वर्ल्ड कप 2023 में टीम के जीत के अभियान के दौरान हार की बात शायद सही चर्चा न लगे पर हार को कभी न भूलें तो ही अच्छा रहता है। वर्ल्ड कप में. भारत को मिली किस हार पर सबसे ज्यादा दुःख हुआ था? वैसे तो पहले दोनों वर्ल्ड कप में कई मैच हारे पर तब वास्तव में जीत की उम्मीद के साथ खेले कहां थे? 1983 वर्ल्ड कप ने जीतने की आदत डाली और जब 1987 वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल का मुकाम आया तो संयोग ये था कि दोनों मेजबान अलग-अलग सेमीफाइनल खेल रहे थे और ये लगभग तय ही मान लिया था कि ईडन गार्डंस में भारत-पाकिस्तान फाइनल देखेंगे हजारों दर्शक।
किस्मत को कुछ और ही मंजूर था- एक तरफ ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को हराया तो दूसरी तरफ इंग्लैंड ने भारत को। लगातार दूसरा वर्ल्ड कप जीतने का भारत का सपना एकदम टूट गया और करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीद टूट गई। उसके बाद से भी भारत वर्ल्ड कप में मैच हार चुका है पर उस सेमीफाइनल की हार का दर्द वे अभी भी महसूस करते हैं जो उस मैच से जुड़े थे। इंग्लैंड के 254-6 के जवाब में भारत की टीम 219 रन बनाकर आउट हुई और 35 रन से हारे।
इस हार के लिए जिम्मेदार एक फैक्टर चुनने की बात आए तो क्रिकेट पंडित आम तौर पर ग्राहम गूच (136 गेंद में 115) की इनिंग को चुनते हैं- सब मानते हैं कि गूच ने स्वीप लगाकर भारत को 1987 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हरा दिया। मजे की बात ये है कि खुद गूच भी यही मानते हैं और आज भी उन्हें सबसे ज्यादा हैरानी इस बात पर है कि उनके लगातार स्वीप के बावजूद कपिल देव ने फ़ील्ड नहीं बदली।