1983 वर्ल्ड कप : कमजोर टीम से वर्ल्ड चैंपियन बनने तक का सफर
1983 से पहले इंडिया का वर्ल्ड कप का सफर इतना अच्छा नहीं था। वर्ल्ड कप के पिछले दो सीजन में इंडिया ने केवल एक ही मैच जीता था,वह भी बेहद कमजोर मानी जाने वाली ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ। 1983 के
1983 से पहले इंडिया का वर्ल्ड कप का सफर इतना अच्छा नहीं था। वर्ल्ड कप के पिछले दो सीजन में इंडिया ने केवल एक ही मैच जीता था,वह भी बेहद कमजोर मानी जाने वाली ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ।
1983 के वर्ल्ड कप से पहले 9 सालों में इंडिया ने 6 कप्तानों की कप्तानी में 40 वन डे मैच खेले थे जिसमें से 28 मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा था। 1983 के वर्ल्ड कप में इंडियन टीम को काफी कमजोर माना जा रहा था।
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जब जिम्बाब्वे ने उलटफेर किया...
इस बेहद अहम टूर्नामेंट में टीम की कमान 24 साल के कपिल देव को सौंपी गई थी। कपिल ने इससे पहले 5 टेस्ट मैचों और 7 वन डे मैचों में टीम की कप्तानी करी थी। वर्ल्ड कप से कुछ ही महीने पहले सुनील गावसकर की जगह उन्हें कप्तानी सौंपी गई थी।
वेस्टइंडीज,ऑस्ट्रेलिया और जिम्बाब्वे के साथ इंडिया ग्रुप भी में था। लीग राउंड के 6 मैचों में से 4 मैच जीतकर इंडिया ने पहले सेमीफाइनल में और फिर फाइनल में अपनी जगह पक्की करी। फाइनल के सफर तक इंडिया ने कई रोमांचक मुकाबले खेले और क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीता। आइए हम नजर डालते हैं 1983 के वर्ल्ड कप मे टीम इंडिया के सफर पर
लीग स्टेज
9-10 जून इंडिया बनाम वेस्टइंडीज, ओल्ड ट्रैफोर्ड मैनचेस्टर
वर्ल्ड कप के लीग स्टेज में इंडिया ने अपना पहला मैच दो बार के वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला। इस मैच में इंडिया को मनोबल थोड़ा बढ़ा हुआ था क्योंकि इससे दो महीने पहले ही वन डे मैच इंडिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी पहली जीत हासिल करी थी। इंडिया ने इस मैच में दो दिन चले इस मैच में कुछ ऐसा कर दिखाया जिसके बारे में शायद ही किसी ने इस मैच से पहले सोचा होगा। शुरूआती दो वर्ल्ड कप की चैंपियन वेस्टइंडीज की यह वर्ल्ड कप इतिहास की पहली हार थी।
खराब मौसम के कारण देर से शुरू हुए मैच में इंडिया पहले बल्लेबाजी करने उतरी। 6 विकेट के लिए यशपाल शर्मा और रोजर बिन्नी की 73 रन की साझेदारी की बदौलत इंडिया ने इंडिया ने 60 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 262 रन बनाए थे। यह उस समय तक वर्ल्ड कप में इंडिया का सबसे बड़ा स्कोर था। यशपाल शर्मा ने 89 रन की बेहतरीन पारी खेली थी,उनके अलावा संदीप पाटिल ने 36 रन बनाए थे। खराब रोशनी के कारण पहले दिन अंपायरों को खेल रोकना पड़ा,तब तक वेस्टइंडीज 22 ओवरों में 2 विकेट के नुकसान पर 67 रन बना चुकी था।
