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मनोज प्रभाकर के करियर का वो काला दिन

1996 का वर्ल्ड कप जहां भारत की टीम ने संतोषजनक परफॉर्मेंस किया था तो वहीं भारतीय तेज गेंदबाज या यूं कहें ऑलराउंडर मनोज

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Manoj Prabhakar Bowling Against Sri Lanka in 1996
Manoj Prabhakar Bowling Against Sri Lanka in 1996 ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Feb 06, 2015 • 03:57 AM

1996  का वर्ल्ड कप जहां भारत की टीम ने संतोषजनक परफॉर्मेंस किया था तो वहीं भारतीय तेज गेंदबाज या यूं कहें ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर के लिए उनके वनडे करियर का अंतिम वर्ल्ड कप साबित हुआ था। हालांकि मनोज प्रभाकर ने 1996 वर्ल्ड कप में अपनी गेंदबाजी में कोई कसर नहीं छोड़ी थी पर श्रीलंका के खिलाफ लीग मैच उनका पाला श्रीलंका के ताबड़तोड़ बल्लेबाज सनथ जयसूर्या से पड़ा तो स्विंग गेंदबाजी के बादशाह प्रभाकर को अपनी गेंदबाजी से तौबा करना पड़ा और यह मैच उनके वन डे करियर का आखिरी मैच साबित हुआ। 

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
February 06, 2015 • 03:57 AM

2 मार्च 1996 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में लीग मैच के लिए भारत औऱ श्रीलंका की टीमें आमनें-सामनें थी। श्रीलंका के कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता दिया । भारत के लिए बल्लेबाजी की शुरूआत करने मनोज प्रभाकर और सचिन तेंदुलकर मैदान पर आए। लेकिन मनोज प्रभाकर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए औऱ 7 रन के निजी स्कोर पर आउट होकर पवेलियन चले गए। लेकिन एक छोर से सचिन श्रीलंका के गेंदबाजों पर कहर ढहा रहे थे। सचिन तेंदुलकर ने शतक लगाते हुए शानदार 137 रन बनाएं थे। भारतीय कप्तान अजहर ने भी 72 रनों का योगदान दिया था। दोनों बल्लेबाजों की शानदार बल्लेबाजी के कारण भारत ने श्रीलंका के सामने 271 रन का लड़ने लायक लक्ष्य रखा था। 90 के दशक में 50 ओवर के खेल में 250 से ज्यादा रनों के लक्ष्य को विशाल स्कोर की तरह देखा जाता था। ऐसे में भारतीय टीम के द्वारा बनाया गया 271 रन सही मायने में श्रीलंका के खेमें में मुश्किलात के हालात थे।

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लेकिन जब श्रीलंकन पारी की शुरूआत हुई तब मैच में कुछ ऐसा अचंभा हुआ जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। श्रीलंका के लिए पारी की शुरूआत सनथ जयसूर्या और कालूवितरना ने करी। किसी को इस बात की भनक भी नहीं थी कि इस मैच में वनडे क्रिकेट का अंदाज सदा के लिए बदलने वाला है । सनथ जयसूर्या और कालूवितरना ने पहले के 3 ओवरों में जिस अंदाज के साथ धमाकेदार बल्लबाजी की उस अंदाज को वनडे क्रिकेट में पहली बार देखा गया था। दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय पेस बेट्री की हवा निकाल दी थी। यहां तक की भारत के लिए उस समय अपनी स्विंग गेंदबाजी से विरोधी बल्लेबाजों की हवा टाइट करने वाले मनोज प्रभाकर की गेंदबाजी पर मानों जयसूर्या ये सोचकर ही मैदान पर उतरे थे कि मनोज प्रभाकर के वन डे करियर का यह सबसे मुश्किल मैच बना देगें । जयसूर्या ने मनोज प्रभाकर की गेंदबाजी की ऐसी बखिया उधेड़ी थी कि भारतीय कप्तान अजहर को उनको गेंदबाजी आक्रमण से हटाना पड़ गया था। सिर्फ 4 ओवर के स्पैल में मनोज प्रभाकर ने 47 रन लुटा दिए थे। प्रभाकर ने अपने पहले दो ओवर के स्पैल में 33 रन खर्च कर दिए । मनोज प्रभाकर के लिए ऐसी नौबत आ गई थी जब उनको दूसरे स्पैल में अजहर ने गेंदबाजी करने के लिए दी तो प्रभाकर ने तेज गेंदबाजी को छोड़कर ऑफ स्पिन गेंदबाजी करने लगे थे। मनोज प्रभाकर के ये 4 ओवर उनके वनडे करियर का अंतिम 4 ओवर साबित हुए ।   

जयसूर्या ने उस दिन जो बल्लेबाजी करी थी उससे वनडे क्रिकेट को शुरूआत के 15 ओवर खेलने के तरीके में सदा के लिए तब्दीली ला दी थी। श्रीलंका ने फाइनल तक यही रणनीति अपनाई और वर्ल्ड चैंपियन भी बना।  जयसूर्या ने उस मैच में 76 गेंद पर 79 रन बनाएं थे। सनथ जयसूर्या की विस्फोटक बल्लेबाजी के कारण श्रीलंका ने मैच के लक्ष्य को बड़े ही आसानी से पूरा कर लिया था। लेकिन एक बार श्रीलंका के भी 4 विकेट 141 रन पर गिर गए थे तो ऐसा लगने लगा था कि मैच में अभी भी काफी कुछ बचा हुआ है लेकिन जब मैच की शुरूआत इतनी अच्छी और दमदार हो तो श्रीलंका के लिए क्लाइमैक्स कैसे खराब हो सकता था । कप्तान राणातुंगा और तिल्लाकारत्ने ने बेहतरीन और समझदारी वाली पारी खेलकर श्रीलंका को विजय द्वार तक पहुंचा दिया। कप्तान राणातुंगा ने नॉट आउट रहते हुए 46 रन बनाएं तो वहीं तिल्लाकारत्ने ने शानदार अर्धशतक जड़ते हुए नॉटआउट 70 रन बनाएं थे। 

सनथ जयसूर्या के शानदार बल्लेबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया . सही मायने में मनोज प्रभाकर के 4 ओवर उनके करियर का भयावह पल बन कर प्रभाकर को आज भी सताता होगा।। श्रीलंका और भारत के साथ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर हुआ यह मैच 3 कारणों के लिए सदा के लिए क्रिकेट के रिकॉर्ड बुक में दर्ज  हो गया । 

*सचिन तेंदुलकर के शानदार 137  रन ।
*सनथ जयसूर्या की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी जिसने वनडे क्रिकेट की दिशा बदल दी थी। 
*मनोज प्रभाकर जैसे बेहतरीन तेज गेंदबाज को अपने पेस गेंदबाजी को छोड़कर ऑफ स्पिन गेंदबाजी करने के लिए मजबूर कर देना ।
  

विशाल भगत/CRICKETNMORE

 

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