हेडिंग्ले में, टीम इंडिया के 0 पर 4 विकेट गिरने जैसा अद्भुत रिकॉर्ड और कोई नहीं, अब यहीं पहला टेस्ट होगा
India vs England Headingley 1952: कोई भी टीम, अपनी टेस्ट पारी की बिना रन बनाए विकेट खोने जैसी, खराब शुरुआत कभी नहीं चाहेगी। आज तक टेस्ट क्रिकेट में 5 बार ऐसा हुआ है कि पारी की शुरुआत में 0 पर ही

India vs England Headingley 1952: कोई भी टीम, अपनी टेस्ट पारी की बिना रन बनाए विकेट खोने जैसी, खराब शुरुआत कभी नहीं चाहेगी। आज तक टेस्ट क्रिकेट में 5 बार ऐसा हुआ है कि पारी की शुरुआत में 0 पर ही 3 विकेट गिर गए लेकिन भारत अकेली ऐसी टीम है जिसने स्कोर बोर्ड पर एक भी रन के बिना अपने पहले 4 विकेट खो दिए थे। ये कमाल 1952 में हेडिंग्ले में इंग्लैंड के विरुद्ध दूसरी पारी में देखने को मिला।
आउट होने वाले बल्लेबाज पंकज रॉय, दत्ता गायकवाड़, माधव मंत्री और विजय मांजरेकर थे। इंग्लैंड की तरफ से फ्रेड ट्रूमैन ने तीन और एलेक बेडसर ने एक विकेट लिया और मिलकर भारत के टॉप ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया।
1899 में, इसी ग्राउंड पर, ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में पहले चार विकेट एक ही स्कोर (34) पर गिरे लेकिन खाता खोले बिना 4 विकेट गंवाना तो टेस्ट इतिहास में एक यादगार है। संयोग से नवंबर 1999 में, दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध जोहान्सबर्ग में, इंग्लैंड का भी लगभग यही हश्र हो रहा था लेकिन चौथा विकेट गिरने तब 2 रन बना लिए थे।
इस तरह, 73 साल बाद भी बिना रन बनाए पारी की शुरुआत में चार विकेट गिरने का रिकॉर्ड भारत के ही नाम है। सच तो ये है कि सिर्फ़ 14 गेंद के बाद ही स्कोर 0-4 था और इस अभी तक अविश्वसनीय और अनोखे नज़ारे ने क्रिकेट की दुनिया में हर किसी को चौंका दिया। इस रिकॉर्ड के बनने के लिए सबसे ज्यादा ज़िम्मेदार 21 साल के वह तेज़ गेंदबाज़ फ्रेड ट्रूमैन थे जो वास्तव में अपना डेब्यू कर रहे थे। एक के बाद एक विकेट गिरते देख, चारों तरफ घबराहट और किसी सदमे जैसा माहौल था। जब यॉर्कशायर इवनिंग पोस्ट के रिपोर्टर ने इस स्कोर की खबर अपने अखबार के ऑफिस को भेजी तो स्पोर्ट्स एडिटर को इस पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने हैरान हो, रिपोर्टर को फटाफट फोन से पूछ लिया, 'क्या ये स्कोर सही है? ध्यान से देखो, कहीं स्कोर उलटा तो नहीं पढ़ रहे?'
वह शनिवार का दिन था और दोपहर के वक्त हेडिंग्ले स्टैंड्स में मौजूद 25000 दर्शकों को हो रहे खेल पर यकीन ही नहीं हो रहा था। उसी तरह से इंग्लैंड के खिलाड़ी भी हैरान थे। ट्रूमैन ने बाद में बताया कि जब 14 गेंद में चौथा विकेट गिरा तो, 'मुझे खुद इस पर विश्वास नहीं हो रहा था...'
