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2003 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की जर्सी पर नहीं था स्पांसर का नाम, ये झगड़ा बना था वजह

लखनऊ के सहारा ग्रुप के फाउंडर सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में देहांत हो गया। एक छोटे से व्यवसायी, जो कुछ साल में देश के सबसे बड़े व्यापारी ग्रुप में से एक बन गए और सहारा श्री का

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti November 27, 2023 • 11:08 AM
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अब वापस लौटते हैं 2003 वर्ल्ड कप पर। वे स्पांसर थे टीम इंडिया के पर उस वर्ल्ड कप के फोटो देखें तो टीम इंडिया की जर्सी पर सहारा का नाम नहीं था। इसके पीछे जो वजह थी उसी के कारण उन्होंने टीम को स्पांसर करने से इनकार किया था। असल में ये झगड़ा वर्ल्ड कप से भी पहले का था।

ये शुरू हुआ 2002 की चैंपियंस ट्रॉफी से जो श्रीलंका में खेली गई। उस ट्रॉफी के दौरान भी, सहारा के टीम स्पांसर होने के बावजूद, टीम इंडिया की जर्सी पर कोई लोगो नहीं था। तब आईसीसी में एंटी-एंबुश मार्केटिंग क्लॉज का बड़ा शोर था और आईसीसी का कहना था कि जो उनके स्पांसर हैं- उनकी कोई भी प्रतिद्वंद्वी ब्रांड, किसी भी टीम की जर्सी पर अपना लोगो नहीं लगा सकती। सहारा ग्रुप तब क्रिकेटरों की जर्सी पर सहारा एयरलाइंस का लोगो लगाते थे और चूंकि साउथ अफ्रीकन एयरलाइंस स्पांसर थे आईसीसी के, इसलिए आईसीसी ने कह दिया कि टीम इंडिया की जर्सी पर सहारा एयरलाइंस का लोगो नहीं लग सकता। बीसीसीआई की कोई कोशिश काम न आई और आईसीसी ने इस शर्त में कोई रियायत नहीं दी। 

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नतीजा ये रहा कि सहारा ने टीम को स्पांसर नहीं किया और बीसीसीआई ने बहुत बड़ा नुकसान झेला। 5 अक्टूबर 2002 को बीसीसीआई ने सहारा को एक चिठ्ठी में वायदा किया था कि 2003 वर्ल्ड कप से पहले इस मसले को सुलझा लेंगे इसलिए वे स्पांसर बने रहें पर बात बनी नहीं। सहारा ग्रुप तो इस बात के लिए भी तैयार था की 'सहारा' की जगह 'सुब्रत' शब्द लिखने दें पर आईसीसी ने इसे भी नहीं माना। ये वास्तव में बीसीसीआई के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था पर वे कुछ कर न पाए।    

जल्दी ही 2003 का वर्ल्ड कप सामने आ गया और फिर से यही झगड़ा शुरू हो गया। आईसीसी ने इस बार भी कोई भी रियायत देने से इंकार कर दिया और दूसरी तरफ बीसीसीआई ने अपना नुकसान बचाने के लिए सहारा इंडिया को अपने से अलग नहीं होने दिया। टकराव वही एयरलाइन व्यवसाय का था- आईसीसी स्पांसर साउथ अफ्रीकन एयरलाइंस को आईसीसी का पूरा सपोर्ट हासिल था। बीसीसीआई ने तो आईसीसी को यहां तक धमकी दी कि वे इस अजीब फैसले के विरोध में, हर्जाना वसूल करेंगे और जरूरत हुई तो लुसाने (स्विट्जरलैंड) में इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे। 

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तब बीसीसीआई चीफ जगमोहन डालमिया थे। हालांकि थे तो वे भी बड़े प्रभावशाली अधिकारी पर तब आईसीसी पर बीसीसीआई का आज जैसा रूतबा नहीं था। कुछ नहीं हुआ और सहारा ने, इस सब के बावजूद बीसीसीआई का साथ नहीं छोड़ा और दक्षिण अफ्रीका में वर्ल्ड कप के दौरान, भारतीय खिलाड़ियों की जर्सी पर अपने नए प्रोजेक्ट 'एंबी वैली' का लोगो लगा दिया। इससे उन्हें कोई कमर्शियल फायदा न मिला क्योंकि ये तो भारत का एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट था पर वे नुकसान उठाकर भी भारतीय क्रिकेट का 'सहारा' बने रहे।
 



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