टीम इंडिया में जिस क्रिकेटर को 'मिसेज कांबली' कहते थे- वह आज कहां है?
ये शायद केबीसी पर कई लाख रुपये के इनाम का सवाल हो सकता है कि टीम इंडिया में किस क्रिकेटर को मिसेज कांबली कहते थे? वह क्रिकेटर आज कहां है- कोई खबर नहीं छपी। खबर तब छपी, जब मोहम्मद अजहरुद्दीन
ये शायद केबीसी पर कई लाख रुपये के इनाम का सवाल हो सकता है कि टीम इंडिया में किस क्रिकेटर को 'मिसेज कांबली' कहते थे?
वह क्रिकेटर आज कहां है- कोई खबर नहीं छपी।
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खबर तब छपी, जब मोहम्मद अजहरुद्दीन उनसे मिलने हैदराबाद में जुबली हिल्स के अपोलो हॉस्पिटल गए- वहां उस क्रिकेटर का किडनी ट्रांसप्लांट का इलाज चल रहा है। पिछले कुछ सालों से किडनी की बीमारी से परेशान थे- अब सर्जरी हो गई है। अजहरुद्दीन ने वहां वायदा किया कि हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन इलाज के खर्चे में मदद करेगा। अब आप समझ गए होंगे कि 4 वन डे इंटरनेशनल खेले ऑफ स्पिनर ,नोएल डेविड की बात हो रही है। ये चार वन डे भी, चार महीने के अंदर ही खेल लिए यानि कि बड़ा छोटा सा और साधारण भी (कुल 4 विकेट) इंटरनेशनल करियर पर ऐसा कमाल का कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास में जब भी सेलेक्टर्स के 'कमाल' की चर्चा होगी उनका नाम जरूर लिया जाएगा। जब भी सेलेक्टर्स और बोर्ड के, किसी ख़ास खिलाड़ी को लेकर, खुलेआम कप्तान की बात न मानने की बात होगी तो उनका नाम जरूर लिया जाएगा। साथ ही इस करियर ने दो अद्भुत निक नाम दिलाए- एक सचिन तेंदुलकर ने दिया तो दूसरे में सचिन के साथ मशहूर विनोद कांबली का नाम था।
हैदराबाद से आए इस क्रिकेटर ने वन डे में जो कुल 4 विकेट लिए- उसमें 3/21 का रिकॉर्ड तो डेब्यू पर ही दर्ज कर दिया था। आखिरी वनडे जुलाई 1997 में श्रीलंका के विरुद्ध खेला। 2002 में रिटायर होने के बाद, डेविड हैदराबाद टीम के लिए चीफ सेलेक्टर बने। डेविड उसी ऑल सेंट्स हाई स्कूल में पढ़े जिसने अज़हरुद्दीन के अतिरिक्त,आबिद अली, सैयद किरमानी और वेंकटपति राजू जैसे अन्य स्टार टेस्ट क्रिकेटर दिए।
असल में हुआ ये कि 1997 में भारत की टीम वेस्टइंडीज टूर पर गई- कप्तान थे सचिन तेंदुलकर। जो बहस सेलेक्शन कमेटी मीटिंग में होती है उसे लीक न करने की परंपरा है पर इस टूर की टीम चुनने के मामले में सब लीक हो गया। सचिन तेंदुलकर ने टूर टीम में एक ऑफ स्पिनर मांगा- सेलेक्शन कमेटी ने उनकी मांग नहीं मानी। कमेटी के चीफ रमाकांत देसाई के स्वर्णिम शब्द रिकॉर्ड में दर्ज़ हैं- देश में कोई ऐसा ढंग का ऑफ स्पिनर है कहां जो खेलने वेस्टइंडीज भेज दें? टीम में सीमर भर दिए।
