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कोहली का संन्यास याद दिलाता है फॉर्म तकनीक से ज्यादा मानसिकता पर निर्भर है : ग्रेग चैपल

Virat Kohli: भारत के पूर्व मुख्य कोच ग्रेग चैपल का मानना है कि विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना इस बात का एक और उदाहरण है कि क्रिकेट में बल्लेबाज की फॉर्म को तकनीक के बजाय मानसिकता नियंत्रित

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Virat Kohli announces retirement from Test cricket
Virat Kohli announces retirement from Test cricket (Image Source: IANS)
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By IANS News
Jun 05, 2025 • 04:22 PM

Virat Kohli: भारत के पूर्व मुख्य कोच ग्रेग चैपल का मानना है कि विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना इस बात का एक और उदाहरण है कि क्रिकेट में बल्लेबाज की फॉर्म को तकनीक के बजाय मानसिकता नियंत्रित करती है।

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June 05, 2025 • 04:22 PM

विराट कोहली 123 टेस्ट में 46.85 की औसत से 9,230 रन बना चुके हैं। उन्होंने कुछ हफ्तों पहले ही टेस्ट फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान किया है।

चैपल ने 'ईएसपीएनक्रिकइन्फो' पर अपने कॉलम में लिखा, “कोहली कभी मैदान पर एनर्जी और मजबूत तकनीक के प्रतीक थे। वह टेस्ट क्रिकेट से दूर हो गए। उनका फैसला कौशल में कमी के कारण नहीं, बल्कि इस बढ़ते अहसास से पैदा हुआ था कि वे अब मानसिक स्पष्टता नहीं जुटा सकते, जिसने कभी उनको इतना बड़ा खिलाड़ी बनाया था।"

चैपल ने आगे कहा, “उन्होंने स्वीकार किया कि उच्चतम स्तर पर जब तक दिमाग तेज और निर्णायक नहीं होता, तब तक शरीर लड़खड़ाता है। यह निर्णय लेने में बाधा डालता है। फुटवर्क को खराब करता है और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आवश्यक सहजता को खत्म कर देता है। कोहली का संन्यास इस बात की याद दिलाता है कि फॉर्म तकनीक से ज्यादा मानसिकता का परिणाम है।"

ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल चुके ग्रेग चैपल सेलेक्टर भी रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, "क्रिकेट में उम्रदराज बल्लेबाजों में सबसे ज्यादा गिरावट शारीरिक कौशल में नहीं, बल्कि अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की मानसिक स्पष्टता में है। अगर मानसिक स्पष्टता वापस आ जाती है, तो कुछ खिलाड़ी अपने करियर के अंतिम पड़ाव में भी अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं।"

चैपल ने कहा, “जब सहज ज्ञान हिचकिचाहट और आत्मविश्वास सावधानी में बदल जाता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सबसे पहले अपने अंदर देखना चाहिए। सचिन तेंदुलकर और रिकी पोंटिंग से लेकर विराट कोहली, स्टीवन स्मिथ और जो रूट तक, क्रिकेट के सबसे सम्मानित नाम अपेक्षाओं के बोझ और प्रदर्शन में कमी से जूझते रहे हैं। और फिर भी, उनमें से कई ने दोबारा उभरकर दिखाया है। यह हमें याद दिलाता है कि भले ही शरीर की उम्र बढ़ती है, दिमाग को फिर से प्रशिक्षित और केंद्रित किया जा सकता है। उम्रदराज खिलाड़ियों के लिए वापसी का रास्ता शायद तकनीक पर फिर से काम करने से खुलता हो। बल्कि, यह मानसिक स्पष्टता की स्थिति में लौटने, अपनी युवावस्था की सोच को फिर से जगाने से खुलता है।

ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल चुके ग्रेग चैपल सेलेक्टर भी रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, "क्रिकेट में उम्रदराज बल्लेबाजों में सबसे ज्यादा गिरावट शारीरिक कौशल में नहीं, बल्कि अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की मानसिक स्पष्टता में है। अगर मानसिक स्पष्टता वापस आ जाती है, तो कुछ खिलाड़ी अपने करियर के अंतिम पड़ाव में भी अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं।"

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Article Source: IANS

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