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क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

भारत में जहां क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है वहीं मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को भगवान का दर्जा दिया गया है। सचिन रिकॉर्ड्स बनाने के मामले में जितने ज्यादा मशहूर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा अपने व्यवहार को

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भारतीय क्रिकेट टीम
भारतीय क्रिकेट टीम ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Apr 24, 2017 • 12:46 AM

भारत में जहां क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है वहीं मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को भगवान का दर्जा दिया गया है। सचिन रिकॉर्ड्स बनाने के मामले में जितने ज्यादा मशहूर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा अपने व्यवहार को कायम रखने के लिए जाने जाते हैं। शायद यहीं वजह है कि सचिन आज भी हर एक क्रिकेट प्रेमी के दिल में बसते हैं। आज के युग में विराट कोहली जैसे बल्लेबाज भी सचिन को अपना प्रेरणास्त्रोत मानते हैं। आईए आज सचिन के 44वें जन्मदिवस के मौके पर नजर डालते हैं उनके द्वारा कही गई कुछ प्रेरणादायक बातों पर इन तीन खिलाड़ियों के आगे झुके विराट कोहली, इंस्टाग्राम पर मांगी माफी

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
April 24, 2017 • 12:46 AM

►जीवन में मिली चुनौतियों को लेकर सचिन का ये मानना है कि आपके उपर उछाली गई हर उस चुनौती को स्वीकार कर लेनी चाहिए ये जरूरी नही है, बल्कि अपने आप को कई बार चुनौतियों से बचाकर रखी जाए ताकि सही वक्त पड़ने पर प्रयोग में ला सकें।

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►आलोचनाओं के बारे में सचिन तेंदुलकर का मानना है कि जब कभी भी लोग आपपर पत्थर फेंके यानि कि आप आलोचनाओं का शिकार होने लग जाए तो ऐसे में अपनी कमियों को दूर करके सफल बनने की कोशिश करनी चाहिए।

► भारतीय क्रिकेट टीम का जर्सी पहनने के सपने को पूरा करने पर सचिन कहते हैं कि मेरे जेहन में एक चीज हमेशा से थी कि मुझे एक दिन जरूर भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलना है और मुझे इस बात का पूरा विश्वास था कि मैं एक दिन ऐसा करने में कामयाब हो जाउंगा।

►सचिन के बल्लेबाजी करने का तरीका बिलकुल ही खास है और इसपर सचिन कहते हैं कि मैं बल्लेबाजी को बेहद ही सहजता से लेता हूं। सचिन का मानना है कि पहले गेंद को देखो और फिर अपनी योग्यता से खेलो।

►मैच जीतने की ललक को लेकर सचिन कहते हैं कि क्रिकट मेरा पहला प्यार है और इसलिए मैं हारना पसंद नही करता हू। सचिन कहते हैं कि मैं जब मैदान में खेलने के लिए जाता हूं तो ये मेरे लिए बिल्कुल अलग जगह होती है जहां जीत हांसिल करने के लिए मेरे अंदर भूख बरकरार रहता है।

 

►सपनो के पीछा करने को लेकर सचिन का मानना है कि इंसान के अंदर हमेशा अपने सपनों को पूरा करने की ललक होनी चाहिए क्योंकि एक दिन सपना जरूर पूरा होता है।

►सचिन युवाओं को संदेश देते हैं कि उन क्रिकेटर्स का हमेशा सम्मान करना चाहिए जो आपके साथ खेले हैं। इससे मैदान में अच्छे प्रदर्शन करने का हौसला मिलता है।

►दूसरों के साथ खुद की तुलना करने पर सचिन कहते हैं कि मैने कभी अपनी तुलना किसी भी युग के खिलाड़ी या कोच से नही करी है।

►पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने को लेकर सचिन कहते हैं कि यहां खेलने से पहले मुझे थोड़ी बैक पेन की शिकायत थी और मैं सोचा करता था कि जब कभी भी मैं पाकिस्तान के लिए खेला करता हू तो बैक पेन बढ़ जाता है।

►लक्ष्य पूरा करने को लेकर सचिन का मानना है कि उन्होंने कभी लक्ष्यों को पूरा करने का दवाब अपने उपर नही आने दिया है। सचिन कहते हैं कि मुझे नही पता था कि किस्मत मुझे कहां ले जाएगी।

►मैच से पहले की तैयारियों को लेकर सचिन कहते हैं कि मेरे लिए तो एक्चवल मैच से काफी पहले ही मैच स्टार्ट हो जाता है।

 

►मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को वर्ल्ड के किसी बॉलर ने यदि परेशान कया है तो वो साउथ अफ्रीका के पूर्व कैप्टन हैंसी क्रोन्ये थे जिनकी मौत एक प्लेन क्रैश में साल 2002 में हो गई थी। सचिन ने कहा है कि क्रोन्ये ने उन्हें इतना ज्यादा परेशान किया कि वह समझ नहीं पाते थे कि उनके खिलाफ क्या किया जाए। सचिन ने एक न्यूजपेपर को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि हैंसी ही वो गेंदबाज है जिन्होंने मुझे ज्चादा परेशान किया है। जब भी हम साउथ अफ्रीका के खिलाफ मैच खेला करते थे तो हैंसी मुझे हमेशा आउट करने में एलेन डोनाल्ड या शान पोलक से आगे रहते थे।

►सफलता को लेकर सचिन कहते हैं कि टैलेंट होने के साथ-साथ एक इंसान को सही दिशा मिलना भी जरूरी होता है।

भारतीय टीम के साथ सफर को लेकर सचिन का कहना है कि अपने करियर के दौरान मैने उतार-चढ़ाव के कई ऐसे दौर देखे लेकिन इन सब से बहुत कुछ सिखने का मैका मिला। ऐसे उतार-चढ़ाव के वक्त टीम के साथ काफी भयानक अनुभव रहा है।

►सकारात्मक इरादे के साथ मैच खेलने को लेकर सचिन कहते हैं कि जब भी मैं क्रीज पर बैटिंग कर रहा होता हूं तो मैं स्कोरबोर्ड की तरफ नही देखता हैं, चाहे 2 विकेट के नुकसान पर 20 रन ही क्यों न बने हो या फिर उतने ही विकेट खोने के बाद चाहे 200 रन ही क्यों न बने हो। सचिन का कहना है कि यदि मैच खेलते सयम पॉजटिव सोच रखी जाए तो ये चीजें माईने नहीं रखती है कि कितने रन बने हैं, बल्कि स्थिति के हिसाब से कैसी रणनीति तैयार की जाए ये ज्याद जरूरी होता है।

►बल्लेबाजी करने से पहले सचिन ये सोचते थे कि मैने अपनी क्षमता के अनुसार अच्छी तैयारी करी है, इससे औऱ बेहतर मैं नही कर सकता था। यहीं वो चीज है जो मैदान में बल्लेबाजी करते वक्त मेरे जेहन में हुआ करता था।

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