इस टेस्ट में उनके डेब्यू की स्टोरी भी बड़ी मजेदार है। वे नेशनल सर्विस के तहत रॉयल एयर फ़ोर्स में ड्यूटी पर थे और उन्हें वहीं से टेस्ट खेलने बुलाया था। ग्रुप कैप्टन ने उन्हें सिर्फ इस शर्त पर जाने की इजाजत दी कि वे ग्रुप कैप्टन और उनकी पत्नी के लिए टेस्ट की टिकटों का इंतजाम कर देंगे।
भारत ने सीरीज के इस पहले टेस्ट से पहले कुल 9 प्रेक्टिस मैच खेले थे और स्कोर 1-1 था जबकि बाकी मैच ड्रॉ रहे थे। कुछ महीने पहले ही तो भारत ने इंग्लैंड के विरुद्ध अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज की थी। इस सब से टीम का हौसला बढ़ा हुआ था। भारत ने पहले बल्लेबाजी की और युवा विजय मांजरेकर के 100 (133) की मदद से 293 रन बनाए। उन्होंने साढ़े चार घंटे की बल्लेबाजी में 19 चौके भी लगाए। कुल स्कोर कोई खास बड़ा नहीं था पर गेंदबाज भारत को मुकाबले पर वापस ले आए जिसमें गुलाम अहमद ने 5 विकेट लिए। गुलाम अहमद ने बड़ी मेहनत की थी और इन विकेट के लिए 63 ओवर (24 मेडन) फेंके।
टेस्ट के तीसरे दिन जब भारत ने अपनी दूसरी पारी शुरु की तो वे पहली पारी के स्कोर में 41 रन से पीछे थे। इंग्लैंड को मिली बढ़त कोई ख़ास बड़ी नहीं दिख रही थी। साथ में इस पिच पर खेलना धीरे-धीरे मुश्किल हो रहा था। उस पर इंग्लैंड को तो टेस्ट में चौथी पारी भी खेलनी थी। इसलिए भारत की जीत की भी संभावना मान रहे थे। इस सोच के माहौल में एकदम सब बदल गया और जब भारत के 0 पर 4 विकेट गिर गए तो कुछ ही मिनट में यूं लगा कि टेस्ट तो खत्म ही होने वाला है। किसी ने भी पारी की इतनी खराब शुरुआत कभी नहीं देखी थी।
बेडसर ने जिस गेंद पर गायकवाड़ को आउट किया सिर्फ उसमें ही पिच के मिजाज की हरकत दिखाई दी अन्यथा ट्रूमैन की गेंद की तेजी ने बाकी सभी को हैरान कर दिया था। इसके बाद हजारे ट्रूमैन की हैट्रिक रोकने में कामयाब रहे, क्योंकि मंत्री और मांजरेकर दो लगातार गेंद पर आउट हो गए थे। असल में किस्मत ही अच्छी थी अन्यथा स्कोर 0-5 होने वाला था और हैट्रिक भी बनती। हजारे ने हाफ-कॉक फॉरवर्ड शॉट खेला और गेंद बैट के अंदरूनी किनारे को छू सीधे लेग स्टंप पर गई पर करीब से निकल गई।
चौथे दिन का खेल शुरू हुआ तो भारत 95 रन से आगे था और 4 विकेट बचे थे। इंग्लैंड को जीत के लिए सिर्फ 125 रन का लक्ष्य मिला। इंग्लैंड ने इस छोटे लक्ष्य को आसानी से हासिल नहीं किया और गुलाम ने उन्हें सबसे ज्यादा परेशान किया। आखिर में वे 7 विकेट से जीते।
अपने पहले टेस्ट में ट्रूमैन ने 166 रन देकर 7 विकेट लिए। एक रिपोर्ट के अनुसार टेस्ट शुरू होने से पहले ट्रूमैन ने, अपना 39वें टेस्ट खेल रहे सीनियर गेंदबाज बेडसर से बड़े आत्मविश्वास से, उन्हें सलाह देते हुए कहा था, 'अगर आप एक छोर पर उन्हें रोक लें तो मैं उन्हें आउट कर दूंगा।' देखिए उन्होंने दूसरी पारी में क्या किया:
गेंद नंबर 2, गेंदबाज ट्रूमैन: पंकज रॉय की हुक की कोशिश में टॉप एज और डेनिस कॉम्पटन ने पहली स्लिप में कैच लिया (0-1)।
गेंद नंबर 10 गेंदबाज बेडसर : दत्ता गायकवाड़ को लेंथ गेंद जिसके तेजी वे झेल नहीं पाए और आसान कैच (0-2)।
