आज पूरा विश्व भले ही फीफा वल्र्ड कप को लेकर दिवाना बना है और खिलाड़ियों में वल्र्ड कप जीतने का जुनून भी दिख रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है कि फुटबॉल के प्रति जोश और जुनून सिर्फ यहीं दिख रहा है। बिहार के मुंगेर जिला के एक गांव में भी फुटबॉल को लेकर जोश और जुनून कम नही है। फुटबॉल के प्रति इस गांव की दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस गांव के प्रत्येक घर में एक फुटबॉलर है, जो सुबह होते मैदान में पहुंच जाते है और घंटों पसीना बहाते हैं।
मुंगेर जिले के सदर प्रखंड क्षेत्र का शीतलपुर ऐसा गांव है जहाँ 10 वर्ष के बच्चे से लेकर 35 वर्ष उम्र के खिलाड़ी दिन-रात मैदान में मेहनत कर पसीना बहा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इस गांव के फुटबॉलर ने सफलता नहीं पाई है। यहां के कई खिलाड़ी बिहार टीम की कप्तानी तक कर चुके हैं।
फुटबॉल के प्रति जोश, जुनून और दीवानगी का आलम यह है कि इस गांव में तीन-तीन क्लब हैं, जो खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में मदद भी करता है। युवा इन क्लबों से जुड़ जाते हैं। इस गांव के लोगों में फुटबॉल के प्रति दीवानगी के कारण इस गांव की पहचान भी फुटबॉलर गांव के रूप में होती है। इस गांव के 12 से अधिक ऐसे खिलाड़ी है जो राज्य और देश स्तर तक अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं।