सच ये है कि 2003 वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया अकेली ऐसी टीम थी जो सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की टीम पर भारी पड़ी और फाइनल से पहले टीम इंडिया, इसी ऑस्ट्रेलिया से लीग मैच में हारी थी। तब भी ये मानने वालों की कमी नहीं कि वह बड़ा मैच (फाइनल) तो भारत, वास्तव में मैच शुरू होने से पहले ही हार गया था- कैसे?
वह 23 मार्च 2003 का दिन था। जोहान्सबर्ग स्टेडियम में शोर के बीच मैच रेफरी रंजन मदुगले ने कहा- टेल्स और सौरव गांगुली के पास ये तय करने का मौका था कि क्या करना है? ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध ग्रुप स्टेज मैच गांगुली के जहन में था (सेंचुरियन में- पहले बैटिंग और भारत 125 रन पर आउट) और वे ये भी भूल गए कि लगातार 8 मैच जीते और फाइनल में पहुंचे थे। 'सौरव आपने टॉस जीत लिया है। आप क्या कर रहे हो अब?' कमेंटेटर माइकल होल्डिंग ने पूछा और गांगुली ने फील्डिंग को चुना। वजह जो गांगुली ने बताई- सुबह की बारिश से पिच नम है और तेज़ गेंदबाजों को मदद मिलेगी। गांगुली ने 'बैट' नहीं कहा पर रिकी पोंटिंग का कहना था कि वे टॉस जीतते तो भी बैटिंग ही चुनते।
भारत इस फाइनल में 360 के लक्ष्य को हासिल करने में बुरी तरह नाकाम रहा और सौरव गांगुली के उस अजीब फैसले की कीमत भारत ने चुकाई। ये 2003 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप उस युग में खेला गया था जब एक टीम क्रिकेट पर हावी थी और ऐसा माहौल था मानो ऑस्ट्रेलिया एक तरफ और बाकी की क्रिकेट की दुनिया दूसरी तरफ। ऑस्ट्रेलिया की टीम अपने सभी मैच जीतकर फाइनल में आई थी। तब भी, उम्मीद थी कि भारत, ऑस्ट्रेलिया को झटका देगा और किस्मत ने तो टॉस के साथ गांगुली को इसे चमकाने का मौका भी दे दिया था।