'गौतम गंभीर तो खेल भी नहीं रहा था', गंभीर-विराट के झगड़े पर शेन वॉटसन भी बोले
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर और लखनऊ सुपर जायंट्स के बीच मैच के बाद जो नजारा देखने को मिला, वो कोई भी क्रिकेट फैन दोबारा नहीं देखना चाहेगा। गौतम गंभीर और विराट कोहली के बीच जो कुछ दिखा, उस पर क्रिकेट एक्सपर्ट्स
आईपीएल 2023 का 46वां मैच खत्म होने के बाद जो नज़ारा फैंस को दिखा उसे वो दोबारा कभी नहीं देखना चाहेंगे। लखनऊ सुपर जायंट्स के मेंटोर गौतम गंभीर और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली के बीच मामला इतना बिगड़ गया कि साथी खिलाड़ियों को बीच में आकर बचाव करना पड़ा। इन दोनों के बीच हुई इस घटना पर हर किसी का अलग-अलग नजरिया दिख रहा है और अब शेन वॉटसन ने भी इस पर रिएक्ट किया है।
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के पूर्व ऑलराउंडर और दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच शेन वॉटसन ने इस विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि क्रिकेटरों को अपने मतभेदों को मैदान से दूर रखना चाहिए और उनके लिए इन सब चीजों से आगे बढ़ना ही सबसे अच्छा है।
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वाटसन ने द ग्रेड क्रिकेटर पोडकास्ट पर बोलते हुए कहा, "मैदान पर प्रतिस्पर्धी होना बहुत अच्छा है, मैं इसके लिए तैयार हूं। वहीं लोग अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में होते हैं। ये उनकी प्रवृत्ति को तेज करता है और उनके दिमाग को केंद्रित करता है। लेकिन जब इन चीजों को आप मैदान के बाहर लेकर जाते हैं तो आपको इसे छोड़ना पड़ता है। मैदान पर, आपके पास वजह हो सकती है क्योंकि आप अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं, जीतने की कोशिश कर रहे हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाह रहे हैं। एक बार मैच हो जाने के बाद आगे बढ़ना चाहिए। विराट और गौतम गंभीर के साथ क्या हुआ? कोई भी उस नज़ारे को दोबारा नहीं देखना चाहता। जीजी (गौतम गंभीर) खेल भी नहीं रहा है।"
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वहीं, इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान माइकल वॉन गंभीर के आलोचक थे। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में मैदान पर विवाद हो सकता है लेकिन कोच को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए। वॉन ने क्रिकबज पर बोलते हुए कहा, "मुझे छोटे-मोटे टकराव वाले खिलाड़ियों से कोई आपत्ति नहीं है। ये सिर्फ खेल है। आप इसे हर दिन नहीं देखना चाहते लेकिन मुझे कोच को इसमें शामिल होते देखना पसंद नहीं है। कोच या कोचिंग विभाग का कोई भी हिस्सा खेल में क्यों शामिल है। मैदान पर जो हो जाता है वो मैदान पर रहता है। अगर दो खिलाड़ियों के बीच कोई बहस होती है, तो उन्हें इसे सुलझाने की जरूरत है। कोचों को डगआउट या ड्रेसिंग रूम में बैठकर सिर्फ रणनीति पर फोकस करना चाहिए।”