428 के स्कोर का अजीब सच जिसकी चर्चा ही नहीं होती
पाकिस्तान के क्रिकेटर आफताब बलूच का कराची में देहांत हो गया- लगभग 68 साल के थे। मीडिया में कहीं - कहीं ये खबर छपी। जहां भी छपी, बलूच के जिक्र में उनके 428 के स्कोर और छोटे से इंटरनेशनल करियर
पाकिस्तान के क्रिकेटर आफताब बलूच का कराची में देहांत हो गया- लगभग 68 साल के थे। मीडिया में कहीं - कहीं ये खबर छपी। जहां भी छपी, बलूच के जिक्र में उनके 428 के स्कोर और छोटे से इंटरनेशनल करियर में सिर्फ दो टेस्ट खेलने की बात की गई। बलूच को ज्यादा मशहूरी उनके फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 428 के स्कोर के लिए मिली पर ये भी एक रहस्य है कि जिसे एक समय जावेद मियांदाद से भी बेहतर बल्लेबाज गिना गया- वह सिर्फ दो टेस्ट ही क्यों खेला (उनके बीच भी 6 साल का समय) और ये भी कि 60 का स्कोर बनाने के बाद, पाकिस्तान ने उन्हें किसी टेस्ट इलेवन में नहीं चुना।
428 का स्कोर कोई कम नहीं होता (फर्स्ट क्लास क्रिकेट में इस समय 7 वां सबसे बड़ा स्कोर)- दूसरी टीम की गेंदबाजी का स्तर चाहे कैसा भी हो। हैरानी है कि खुद पकिस्तान में, इस रिकॉर्ड स्कोर के लिए उन्हें कभी वह तारीफ़ नहीं मिली- जिसके वे हकदार थे। बिल पोंसफोर्ड, आर्ची मैकलारेन, डॉन ब्रैडमैन, ब्रायन लारा तथा हनीफ मोहम्मद को जो चर्चा मिलती है- आफताब बलूच को कभी नसीब नहीं हुई। रिकॉर्ड स्कोर की उम्मीद के बावजूद, पाकिस्तान बोर्ड ने, मैच के बीच में भी, किसी फोटोग्राफर, रेडियो /टीवी कमेंट्री का इंतजाम नहीं किया- इसीलिए उस मैच की एक फोटो तक नहीं है ।
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बलूच ने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था कि पकिस्तान क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में उनके पिता मोहम्मद शमशेर बलूच (अविभाजित भारत में रणजी ट्रॉफी खेले और 1946 के इंग्लैंड टूर के लिए उन्हें शार्ट लिस्ट किया था) कभी सही जगह फिट नहीं हो पाए और पिता के प्रतिद्वंदियों ने आफताब का करियर बिगाड़ कर, बदला लिया। यही एक बहुत बड़ी वजह है कि आफताब बलूच के 428 के स्कोर से जुड़ी कई बातें दब कर ही रह गईं। इसी गुत्थी को खोलते हैं :
1973-74 सीज़न में बलूचिस्तान के विरुद्ध सिंध के कप्तान के तौर पर कराची में ये 428 (584 मिनट, 25x4) रन बनाए थे। सिंध ने बलूचिस्तान के 93 के जवाब में 951-7 पर पारी घोषित की और दूसरी पारी में बलूचिस्तान को 283 पर आउट कर मैच एक पारी और 575 रन से जीत लिया।
बलूचिस्तान के पास एजाज यूसुफ थे- यकीनन उनके सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज। साथ में ऑफ स्पिनर सैयद सबाहत हुसैन। ये मानना होगा कि गेंदबाजी कमज़ोर थी और जिन 10 गेंदबाज का पारी में इस्तेमाल हुआ उन सभी के नाम फर्स्ट क्लास करियर ख़त्म होने पर भी कुल 99 विकेट थे। 400 के जितने स्कोर बने हैं- ये उनमें सबसे घटिया गेंदबाजी थी।
एक बड़ा खास सवाल ये है कि सिंध ने इस पारी में 1000 रन का आश्चर्यजनक स्कोर क्यों नहीं बनाया (उससे पहले ये स्कोर सिर्फ दो बार बना था)- आम तौर पर पाकिस्तानी मीडिया में लिखा जाता है कि आफताब बलूच ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। बलूच के इस स्पष्टीकरण को कोई भाव नहीं दिया कि बलूचिस्तान के कप्तान ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर पारी समाप्त घोषित नहीं की, तो वे वाकआउट कर देंगे।
इस दौरान बशीर शाना (165), नासिर वालिका (74) और जावेद मियांदाद (100) के साथ पार्टनरशिप में कुल 712 रन जोड़े। जावेद ने इस सेंचुरी को अपने करियर में कभी भाव नहीं दिया और इतने बड़े रिकॉर्ड में हिस्सेदार होने के बावजूद अपनी ऑटोबायोग्राफी में इसका जिक्र भी नहीं किया।
दूसरे दिन के अंत में जब आफताब 326* पर थे तो बड़ी उम्मीद थी कि अगले दिन हनीफ मोहम्मद का 499 रन का रिकॉर्ड तोड़ेंगे। उन्हें बधाई देने की तैयारी में हनीफ मोहम्मद खुद स्टेडियम आ गए थे। जब बलूच 400 पार कर गए थे तो हनीफ ने उन्हें कहा था कि 500 का स्कोर बनाने का मौका छोड़ना मत।
ये रिकॉर्ड तो नहीं बना पर एक बड़ा अजीब रिकॉर्ड बना। चूँकि 428 में से सिर्फ 100 रन बॉउंड्री से आए इसका मतलब है बचे 328 रन के लिए वे चार मील से ज्यादा भागे- आज तक कोई एक पारी में इतना नहीं भागा है।
इस स्कोर को बनाने के बाद आफताब बलूच को 500 पाकिस्तान रूपए का इनाम मिला। पाकिस्तान बोर्ड ने बड़ा अजीब इनाम दिया- उन्हें 1974 में इंग्लैंड टूर की टीम में तो चुन लिया पर टीम के दूसरे विकेटकीपर के तौर पर (हालांकि वे सिर्फ जरूरत में ही विकेटकीपिंग करते थे) और मुकाबला था वसीम बारी जैसे विकेटकीपर से। तो टेस्ट कहां से खेलते?
पाकिस्तान बोर्ड ने इस टूर में एक और बड़ी अनोखी कोशिश की- टीम जिस भी होटल में ठहरी, वहां अगर कोई 'रूम नंबर 428' था तो उसे आफताब बलूच के लिए रिज़र्व करा दिया।
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था न ये सब बड़ा अजीब?