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पेरिस ओलंपिक से पहले जब BCCI ने दिखाया था बड़ा दिल, दूसरे खेलों की मदद के लिए थे 50 करोड़ रुपये

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने पिछले दिनों टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम को 125 करोड़ रुपये का नकद इनाम देने के अतिरिक्त, अपने खजाने से दो और भी बड़े खर्चे बिना शेड्यूल किए- बीमार टेस्ट क्रिकेटर अंशुमन गायकवाड़

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पेरिस ओलंपिक से पहले जब BCCI ने दिखाया था बड़ा दिल, दूसरे खेलों की मदद के लिए थे 50 करोड़ रुपये
पेरिस ओलंपिक से पहले जब BCCI ने दिखाया था बड़ा दिल, दूसरे खेलों की मदद के लिए थे 50 करोड़ रुपये (Image Source: Twitter)
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Aug 07, 2024 • 08:26 AM

अब तो और कई खेल ऐसी ही मदद की आस लगाने लगे। तब तक देश में खेलों के लिए अलग से कोई बजट मंजूर नहीं होता था। फुटबॉल फेडरेशन ने तो 25 करोड़ रुपये मांग भी लिए और कहा कि 2011 एशिया कप की तैयारी के लिए 10 करोड़ रुपये तो एकमुश्त दे दो। बीसीसीआई के सामने सवाल आ गया कि सीधे अलग-अलग खेल एसोसिएशन की मदद करें या सरकार को ही पैसा देते रहें? 

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
August 07, 2024 • 08:26 AM

सच ये है कि बीसीसीआई के 50 करोड़ डालने से जो फंड बना वह तो चर्चा से गायब ही हो गया। बीसीसीआई प्रतिनिधि को सिर्फ दो मीटिंग में बुलाया (और 29 मई 2009 के बाद तो एक बार भी नहीं), किसी साल खर्चे का हिसाब न मिला। नतीजा ये रहा कि चार साल बाद, बीसीसीआई के सब्र का बांध टूटा और जून 2012 में बीसीसीआई ने युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) से पैसे के खर्चे का हिसाब मांग लिया- ये हिम्मत वाली चिट्ठी तब के बीसीसीआई सेक्रेटरी संजय जगदाले ने लिखी।  

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तब खेल मंत्री अजय माकन ने जवाब दिया जिसमें सिर्फ 10 करोड़ रुपये के खर्चे का जिक्र था- ओलंपियन पीटी उषा की केरल में एकेडमी को (जहां एथलीट तैयार हो रहे हैं) 4 करोड़ रुपये और जम्मू-कश्मीर सरकार को मल्टी परपज स्पोर्ट्स स्टेडियम के लिए 6 करोड़ रुपये दिए। ये दोनों खर्चे इस फंड के उद्देश्य में थे ही नहीं। इस पर बीसीसीआई वाले बौखला गए और दिलेरी दिखाकर कह दिया कि ऐसे तो और दूसरे खेलों के लिए मदद नहीं देंगे। मजे की बात ये कि तब तक तो बीसीसीआई को बताए बिना फंड भी खत्म कर दिया था और पूरा पैसा खेलों की मदद वाले कहीं बड़े- राष्ट्रीय खेल विकास फंड (National Sports Development Fund)  में डाल दिया। 

बीसीसीआई में तो तब ये भी चर्चा हुई कि अपना पैसा वापस मांग लो। उधर इंटरनेशनल ओलंपिक काउंसिल (आईओसी) ने आईओए को गड़बड़ियों के लिए सस्पेंड कर दिया। ऐसे में बीसीसीआई की पैसा वापस मांगने की बात और चर्चा में आ गई। खैर इस सब के चलते 2016 आ गया और तब तक सरकार ने बीसीसीआई की इनकम टैक्स की छूट भी खत्म कर दी। इस समय अनुराग ठाकुर बीसीसीआई प्रेसिडेंट थे और सितंबर 2016 में उन्होंने तो यहां तक कहा कि बीसीसीआई को मिली इनकम टैक्स छूट वापस ले रहे हैं तो बीसीसीआई के लिए ओलंपिक स्पोर्ट्स की मदद करना बड़ा मुश्किल होगा। ये भी कहा कि अगर पहले दिया 50 करोड़ रुपया खर्च नहीं हुआ तो इसे वापस कर सकते हैं। उन्होंने जब ये सब कहा तो सोचा भी नहीं था कि बाद में खुद ही खेल मंत्री बन जाएंगे और एक दिन ये फाइल उन के ही सामने आ जाएगी। 

इन बदले हालात में सब बदल गया और 'दोस्ती' हो गई। बीसीसीआई में भी सोच बदली और बीसीसीआई ने 2021 में पुराने किस्से छेड़े बिना, ओलंपिक एथलीटों के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए- ओलंपिक से पहले 7.5 करोड़ रुपये दिए। बीसीसीआई के नए संविधान के मुताबिक़ ऐसे उद्देश्य के लिए सिर्फ 2.5 करोड़ रुपये ही दे सकते थे पर एपेक्स कॉउंसिल ने इसके लिए ख़ास मंजूरी दी। 

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और तो और बीसीसीआई ने सुधरे संबंध का एक और सबूत दिया तथा टोक्यो ओलंपिक में मेडल विजेताओं को 4 करोड़ रुपये के नकद इनाम दिए। अब इसी तरह नई 8.5 करोड़ रुपये की, बिना शर्त, नकद मदद दी। खैर बीसीसीआई का पैसा खेलों पर खर्च हो इससे बेहतर और क्या होगा?
 

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