दूसरे दिन की शुरूआत वेस्टइंडीज के लिए अच्छी नहीं रही और रोजर बिन्नी ने विवियन रिचर्ड्स को आउट कर बड़ा झटका दिया। एंडी रॉबर्ट्स और जोएल गार्नर ने दसवें विकेट के लिए 71 रन की साझेदारी करी जिसके ऐसा लगने लगा था कि मैच कहीं इंडिया के हाथों से मैच निकल ना जाए। 55वें ओवर की पहली बॉल पर रवि शास्त्री ने गार्नर को स्टम्प आउट करा कर इंडिया को शानदार जीत दिलाई थी, इंडिया ने यह मैच 34 रनों से जीता था। रोजर बिन्नी और रवि शास्त्री ने शानदार गेंदबाजी की थी और 3-3 विकेट लिए थे।
11 जून 1983,इंडिया बनाम जिम्बाब्वे, ग्रेस रोड, लीसेस्टर
वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज को हराने के बाद इंडिया का मनोबल बहुत बढ़ गया था और उसका मुकबाला लीसेस्टर में जिम्बाब्वे के साथ था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करीबी मुकाबले में जिम्बाब्वे को 13 रनों से हार का सामना करना पड़ा था।
लंच के बाद शुरू हुए मैच में मदन लाला और रोज बिन्नी ने शानदार गेंदबाजी की और 54.1 ओवर में 155 रनों पर जिम्बाब्वे की पूरी टीम को समेट दिया। मदन लाल ने 27 रन देकर 3 और रोजर बिन्नी ने 25 रन देकर दो विकेट लिए थे। विकेटकीपर सैय्यद किरमानी ने इस मैच में 5 कैच पकड़े थे जो वर्ल्ड कप में एक रिकॉर्ड था। ऑस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट ने 2003 वर्ल्ड कप में नामीबिया के खिलाफ 6 कैच लेकर सैय्यद किरमानी के इस रिकॉर्ड को तोड़ा था।
संदीप पाटिल(50) और मोहिंदर अमरनाथ (44) की शानदार पारियों की बदौलत इंडिया ने 135 बॉल बाकी रहते हुए 5 विकेट से यह मैच जीत लिया था।
13 जून 1983,इंडिया बनाम ऑस्ट्रेलिया, ट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघम
लगातार दो मैचों में जीत हासिल करने के बाद इंडिया का मुकाबला अब ऑस्ट्रेलिया से था। ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप की सबसे मजबूत टीमों में से एक थी। इस मैच में कई रिकॉर्ड बने, ऑस्ट्रेलिया के ट्रेवर चैपल ने अपने वन डे करियर का सबसे बड़ा स्कोर बनाया। उन्होंने 110 रनों की शानदार पारी खेली थी,वन डे यह उनका पहला और आखिरी शतक था। इसके अलावा कपिल देव वन डे क्रिकेट में 5 विकेट लेने वाले इंडिया के पहले गेंदबाज बने थे।
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया और यह फैसला उसके लिए सही साबित हुआ। ट्रैवर चैपल 110, किम ह्यूजेस 52, और ग्राहम यैलोप की 66 रन की नाबाद पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 9 विकेट के नुकसान पर 320 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया था। चैपल और ह्यूजेस ने दूसरे विकेट के लिए 144 रनों की साझेदारी की थी। इंडिया की तरफ कपिल देव ने शानदार गेंदबाजी करी और 43 रन देकर पांच विकेट चटकाए।
जीत के लिए 321 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरी इडिंयन टीम ने केन मक्लेय (6/39) की कहर बरपाती गेंदबाजी के सामनें घुटने टेक दिए। पूरी टीम 37.5 ओवर में केवल 158 रन ही बना पाई और 162 रनों से मैच हार गई। इंडिया की तरफ से कपिल देव ने सबसे ज्यादा 40 रन बनाए थे। 110 रनों की पारी के लिए ट्रैवर चैपल को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
15 जून 1983, इंडिया बनाम वेस्टइंडीज, ओवल, लंदन
