सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की 'कूलिंग आफ पीरियड' की आवश्यकता को देखते हुए दायर की गयी याचिका पर संविधान में प्रस्तावित संशोधनों की अनुमति दे दी। पदाधिकारियों के लिए कूलिंग-आफ पीरियड बीसीसीआई या राज्य संघ स्तर पर लगातार दो कार्यकाल के बाद शुरू होगा। पदाधिकारियों के पास अब एक बार में अधिकतम 12 साल तक पद पर बने रहने का अधिकार होगा। राज्य संघ के स्तर पर दो तीन साल के कार्यकाल और बीसीसीआई में दो तीन साल के कार्यकाल और इसके बाद, कूलिंग-आफ पीरियड लागू होगा।
बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और हिमा कोहली के सामने दलील दी कि खंड 6 जैसा कि शीर्ष अदालत द्वारा अनुमोदित किया गया है, यह दर्शाता है कि एक व्यक्ति जिसने राज्य क्रिकेट संघ के स्तर पर एक कार्यकाल के बाद बीसीसीआई में एक कार्यकाल पूरा किया है, उन्हें तीन साल के कूलिंग आफ पीरियड से गुजरना होगा।
इसलिए, बीसीसीआई में केवल एक कार्यकाल के बाद कूलिंग आफ पीरियड लागू होगा। सुनवाई के दौरान, मेहता ने पीठ के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया था कि खेल को आगे बढ़ाने के लिए नेतृत्व के गुणों को साबित करने के लिए तीन साल बहुत कम समय अवधि है और मौजूदा संविधान में इस प्रावधान को संशोधित करने का आग्रह किया, ताकि यह प्रतिबिंबित हो सके कि यह एक कार्यकाल के बाद प्रभावी हो। पदाधिकारी ने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए हैं।