टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीता था। वह इस खेल में पदक जीतने वाले भारत के पहले एथलीट थे। नीरज की सफलता ने इस खेल को भारत में बड़ी लोकप्रियता दिलायी। 2024 में पेरिस में आयोजित ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने रजत पदक जीत फिर से अपना दबदबा बनाया। नीरज की लगातार दो ओलंपिक में हासिल की गई उपलब्धियों ने दुनिया को ये बता दिया था कि जैवलिन में भारत एक वैश्विक शक्ति बन चुका है।
जैवलिन में नीरज की वैश्विक स्तर पर बड़ी कामयाबी के बाद अब दुनियाभर के फैंस को इस बात का इंतजार था कि भारत कब जैवलिन के किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के इवेंट का आयोजन करेगा। इस इंतजार को नीरज चोपड़ा ने अपने ही नाम से 'नीरज चोपड़ा क्लासिक' इवेंट की शुरुआत 2025 में खत्म किया।
5 जुलाई 2025 को बेंगलुरु के श्री कांतीरवा स्टेडियम में नीरज चोपड़ा क्लासिक 2025 का पहला संस्करण आयोजित हुआ। यह भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय भाला फेंक टूर्नामेंट था, जो वर्ल्ड एथलेटिक्स कॉन्टिनेंटल टूर गोल्ड लेवल का हिस्सा बना। इस आयोजन की शुरुआत नीरज चोपड़ा की व्यक्तिगत पहल से हुई। जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स के सहयोग और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) की मान्यता से यह टूर्नामेंट संभव हो सका। मूल रूप से पंचकूला में प्रस्तावित यह इवेंट बेंगलुरु स्थानांतरित किया गया। इसकी वजह बेंगलुरु का बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और लाइटिंग की सुविधा थी। भारत-पाकिस्तान तनाव की वजह से इस इवेंट को पूर्व में स्थगित भी करना पड़ा था। मुकाबले के दौरान 15,000 दर्शकों की मौजूदगी ने इसे सफल बनाया।