पहले मैच में मिला हार के बाद वेस्टइंडीज एक नई ताकत के साथ इंडिया का सामना करने के लिए तैयार थी। दूसरी तरफ इंडिया को लगातार दो जीतों के बाद ऑस्ट्रेलिया के हाथों करारी हार मिली थी।
टॉस जीतकर वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और विवियन रिचर्ड्स की शानदार सेंचुरी की बदौलत निर्धारित 60 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान 282 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया। विवियन रिचर्ड्स ने 119 रन की पारी खेली,उनके अलावा क्लाइव लॉयड ने 41 रनों का योगदान दिया। रोजर बिन्नी ने 71 रन देकर 3 विकेट लिए थे।
जीत के लिए इंडिया के सामनें 283 रनों के लक्ष्य था। इंडिया के दोनों सलामी बल्लेबाज क्रिस श्रीकांत (2) और रवि शास्त्री (6) सस्ते में ही आउट हो गए थे। लेकिन इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ और दिलीप वेंगसरकर ने मिलकर इस पारी को संभाला और तीसरे विकेट लिए 68 रन जोड़े। 89 रन के स्कोर पर मैलकॉम मार्शल की एक बाउंसर दिलीप वेंगसरकर के मुंह पर जाकर लगी। वेंगसरकर रिटायर्ड हर्ट होकर वापस पवेलियन चले गए थे और इंडिया की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा। मोहिंदर अमरनाथ डटे रहे और उन्होंने 80 रन की बेहतरीन पारी खेली। 193 रन के स्कोर पर मोहिंदर अमरनाथ के रूप में इंडिया को पांचवां झटका लगा। अमरनाथ के आउट होने के बाद इंडिया की पारी ऐसी लड़खड़ाई की उसे संभलने का मौका नहीं मिला। हालांकि कप्तान कपिल देव ने अंत में 36 रन की साहसी पारी खेली लेकिन वह टीम को जीत के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए काफी नहीं थी, इंडिया की पूरी टीम 216 रन पर सिमटी गई । वेस्टइंडीज ने यह मैच 66 रन से जीतकर पहले मैच में इंडिया के हाथों मिली हार के बदला ले लिया। वेस्टइंडीज के लिए माइकल होल्डिंग ने 3 और एंडी रॉबर्ट्स ने 2 विकेट लिए थे।
18 जून इंडिया बनाम जिम्बाब्वे, नेविल ग्राउंड, टनब्रिज वेल्स
दो शानदार जीत के बाद और फिर दो हार के बाद टीम इंडिया का पांचवां मैच जिम्बाब्वे के खिलाफ था। सेमीफाइनल की दौड़ में बने रहने के लिए इंडिया के लिए इस मैच में जीतना जरूरी थी। वर्ल्ड कप के ब्रॉडकास्टिंग के अधिकार बीबीसी के पास थे। बीबीसी के कर्माचारी इस मैच के दिन हड़ताल पर थे। इस हड़ताल के कारण वन डे क्रिकेट में इंडियन खिलाड़ी द्वारा बनाई गई पहली सेंचुरी रिकॉर्ड नहीं हो पाई थी।
इंडिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया लेकिन कपिल देव को क्या पता था कि उनका यह फैसला उन्हीं पर भारी पड़ जाएगा। पीटर रॉसन और केविन कुरन की जोड़ी ने शानदार गेंदबीजी की और आधी टीम केवल 17 स्कोर के रन पर ही पवेलियन लौट गई। सुनील गावसकर(0) और क्रिस श्रीकांत(0) की सलामी जोड़ी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।
