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Cricket Tales - जो जमशेदपुर मैच में हुआ उसके सामने Basseterre में किट पहुंचने की देरी तो कुछ भी नहीं है !

Cricket Tales - कहानी भारत-ऑस्ट्रेलिया (1984) के एक ऐसे मैच की जहाँ क्रिकेट किट की वजह से मैच देर से शरू हुआ

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti August 04, 2022 • 10:01 AM
Cricket Tales
Cricket Tales (Image Source: Google)
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Cricket Tales - टीम इंडिया के वेस्टइंडीज-यूएसए टूर में दूसरा टी 20 इंटरनेशनल (Basseterre में) तीन घंटे की देरी से शुरू होगा- मैच से पहले की इस खबर ने एकदम हैरान कर दिया था। वजह- किट और अन्य जरूरी सामान त्रिनिदाद से सेंट किट्स पहुंचने में देरी। इस तरह जो मैच वहां के सुबह 10.30 बजे शुरू होना था- दोपहर 1.30 बजे शुरू हुआ। इसी का असर ये रहा कि तीसरे टी20 की शुरुआत 90 मिनट देरी से हुई ताकि खिलाड़ियों को कुछ और आराम मिल जाए। अभी तक ये नहीं पता चला कि असल में देरी हुई कैसे और कहां, तब भी बोर्ड की तारीफ़ करनी होगी कि देरी को छिपाया नहीं और मैच देखने वालों को भी हर तरह से ये संदेश देने की कोशिश की कि नए समय के हिसाब से ही मैच देखने आएं। इसीलिए वे कुछ हद तक आलोचना से बच गए।

बहरहाल वहां वजह चाहे जो रही हो पर जो 3 अक्टूबर 1984 को ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध जमशेदपुर वन डे इंटरनेशनल से पहले जो हुआ उसका मुकाबला तो हो ही नहीं सकता- वह सरासर घटिया इंतजाम का तमाशा था। 1984 में BCCI ने रणजी ट्रॉफी के पचास साल पूरे होने के जश्न के दौरान, ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध, 5 वन डे इंटरनेशनल की सीरीज आयोजित की। मैचों का केलेंडर ऐसा मानो भारत दर्शन करा रहे हों और ये भी न सोचा कि एक शहर से दूसरे शहर पहुंचेंगे कैसे? मैच क्रम से दिल्ली, त्रिवेंद्रम, जमशेदपुर, अहमदाबाद और इंदौर में थे।

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दूसरा वन डे 1 अक्टूबर को त्रिवेंद्रम में और तीसरा वन डे 3 अक्टूबर को जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में सुबह 9.30 बजे से- बीच में 2 अक्टूबर की नेशनल हॉलीडे यानि कि सब 'बंद'। त्रिवेंद्रम से सीधे जमशेदपुर की कोई फ्लाइट नहीं थी और वहां पहुंचने का सबसे तेज़ तरीका था वाया कोलकाता जाना। ये किसी ने नहीं सोचा कि जमशेदपुर में सोनारी एयरपोर्ट बड़ा छोटा है- ऐसा, जहां कोई बड़ा प्लेन उतर नहीं सकता तो दोनों टीम और सपोर्ट स्टाफ को, सामान समेत, एक ही फ्लाइट में कैसे भेज देंगे? सच्चाई ये है कि 2 अक्टूबर की रात को टीमें कोलकाता पहुंचीं। कुल सामान था 1500 किलो से ज्यादा और 3 अक्टूबर की सुबह जिस फोकर-फ्रेंडशिप प्लेन से जाना था उसमें 44 सीट थीं। कोई फालतू सामान रखना है तो उसी हिसाब से सवारी कम कर दो।

ये पता लगते ही टीम इंडिया के मैनेजर इरापल्ली प्रसन्ना के चेहरे से सारी रौनक ही चली गई- उन दिनों टीम मैनेजर ऐसे ही इंतजाम किया करते थे। जब क्रिकेटर 2 अक्टूबर की रात होटल में सो रहे थे, प्रसन्ना होटल स्टाफ के साथ सड़कों पर भटक रहे थे ऐसे ट्रक के इंतजाम के लिए जो फटाफट किट जमशेदपुर ले जाए। रात ढाई बजे होटल वाले इंतजाम कर पाए एक लॉरी का- उस पर सामान लादा और मैच के दिन सुबह 4 बजे वह लॉरी रवाना हुई जमशेदपुर के लिए। खिलाड़ी इस सबसे बेखबर थे।

