जब नियमों के चलते भारत को मिली हार
CRICKETNMORE - क्रिकेट वर्ल्ड कप के इतिहास में 1992 का वर्ल्ड कप कई बेहद रोमांचक मुकाबलों के लिए जाना जाता है। इस वर्ल्ड कप में जहां एक तरफ खिलाड़ियों के कपड़ों और गेंद के रंग में बदलाव हुआ वहीं कई नए नियम भी लागू हुए जिसमें रेन रूल का नियम भी शामिल था। हालांकि रेन रूल के चलते कई मैच विवाद में भी रहे जिसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया का मैच भी शामिल था।
1 मार्च 1992 को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन स्टेडियम में अपनी पहली जीत की तलाश में भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीम आमनें सामनें थी। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और डीन जोन्स के 90 रन और डेविड बून के 43 रन की बदौलत 50 ओवर में 9 विकेट पर 237 रन बनाए।
भारतीय टीम बल्लेबाजी करने उतरी औऱ कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने 93 रन की शानदार खेलकर ऑस्ट्रेलिया को करारा जवाब दिया। शतक की ओऱ बढ़ रहे अजहरूद्दीन बदकिस्मत रहे और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एलन बॉर्डर के हाथों रन आउट हो गए। संजय मांजरेकर ने भी 47 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली लेकिन वह भी रन आउट होकर वापस लौटे।
भारतीय पारी के दौरान एक बार बारिश ने मैच में खलल डाला था। उस समय भारत ने 1 विकेट के नुकसान पर 45 रन बना लिए थे। बारिश के बाद जब मैच शुरू हुआ तो ओवरों की संख्या 50 से घटाकर 47 कर दी गई और लक्ष्य में केवल 2 रन ही कम किए गए। (यही वो फैसला था जिसके चलते यह मैच विवाद में रहा)
भारत को आखिरी 6 गेंद में जीत के लिए 13 रन की जरूरत थी और क्रीज पर किरन मोरे और जवागत श्रीनाथ मौजूद थे। किरन मोरे ने टॉम मूडी की ओवर की पहली दो गेंद में लगातार दो चौके जड़ दिए। अब भारत को जीत के लिए 4 गेंदों में 5 रन की जरूरत थी और मनोज प्रभाकर श्रीनाथ का साथ देने के लिए क्रीज पर आए। ओवर की पांचवीं गेंद पर मनोज प्रभाकर जल्दबाजी में रन लेने के चक्कर में अपना विकेट गंवा बैठे। इसके बाद श्रीनाथ का साथ देने आए वेंकटपति राजू।
भारत को आखिरी गेंद पर जीतने के लिए 4 और मैच टाई कराने के लिए 3 रन की जरूरत थी और स्ट्राइक पर मौजूद थे श्रीनाथ । श्रीनाथ ने मिडविकेट की तरफ श़ॉट मारा और रन लेने के लिए भग पड़े। दोनों खिलाड़ियों ने आसानी से 2 रन पूरे कर लिए थे लेकिन तीसरा रन लेते हुए राजू ने पिछे मुड़कर स्टीव वॉ को देखने की गलती कर दी। वॉ राजू की इस गलती को भांप गए थे और उन्होंने पूरी जान के साथ गेंद विकेटकीपर डेविड बून के पास फेंकी और उन्होंने बिना कोई देर किए गिल्लियां उड़ा दी थी। भारत इस मैच को 1 रन से हार गया था। ये दूसरा मौका था जब वर्ल्ड कप में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों एक रन से हार मिली थी। इससे पहले 1987 के वर्ल्ड कप में भी भारत ऑस्ट्रेलिया से एक रन से हारा था। इस मैच के बाद रेन रूल नियम की बहुत आलोचना हुई। साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड, पाकिस्तान और इंग्लैंड में भी रेन रूल नियम की जमकर आलोचना हुई थी।