दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के निदेशकों के पास डीआईएन, शीर्ष परिषद की बैठक सही: अधिकारी
दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) की शीर्ष परिषद की बैठक को गैरकानूनी बताने वाले बयान का संघ के संयुक्त सचिव राजन मानचंद ने मंगलवार को खंडन किया। डीडीसीए की रविवार को हुई बैठक को यह कहते हुए गैराकानूनी बताया गया था कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए निदेशकों के पास उनका डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) नंबर नहीं था। इस बैठक में निदेशक संजय भारद्वाज और वकील गौतम दत्ता, जो डीडीसीए के परामर्शदाता और लीगल रिटेनर थे, उन्हें पदों से हटा दिया गया था। इन दोनों ने ही मंगलवार को कहा था कि डीडीसीए की शीर्ष परिषद की बैठक गैरकानूनी है और रिमोट कंट्रोल के माध्यम से आयोजित की गई है।
मानचंदा ने आईएएनएस से कहा, "वह कैसे कह सकते हैं कि सराकर द्वारा नियुक्त किए गए निदेशकों के पास डीआईएन नंबर नहीं हैं और रविवार को हुई बैठक गैर-कानूनी है? उन सभी के पास डीआईएन नंबर है। मनिंदर सिंह का डीआईएन 07170182, रजनी अब्बी का डीआईएन 08867489 और सुनील कुमार यादव का डीआईएन 07238172 ये है।"
डीआईएन एक नंबर होता है जो कंपनीके निदेशक को दिया जाता है।
भारद्वाज ने यह कहते हुए बैठक को गैरकानूनी बताया था कि निदेशकों के पास डीआईएन नंबर नहीं है। वहीं दत्ता ने कहा था कि इस बैठक में न चार निदेशकों ने हिस्सा लिया जिन्हें पूर्व लोकपाल ने रोटेशन के तहत सेवानिवृत्त कर दिया था।
डीडीसीए की रविवार को हुई शीर्ष परिषद की बैठक का मुद्दा मंगलवार को दिल्ली उच्य न्यायालय में डीडीसीए और उसके निदेशक सुधीर कुमार अग्रवाल के मामले की सुनवाई में भी उठाया गया, डीडीसीए का पक्ष रखते हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने बैठक का जिक्र किया। अदालत ने उन्हें इस पर अलग से आपत्ति दर्ज कराने को कहा क्योंकि वह सिर्फ एफएओ 92/2020 मामले की ही सुनवाई करेंगे।
दत्ता ने मानचंदा को उन लोगों में बताया जिन्होंने फिरोजशाह कोटला में रेस्टोरेंट, बार, मेंम्बर्स लाउंच बनाने के लिए छह करोड़ से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट विवादित रूप से एमएसएल जांगिड़ को दिया था। जब किसी डीडीसीए अधिकारी ने इसका विरोध किया और फर्म के पते पर जाकर देखा तो वहां उसे कोई नहीं मिला।
दत्ता ने आईएएनएस को दिए लिखित जवाब में बताया है, "मैंने पहले ही दागी निदेशकों के बड़े वित्तीय घोटाले की जानकारी उजागर कर दी थी, जिसमें संयुक्त सचिव के साथ तीन निदेशक फोरेंसिंग ऑडिट की जांच में थे।"
मानचंदा ने कहा कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं, "मैं इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता सिवाय इसके कि अगर मैं किसी तरह के गलत काम में शामिल हूं तो सच पता करने के लिए उन्हें मेरे खिलाफ जांच बैठा देनी चाहिए। मैं इसके लए 24 घंटे उपलब्ध रहूंगा।"
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह चार निदेशकों के लिए होने वाले चुनावों में देरी कराने के लिए किया जा रहा है, जिन्हें पूर्व लोकपाल ने सेवानिवृत्त कर दिया था। उनके खाली स्थानों को भरने के लिए 15 अगस्त को चुनाव होने थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वहीं डीडीसीए बनाम सुधीर कुमार अग्रवाल मामले में 17 आवेदकों के आवेदन जमा हैं। कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा है।