भारत के क्रिकेट फैंस के लिए शनिवार का दिन एक दिलचस्प सरप्राइज़ लेकर आया। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में त्रिपुरा की ओर से नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने पहुंचे एक युवा खिलाड़ी ने सबका ध्यान खींच लिया। पहली नज़र में ऐसा लगा मानो टीम इंडिया के उभरते सितारे यशस्वी जायसवाल ने अचानक वनडे कैंप छोड़कर घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा ले लिया हो। लेकिन ये लोकप्रिय राजस्थान रॉयल्स खिलाड़ी नहीं थे, बल्कि उनके बड़े भाई तेजस्वी जायसवाल थे, जिन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से दर्शकों को चौंका दिया।
अहमदाबाद में उत्तराखंड के खिलाफ मैच में तेजस्वी ने 60/1 के स्कोर पर क्रीज़ पर कदम रखा और 37 गेंदों में दमदार 51 रन बनाए। इस पारी में उन्होंने चार छक्के और एक चौका जड़ते हुए अपने छोटे भाई की ही तरह आक्रामक अंदाज़ दिखाया। यद्यपि उनकी ये पारी त्रिपुरा की ओर से सर्वश्रेष्ठ थी लेकिन इसके बावजूद उनकी टीम कुल 163/6 का स्कोर ही खड़ा कर पाई।
जवाब में उत्तराखंड ने आखिरी गेंद पर मैच जीत लिया। उत्तराखंड के लिए कप्तान कुणाल चंदेला की 37 गेंदों में 51 रन की पारी खेली और फिर जगदीश सूचित द्वारा केवल सात गेंदों में 21 रनों की तेज़तर्रार बल्लेबाज़ी की बदौलत उनकी टीम ने मैच जीत लिया।
बता दें कि तेजस्वी और यशस्वी की कहानी क्रिकेट जगत में सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक मानी जाती है। दोनों भाई एक ही सपना लेकर मुंबई पहुंचे थे और वो सपना था भारतीय क्रिकेट में अपना नाम बनाना। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि दोनों एक साथ खेल जारी रख सकें। ऐसे में बड़े भाई तेजस्वी ने अपने सपनों को विराम देकर दिल्ली में नौकरी की और यशस्वी के क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने के लिए लगातार आर्थिक मदद करते रहे।
समय के साथ यशस्वी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकते गए और भारत के सभी फॉर्मेट में जगह पक्की कर ली। अब जब परिवार की स्थिति सुधर चुकी है, तेजस्वी ने अपने अधूरे सपने को फिर से जीना शुरू किया है और त्रिपुरा के लिए खेलते हुए खुद को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।