'लोन भरना था, इसलिए पूरी सब्जी भी बेची', मनोज तिवारी को याद आए पुराने दिन

Updated: Sun, Jan 26 2025 06:58 IST
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भारत में क्रिकेटर बनने से पहले हर खिलाड़ी को काफी संघर्ष करना पड़ता है और बंगाल के पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही। तिवारी ने बेशक भारत के लिए 12 वनडे और तीन टी-20 मैच ही खेले लेकिन उनका यहां तक का सफर भी आसान नहीं रहा। उन्होंने सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों के साथ भारतीय ड्रेसिंग रूम साझा किया औऱ अगर वो थोड़े और भाग्यशाली होते तो वो टीम इंडिया के लिए और भी कई मैच खेल सकते थे।

पूर्व बंगाल कप्तान ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में खुलकर बात की और कहा कि लंबे समय तक भारतीय टीम से बाहर रहने के बाद उन्होंने समय से पहले संन्यास लेने पर विचार किया था। हालांकि, पारिवारिक जिम्मेदारियों ने उन्हें खेलना जारी रखने के लिए मजबूर किया।

उन्होंने ये भी खुलासा किया कि नट और बोल्ट फैक्ट्री में काम करने से पहले वो अपनी किशोरावस्था के दिनों में कोलकाता में पूरी सब्जी (लोकप्रिय भारतीय भोजन) बेचा करते थे। मनोज तिवारी ने लल्लनटॉप से ​​कहा, "जिम्मेदारी के कारण मैंने समय से पहले रिटायरमेंट नहीं लिया। वो मुश्किल समय था। एक बात हमेशा मेरे दिमाग में रहती थी कि मुझे लोन चुकाना है। कोलकाता में मंगला हाट है, वहां मैं पूरी सब्जी बेचता था। मेरी मां पूरी बनाती थीं। कई बार लोग खाने के पैसे भी नहीं देते थे।"

आगे बोलते हुए तिवारी ने कहा, "मैंने नट और बोल्ट की फैक्ट्री में काम किया। ये तब की बात है जब मैं करीब 14 साल का था। जब मैं अंडर-16 लेवल पर खेलता था तो मुझे हर मैच के लिए 1200 रुपये मिलते थे। इसलिए मैंने गणित लगाया और सुनिश्चित किया कि मैं क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करूं ताकि हमेशा पैसे मिलते रहें। मैं फैक्ट्री से भाग गया। ये बहुत व्यस्तता वाला समय था। फैक्ट्री मालिक हमसे काम करवाता था।"

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गौरतलब है कि मनोज तिवारी तिवारी ने 2011 में चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला वनडे शतक बनाया था। हालांकि, उस मैच के बाद उन्हें कई महीनों तक बेंच पर बैठना पड़ा। उस समय एमएस धोनी भारतीय टीम के कप्तान थे। तिवारी ने कहा कि टीम इंडिया कप्तान की योजना के अनुसार चलती है।उन्होंने कहा, "वो कप्तान थे। टीम इंडिया कप्तान की योजना के अनुसार चलती है। राज्य की टीमों में चीजें अलग होती हैं, लेकिन टीम इंडिया में सब कुछ कप्तान पर निर्भर करता है। अगर आप देखें, कपिल देव के समय में वो टीम चलाते थे, सुनील गावस्कर के कार्यकाल में ये उनका फैसला था, मोहम्मद अजहरुद्दीन के कार्यकाल में भी यही होता था। उसके बाद दादा और इसी तरह। ये तब तक चलता रहेगा जब तक कोई सख्त प्रशासक नहीं आता और कोई नियम नहीं बनाता।"

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