IPL 2024: पंजाब किंग्स का नया होम ग्राउंड, टेस्ट क्रिकेटर के नाम वाले स्टेडियम में पटियाला राजघराने की क्रिकेट की खुशबू है
आईपीएल 2024 में पंजाब किंग्स टीम, अपने 'होम' मैच मोहाली में आईएस बिंद्रा पीसीए स्टेडियम में नहीं, पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अपने, मुल्लांपुर में नए बने महाराजा यादवेंद्र सिंह स्टेडियम में खेल रही है। मौजूदा...
इस स्टेडियम से जुड़ी कई बातें ख़ास हैं पर सबसे ख़ास है इसे दिया नाम। स्टेडियम का नाम पटियाला के आखिरी महाराजा यादवेंद्र सिंह के नाम पर है। वे महाराजा थे- इस वजह से स्टेडियम को उनका नाम दिया है या उनका कोई क्रिकेट कनेक्शन है? सच ये है कि वे भारत के टेस्ट क्रिकेटर भी थे- 1934 में एक टेस्ट मैच खेले थे। एक और परिचय- पंजाब के भूतपूर्व चीफ मिनिस्टर अमरिंदर सिंह के पिता थे।
वे टेस्ट क्रिकेटर होने के साथ-साथ, भारत में, बीते सालों में, क्रिकेट डेवलपमेंट के लिए बहुत कुछ जिम्मेदार थे। इसके लिए जहां जरूरत आई, पैसा भी खर्च किया। एक ख़ास रिकॉर्ड- ये आईपीएल मैच आयोजित करने वाला ऐसा पहला स्टेडियम है, जिसका नाम किसी भारतीय टेस्ट क्रिकेटर के नाम पर है।
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पटियाला राजघराने को संक्षेप में देखते हैं- लेकिन सिर्फ क्रिकेट के नजरिए से। महाराजा भूपिंदर सिंह, 1900 से 1938 में अपनी मृत्यु तक पटियाला के महाराजा थे। न सिर्फ भारत के टेस्ट देश बनने से पहले, बाद में भी, जहां एक ओर खेले, क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए दिल से काम और खर्चा किया। 1911 में इंग्लैंड टूर पर गई भारतीय टीम के कप्तान थे और जब 1926-27 में एमसीसी टीम भारत आई तो वे एमसीसी के लिए खेले। 1932 में भारत के पहले टेस्ट टूर के लिए वास्तव में कप्तान बार-बार बदले। सबसे पहले उन्हें ही कप्तान बनाया था पर टूर से लगभग दो हफ्ते पहले बीमार हो गए और टूर पर ही जाने से मना कर दिया।
अगले साल, भारत में फर्स्ट क्लास क्रिकेट की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए जो ट्रॉफी दी- उसे ही केएस रणजीतसिंहजी के सम्मान में, रणजी ट्रॉफी का नाम मिला और ये ट्रॉफी अभी भी खेल रहे हैं। कई विदेशी खिलाड़ियों के भारत में खेलने को स्पांसर किया। कई भारतीय खिलाड़ियों को नौकरी दी और अपनी टीम में शामिल किया। जब लाहौर में युवा क्रिकेटर के तौर पर लाला अमरनाथ का नाम चर्चा में था तो वे ही उन्हें पटियाला लाए थे। उन्हीं की कोशिशों से 1935-36 में भारत की टीम पहली बार ऑस्ट्रेलियाई टूर पर गई थी। सबसे ख़ास तो ये कि वह भारतीय बोर्ड और क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया की शुरुआत के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार लोगों में से एक थे। पूरी तरह फिट न होने के बावजूद खुद बंबई में ब्रेबॉर्न स्टेडियम के बनने में रुचि लेते रहे, उसे बनता देखने भी गए और इसे 'भारत का लॉर्ड्स स्टेडियम' कहते थे।
उनके पुत्र थे महाराजा यादवेंद्र सिंह जो उनके उत्तराधिकारी के तौर पर पटियाला के आखिरी महाराजा बने। वे भी कई मैच खेले- पिता टेस्ट क्रिकेटर न बन पाए पर वे 1934 में एक टेस्ट में खेले। ये टेस्ट फरवरी 1934 में इंग्लैंड के विरुद्ध चेन्नई में था और स्कोर कार्ड में यादवेंद्र सिंह को युवराज ऑफ़ पटियाला लिखा है। उस समय वे युवराज ही थे। टेस्ट में 24 (उस पारी में टॉप स्कोर सिर्फ 26 रन था- विजय मर्चेंट का) और 60 रन (टॉप स्कोर) बनाए- इसमें 50 रन 42 गेंद में बनाए थे जो डेब्यू पर भारतीय बल्लेबाज के सबसे तेज 50 का रिकॉर्ड रहा। कुल 50 गेंद खेले। गेंद की ये दोनों गिनती, किसी भी जगह उपलब्ध स्कोर कार्ड में नहीं मिलेंगी। ऑस्ट्रेलिया के चार्ल्स डेविस की रिसर्च के बतौर ये गिनती मालूम हुईं। यादवेंद्र सिंह 1938 में पटियाला के महाराजा बने। उनके समय में टेस्ट भी कम थे। इसके अतिरिक्त अन्य राजसी ड्यूटी की वजह से ज्यादा क्रिकेट खेल नहीं पाए पर डेब्यू टेस्ट का प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि क्रिकेट का टेलेंट था।
इसी परिवार की बदौलत पटियाला शहर भारत में खेलों का सेंटर बना। 1996 में भारत आई ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम एक मैच खेलने पटियाला गई थी। ये बोर्ड प्रेसीडेंट इलेवन-ऑस्ट्रेलिया मैच था जो दिल्ली में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी टेस्ट से पहले खेला था। आस्ट्रेलिया टीम ने ट्रेन में सफर किया था और इस ट्रेन यात्रा का ऑस्ट्रेलिया मीडिया में, मसाले लगाकर खूब जिक्र होता रहा। बाद में जब दिल्ली टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की टीम हार गई तो पटियाला में मैच को इस हार के लिए जिम्मेदार मान लिया था। ये सब एक मजेदार स्टोरी है।
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इस बार पूजा के साथ, फ्रैंचाइज़ी ने नए स्टेडियम में आईपीएल मैच खेलने का सिलसिला शुरू किया इस इच्छा से कि अगले आईपीएल में ओपनिंग सेरेमनी मुल्लांपुर में हो। इसके लिए पंजाब किंग्स को आईपीएल जीतना होगा।