर में मैकग्रा की तीसरी गेंद पर श्रीलंका के कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने थर्ड मैन की तरफ चौका जड़कर श्रीलंका को वर्ल्ड चैम्पियन बनाया।
अरविंद डि सिल्वा की ऑल राउंड परफॉर्मेंस ने श्रीलंका को इतिहास लिखने के लिए जितने शब्दों के नज्मों की जरूरत थी उसे पूरा कर दिया था। गेंदबाजी में 3 विकेट 42 रन देकर, बल्लेबाजी में शतक ठोक कर औऱ 2 कैच को अपने सुरक्षित हाथों में कैद कर डि सिल्वा ने शानदार खेल दिखाया था। फाइनल में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए अरविंद डि सिल्वा को मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था।
विशाल भगत/CRICKETNMORE