इसके बाद क्रीज पर आए कप्तान कपिल देव ने ऐसी पारी खेली जो उनके करियर की सबसे बड़ी और यादगार पारी बन गई। कपिल देव ने 138 गेदों में 16 चौकों और 6 छक्कों की मदद से नॉटआउट 175 रन की बेहतरीन पारी खेली। यह उनके वन डे करियर का पहला शतक था और उनके करियर का सर्वोच्च वन डे स्कोर भी। रोजर बिन्नी (22),मदन लाल(17) और सैय्यद किरमानी(24) ने अंत तक कपिल का बखूबी साथ निभाया। कपिल देव और सैय्यद किरमानी ने मिलकर नौंवे विकेट के लिए 16 ओवरों में 126 रन साझेदारी करी थी। वर्ल्ड कप के इतिहास में नौंवे विकेट के लिए सबसे बड़ी पार्टनरशिप का रिकॉर्ड अभी भी इस जोड़ी के नाम है। 87 रन पर 7 विकेट गंवा देने के बाद इंडिया ने शानदार वापसी करी और निर्धारित 60 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 266 रनों का अच्छा खासा स्कोर खड़ा कर दिया था।
अब जीत के लिए जिम्बाब्वे के सामनें 267 रन का लक्ष्य था। जिम्बाब्वे ने इंडिया को अच्छी टक्कर दी लेकिन वह मैच जीतने में नाकाम रहे। गेंदबाजी में कमाल दिखाने के बाद केविन कुरेन ने बल्लेबाजी में भी कमाल दिखाया और 73 रन की शानदार पारी खेली। रॉबिन ब्राउन (35) के साथ-साथ अन्य खिलाड़ियों छोटी-छोटी पारियां खेली। इंडिया की तरफ से मदन लाल ने तीन,रोजर बिन्नी ने दो और कपिल देव,बलविंदर संधु और मोहिंदर अमरनाथ ने एक-एक विकेट लिया था।
20 जून 1983, इंडिया बनाम ऑस्ट्रेलिया, काउंटी ग्राउंड, चेम्सफोर्ड
तीन जीत और दो हार के साथ इंडिया को अपना आखिरी लीग मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इससे पहले के मुकाबले में इंडिया को 162 रनों की करारी हार मिली थी। इंडिया ने इस मैच में ऑलराउंड दिखाया और यह मैच 118 रनों जीत लिया। इस जीत के साथ ही इंडिया ने सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया था।
टॉस जीतकर इंडिया ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया,इंडिया की तरफ से यशपाल शर्मा ने सबसे ज्यादा 40 रन की पारी खेली। अन्य खिलाड़ियों की छोटी-छोटी पारियों की बदौलत इंडिया ने 55.5 ओवर में 247 का सम्मानजनक स्कोर खड़ा कर दिया था। य़शपाल शर्मा और संदीप पाटिल ने मिलकर चौथे विकेट के लिए 53 रन की साझेदारी की थी। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 37 अतिरिक्त रन दिए थे। ऑस्ट्रेलिया की तरफ से रॉडने हॉग और जेफ थॉमसन तीन-तीन विकेट चटकाए।
इंडिया के 247 रनों के जवाब में ऑस्ट्रेलिया की पूरी 129 रन पर ही ऑल आउट हो गई। एक समय ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 1 विकेट के नुकसान पर 46 रन था, इसके बाद मदन लाल और रोजर बिन्नी की जोड़ी ने शानदार गेंदबाजी की और 78 रन के स्कोर तक पहुंचते-पहुंचते उसके 7 बल्लेबाज वापस पवेलियन चले गए थे। मदन लाल ने जैफ थॉमसन को आउट कर ऑस्ट्रलिया की पारी को समेटा। इंडिया की तरफ से रोजर बिन्नी और मदन लाल ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 4-4 विकेट लिए,इसके अलावा दो विकेट बलविंदर संधु के खाते में गए।
सेमीफ़ाइनल, 22 जून 1983, इंडिया बनाम इंग्लैंड, ओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टर
मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल खेला जा रहा था और इंडिया और मेजबान इंग्लैंड की टीमें आमनें सामनें थी। माना जा रहा था कि इग्लैंड को अपनी जमीन पर खेलनें का लाभ मिलेगा।