कोलकाता से जमशेदपुर लगभग 290 किलोमीटर दूर- और मजेदार बात ये कि तब सड़कें आज जैसी अच्छी नहीं थीं, कोलकाता में 'पूजा' की भीड़ थी और किस्मत देखिए कि किसी विवाद के चलते पश्चिम बंगाल-बिहार बॉर्डर पर भारी ट्रेफिक अटका हुआ था।

जमशेदपुर में खिलाड़ियों को पता चल गया कि किट गायब हैं पर सब दर्शकों से छिपा गए। मैच तय समय पर कैसे शुरू होता? उस वक्त कीनन स्टेडियम में 15 हजार से ज्यादा दर्शकों की भीड़ थी। संयोग से एक दिन पहले जमशेदपुर में बरसात हुई थी। उसी को बहाना बना लिया और अंपायर, स्वरूप किशन और वीके रामास्वामी को राजी कर लिया कि वे कहते रहें कि ग्राउंड का कुछ हिस्सा गीला है। सच ये कि ग्राउंड उस वक्त की धूप से सूख चुका था। इस बीच, जमशेदपुर से स्थानीय प्रशासन ने अलग-अलग रास्तों पर पुलिस पार्टी दौड़ाईं लॉरी को ढूंढने। एक ने लॉरी को ढूंढ लिया जो तब तक स्टेडियम से 80 किलोमीटर दूर थी।

तब तक, स्टेडियम में दर्शक भड़कने लगे और उन्हें समझ में आ रहा था कि दाल में कुछ काला है। पत्थर और बोतलों का फेंकना शुरू हो गया। पुलिस आ गई। न तो बीसीसीआई और न ही स्थानीय अधिकारियों ने भीड़ को अपडेट रखा था। किट आखिरकार 11.30 बजे के बाद पहुंची। मैच लगभग तीन घंटे देरी से शुरू हुआ और 24 ओवर वाला मैच बन गया था।

जब धूप थी तो क्रिकेट शुरू नहीं हुई थी। किट आईं तो बादल भी आ गए। सिर्फ 31 गेंद का खेल हुआ कि बरसात आ गई और इसके बाद एक भी गेंद का खेल नहीं हुआ। भारत का स्कोर 21-2 था और वेंगसरकर एवं कपिल देव क्रीज पर थे। दर्शकों को टिकट के पैसे लौटाने पड़े। जिस मैच से लाखों के मुनाफे का सपना देख रहे थे- वह बहुत बड़ा घाटा बन गया।

ये क्रिकेट के इतिहास में अपनी तरह की अनोखी मिसाल है।

अभी भी कई स्टोरी रह गईं। उस रात जब क्रिकेटर कोलकाता एयरपोर्ट पर थे तो वहां से होटल कैसे पहुंचे और होटल में क्या इंतजाम था उनके ठहरने का? कौन जिम्मेदार था किट की देरी के लिए- BCCI ने सारा दोष बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के नाम लिख दिया। जब शोर मचा तो BCCI ने एक जांच कमेटी बना दी- आज तक कोई नहीं जानता कि कमेटी ने क्या रिपोर्ट दी? रणजी ट्रॉफी के स्वर्ण जयंती फंक्शन में ऑस्ट्रेलिया बोर्ड के चीफ फ्रेड बेनट ख़ास मेहमान थे- उनके सामने BCCI चीफ एनकेपी साल्वे ने इस तमाशे के लिए माफी मांगी। सबसे ख़ास बात तो फ्रेड बेनट ने कही- अगर जमशेदपुर में मैच खेलने के बाद, अहमदाबाद जाने के लिए, फिर से कोलकाता ही लौटना था तो क्रिकेटरों को ये क्यों नहीं कह दिया कि जरूरी सामान ही जमशेदपुर ले जाओ- बाकी का सामान एक दिन कोलकाता में ही रखा रहता। ये किसी ने नहीं सोचा।


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