गेंद नंबर 13, गेंदबाज ट्रूमैन: विकेटकीपर माधव मंत्री के मिडिल स्टंप को हवा में उड़ा दिया (0-3)।
गेंद नंबर 14, गेंदबाज ट्रूमैन: मांजरेकर गेंद की तेजी से हैरान, घबराहट में कवर ड्राइव की कोशिश में गेंद लेग स्टंप पर जा लगी (0-4)। 8 गेंद में ट्रूमैन का ये तीसरा विकेट था।
एक बड़े सवाल का आज तक जवाब नहीं मिला कि विकेटों के अचानक गिरने के दौरान, भारत ने बल्लेबाजी ऑर्डर में अचानक बदलाव क्यों किया? तीन विकेट गिरने के बाद, अगले बल्लेबाज कप्तान और टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी विजय हजारे थे। जब मंत्री आउट हो पवेलियन लौट रहे थे तो वे ये देखकर हैरान रह गए कि विजय हजारे नहीं, एक 20 साल का, अपना तीसरा टेस्ट खेल रहा युवा बल्लेबाज विजय मांजरेकर क्रीज पर जा रहा है। कप्तान ने बल्लेबाजी का आर्डर बदला और खुद नीचे खेलने का जो फैसला किया, जिसे कई जानकार ने उनकी कायरता कहा था। कप्तान को तो ऐसे में खुद मोर्चा संभालना चाहिए था। कुछ साल बाद, एक इंटरव्यू में माधव मंत्री ने कहा, 'जब पवेलियन लौटते हुए मांजरेकर मेरे सामने पड़े तो मुझे आज भी याद है कि उनका चेहरा पीला पड़ा हुआ था।'
'उन्होंने गुस्से में मेरी तरफ देखा और मराठी में बुदबुदाया, ‘माला बकरा बनौला (मुझे बलि का बकरा बनाया है)', मंत्री ने बताया।
मंत्री ने आगे कहा,'हजारे 0 पर 3 के स्कोर से बने दबाव से बचना चाहते थे और इसलिए मांजरेकर को अपने से भी पहले बल्लेबाजी के लिए भेज दिया। इस तरह खुद को बचाने के लिए उन्होंने जो किया वह नहीं होना चाहिए था।'
बहरहाल इसका कोई फायदा नहीं हुआ और जब मांजरेकर आउट हो गए तब भी स्कोर 0 ही था। उस वक्त, इंग्लैंड के कप्तान बनने वाले पहले प्रोफेशनल क्रिकेटर लेन हटन ने स्कोरबोर्ड की ओर इशारा करते हुए अपने खिलाड़ियों से कहा, “इसे अच्छी तरह से देख लो, टेस्ट क्रिकेट में ऐसा स्कोर देखने का दूसरा मौका कभी नहीं मिलेगा।'
टेस्ट के बाद क्या हुआ?
* भारत के मैनेजर पंकज गुप्ता ने माना कि उनके खिलाड़ी ट्रूमैन से डर गए थे। उन्होंने यॉर्कशायर पोस्ट को बताया, 'इस ट्रूमैन ने उन्हें भयभीत कर दिया है।'
* ट्रूमैन को अपने इस बेहतरीन डेब्यू का जश्न मनाने का भी मौका नहीं मिला। उन्हें आदेश मिला कि फ़ौरन आरएएफ की ड्यूटी पर रवाना हो जाएं। आरएएफ की क्रिकेट टीम हॉलैंड
और जर्मनी के टूर पर थी और उन्हें सीधे टीम में शामिल होने का आदेश मिला। वे लॉर्ड्स में दूसरे टेस्ट के लिए, टेस्ट से दो दिन पहले शाम को जर्मनी से निकले, बस, ट्रेन, फेरी, टैक्सी, एक और ट्रेन और टैक्सी का सफर करते हुए टेस्ट से पिछली रात 8.15 बजे लंदन में टीम होटल पहुंचे।
* भारतीय कैंप में डिप्रेशन का माहौल था। पंकज गुप्ता और हजारे ने बीसीसीआई से बात की और इसके बाद ही वीनू मांकड़ को सीरीज के बचे टेस्ट के लिए टीम में शामिल किया।
* ट्रूमैन ने सीरीज के 4 टेस्ट में 29 विकेट लिए।
* इंग्लैंड ने सीरीज 3-0 से जीती। ओवल में बारिश ने भारत को व्हाइटवॉश से बचा लिया था।
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चरनपाल सिंह सोबती