कप्तान बॉब विलिस ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया, ग्रीम फॉलर और क्रिस टवारे की जोड़ी ने इंग्लैंड को अच्छी शुरूआत दी। दोनों ने पहले विकेट के लिए 69 रन की साझेदारी। लेकिन इन दोनों के आउट होने के बाद इंग्लैंड का कोई और बल्लेबाज कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया और इंग्लैंड निर्धारित 60 ओवरों में केवल 213 रन पर सिमट गई। इंडिया की तरफ से कपिल देव ने तीन और रोजर बिन्नी और मोहिंदर अमरनाथ ने दो-दो विकेट अपने खाते में डाले।
जीत के लिए 214 रनों के लक्ष्य का पीछा करने गावसकर और क्रिस श्रीकांत की टीम बल्लेबाजी करने उतरे। दोनों की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 46 रन जोड़े। संदीप पाटिल (61) और संदीप पाटिल(51*) की शानदार हाफसेंचुरी मारी और इंडिया को जीत दिलाकर ही दम लिया। मोहिंगर अमरनाथ(46) ने भी उनका साथ दिया। इंडिया ने 54.4 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 217 बनाकर 6 विकेट से यह मैच अपने नाम कर लिया और वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने वाली भारतीय उपमहाद्वीप की पहली टीम बन गई।
25 जून 1983,इंडिया बनाम वेस्टइंडीज, लॉर्ड्स, लंदन
तारीख 25 जून 1983,दिन शनिवार,क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में दो बार वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज और इंडिया आमनें सामनें थी। वेस्टइंडीज के लिए फाइनल में पहुंचाना कोई आम बात नहीं थी। लेकिन इंडिया के लिए यह कामयाबी बहुत बड़ी थी क्योंकि वर्ल्ड कप में आने से पहले इस टीम को खुद पर इतना भरोसा नहीं था कि वह वर्ल्ड कप जीत पाएगी और ना ही इंडिया के करोड़ों प्रेमियों ने ऐसा सोचा था। लॉर्ड्स में 24609 दर्शकों की मौजूदगी में क्लाइव लॉयड और कपिल देव टॉस के लिए मैदान पर उतरे,क्लाइव ने टॉस जीतकर इंडिया को बल्लेबाजी का न्यौता दिया था।
श्रीकांस और सुनील गावसकर की सलामी जोड़ी बल्लेबाजी करने उतरी लेकिन इंडिया के शुरूआत बेहद खराब हुई। टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज सुनील गावस्कर महज 2 रन के स्कोर पर ही पवेलियन लौट गए थे। इसके बाद श्रीकांत और मोहिंदर अमरनाथ ने मिलकर भारतीय पारी को संभाला था औऱ दूसरे विकेट के लिए 57 रन की साझेदारी की थी। यह इस मैच की सबसे बड़ी साझेदारी थी। 7 चौकों और एक छक्के की मदद से श्रीकांत ने 38 रन बनाए थे जो इस मैच में भारत की तरफ से सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर था। मोहिंदर अमरनाथ 26 और संदीप पाटिल ने 27 रन की पारी खेली थी। 90 रन के स्कोर पर मोहिंदर अमरनाथ के आउट होने के बाद भारतय पारी बुरी तरह लड़खड़ाई और 130 रन के स्कोर तक पहुंचते पहुंचते टीम के 7 खिलाड़ी वापस पवेलियन लौट गए थे। इसके बाद मदन लाल (17),सैय्यद किरमानी(14) और बलविंदर संधु(11*) की छोटी-छोटी पारियों की बदौलत इंडिया ने 54.4 ओवर में 183 रन का स्कोर खड़ा किया था।
फाइनल में वेस्टइंडीज जैसी मजबूत टीम के खिलाफ यह स्कोर काफी कम था। लेकिन 184 जैसे छोटे लक्ष्य का पीछा करने उतरी वेस्टइं