कुश्ती भारत का एक पारंपरिक खेल है। इसका वर्णन हमारे पुराणों में भी मिलता है। समय के साथ यह पारंपरिक खेल अब वैश्विक बन चुका है। भारतीय पहलवानों का दबदबा पूरी दुनिया में है। कॉमनवेल्थ गेम्स और ओलंपिक में पहलवानों के जीते पदक इस बात की गवाही देते हैं।
कुश्ती करने वाले पहलवान अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों के होते हैं, और जब उनकी राष्ट्रव्यापी पहचान नहीं बनती, उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने और पहलवानों को अपनी क्षमता के प्रदर्शन का मौका देकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए भारतीय कुश्ती संघ ने प्रो रेसलिंग लीग की शुरुआत की थी।
प्रो रेसलिंग लीग की शुरुआत 2015 में प्रोस्पोर्टिफाई और भारतीय कुश्ती संघ द्वारा शुरु की गई थी। इस पहल ने देश में कुश्ती के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का काम किया था। प्रो रेसलिंग लीग भारतीय पहलवानों को वैश्विक एक्सपोजर देती है। लीग में ओलंपिक चैंपियन व्लादिमीर खिंचेंगाशविली (जॉर्जिया), हेलेन मारौलिस (अमेरिका), और सोस्लान रमनोव (रूस) खेल चुके हैं। इन दिग्गजों की मौजूदगी ने युवा भारतीय पहलवानों को बड़े स्तर पर यादगार प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया था। बजरंग पुनिया अपने ओलंपिक पदक (कांस्य, टोक्यो ओलंपिक) का श्रेय लीग को देते हैं।