अभी टूर शुरू ही हुआ था कि जवागल श्रीनाथ को चोट लग गई और तय था कि वे नहीं खेल पाएंगे। सचिन ने फौरन बीसीसीआई से, उनकी जगह एक गेंदबाज मांग लिया- तेंदुलकर ने फिर से ऑफ स्पिनर मांगा और सेलेक्टर्स की मदद (या अपनी पसंद बताने) के लिए- लिख दिया कि हैदराबाद के कंवलजीत सिंह या बड़ौदा के तुषार अरोठे में से किसी एक को भेज दो। सेलेक्शन कमेटी ने फिर से तेंदुलकर के अनुरोध को नहीं माना- जवागल श्रीनाथ की जगह लेने के लिए न तो कंवलजीत सिंह और न ही तुषार अरोठे को चुना। वे हैदराबाद के अनसुने नोएल डेविड को ढूंढ लाए- जिन रमाकांत देसाई को कुछ ही दिन पहले कोई ढंग का ऑफ स्पिनर नजर नहीं आया था- वे एक ऐसा ऑफ स्पिनर ले आए जिसका नाम तक किसी चर्चा में नहीं था। ये कहना ज्यादा सही होगा कि जिसका नाम तक नहीं सुना था।
कई साल तक कहा जाता रहा कि तेंदुलकर ने लिखित में कुछ नहीं भेजा था। आखिर में बीसीसीआई सचिव और सेलेक्शन कमेटी के कनवेनर जेवाई लेले ने माना कि तेंदुलकर ने फैक्स भेजा था और उसमें ऑफ स्पिनर- बड़ौदा के तुषार अरोठे और हैदराबाद के कंवलजीत सिंह का नाम भी लिखा था।
ये आज तक रहस्य है कि कमेटी ने तेंदुलकर की बात क्यों नहीं मानी? जिन डेविड को हैदराबाद की टीम में नियमित जगह नहीं मिल रही थी- उन्हें वेस्टइंडीज भेज दिया।
जैसे ही सेलेक्शन कमेटी के फैसले की खबर लेले ने तेंदुलकर को दी- वह चौंक गए। हैरान होकर, उसी वक़्त पूछ लिया- 'यह नोएल डेविड कौन है?' तेंदुलकर तब भी नहीं रुके। फ़ौरन , एक और फैक्स भेज दिया- अगर कंवलजीत नहीं, तो अरोठे को भेज दो, डेविड तो बिलकुल ही नहीं। इस फैक्स का भी कोई असर नहीं हुआ- डेविड को कहा गया कि वे बिना देरी रवाना हो जाएं। इस सारे नजारे को देखकर ये कहना ज्यादा ठीक होगा कि इस तरह नोएल डेविड को, तेंदुलकर पर थोप दिया।
कप्तान तेंदुलकर और कोच मदन लाल दोनों ने विंडीज के लिए टीम के चयन से पहले ही कह दिया था कि वे टीम में एक ऑफ स्पिनर चाहते हैं पर सेलेक्टर्स ने किसी को नहीं चुना था।रमाकांत देसाई का क्लासिक जवाब था- 'मुझे एक ऐसा ऑफ स्पिनर दिखाओ जो बाएं हाथ के बल्लेबाजों के विकेट लेने योग्य हो- मैं उसे टीम में शामिल करूंगा।' बाद में वे ऐसा खुद ही ढूंढ लाए।
तेंदुलकर भी पक्के जिद्दी निकले- डेविड को पूरी टेस्ट सीरीज में बेंच पर बैठाए रखा यानी कि टूरिस्ट बना दिया। आखिर में वन डे सीरीज में मौका दिया। डेविड ने पोर्ट-ऑफ-स्पेन में डेब्यू पर 21 रन देकर 3 विकेट लिए- ये कई साल तक डेब्यू पर किसी भी भारतीय गेंदबाज की सबसे बेहतर गेंदबाजी का रिकॉर्ड रहा (24 साल तक और प्रसिद्ध कृष्णा ने इसे 4/54 के प्रदर्शन के साथ सुधारा- इंग्लैंड के विरुद्ध पुणे में)। बाद में कोलंबो में एशिया कप के लिए टीम में थे पर सिर्फ एक ही मैच खेले। रिटायर होने के बाद वे अमेरिका चले गए थे ।
प्रसिद्ध कृष्णा के चार विकेट का रिकॉर्ड टीवी स्क्रीन पर आया तो साथ ही नोएल डेविड का नाम भी स्क्रीन पर था। अपना नाम देखकर नोएल बड़े खुश थे। इस किस्से ने, कप्तानी को लेकर तेंदुलकर के मन में ऐसी खटास पैदा की कि उन्हें कप्तानी छोड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी।
इस तरह सचिन ने उन्हें निकनेम दिया- नोएल 'हू' डेविड। चूंकि विनोद कांबली की पत्नी का नाम नोएल था- इसलिए टीम के क्रिकेटरों ने डेविड को 'मिसेज कांबली' कहना शुरू कर दिया।
ईश्वर करे, वे जल्दी फिट हों।