Cricket Tales - एक ऐसा स्टिंग ऑपरेशन जिसका सच जानने में किसी की दिलचस्पी नहीं थी

Updated: Fri, Mar 03 2023 22:49 IST
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Cricket Tales | क्रिकेट के अनसुने दिलचस्प किस्से - टीम इंडिया के चीफ सेलेक्टर चेतन शर्मा का स्टिंग ऑपरेशन पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा। जोश में, एक रिपोर्टर को टीम इंडिया की कुछ ऐसी अंदरूनी बातें बता गए जिनसे खुद मुसीबत में फंस गए। भारतीय क्रिकेट में ये ऐसा पहला स्टिंग ऑपरेशन नहीं है जो सनसनीखेज साबित हुआ। ध्यान दीजिए- बीसीसीआई ने खुद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की।

भारतीय क्रिकेट में एक और स्टिंग ऑपेरशन ऐसा है जिसमें न सिर्फ एक क्रिकेटर शामिल था, उस मामले में कार्रवाई भी हुई पर केस में, उसके बाद क्या हुआ- किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसीलिए ये बड़ा अनोखा मामला है स्टिंग ऑपरेशन का।

ये अक्टूबर, 2017 की बात है- पुणे में भारत-न्यूजीलैंड दूसरा वनडे मैच था। इंडिया टुडे टीवी के एक अंडरकवर स्टिंग के दौरान पुणे स्टेडियम के पिच मैनेजर, पांडुरंग सालगांवकर ने दावा किया कि मैच से पहले उन्होंने पिच से छेड़छाड़ की है। नोट कीजिए- तब तक, उस पिच पर मैच हुआ नहीं था। महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने फौरन कार्रवाई की- स्टेडियम में उनकी एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया और उन्हें सस्पेंड कर दिया। तब भी, मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड से पिच के बारे में जो रिपोर्ट मिली, उसके आधार पर,आईसीसी ने, उसी स्टेडियम में, मैच को तय समय पर शुरू करने की मंजूरी दे दी और साथ ही जांच का आदेश दे दिया।

ये है वह स्टोरी जो इस मामले में आम तौर पर चर्चा में रहती है पर कई बातें और भी हैं जो ये सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि ये सब क्या था? नोट कीजिए- तब भी, बीसीसीआई ने खुद कोई कार्रवाई नहीं की। तब बोर्ड चीफ सीके खन्ना थे और उनकी स्टेटमेंट में भी, सिर्फ सालगांवकर को सस्पेंड करने और स्टेडियम में उनकी एंट्री रोकने का ही जिक्र था। बिना देरी, मुंबई से एक न्यूट्रल क्यूरेटर रमेश म्हामुणकर को पिच संभालने बुला लिया।

आगे चर्चा से पहले, संक्षेप में ये देखते हैं कि ये सालगांवकर थे कौन? पुणे में, क्यूरेटर बनने से पहले वे महाराष्ट्र के एक तेज गेंदबाज थे। 70 के दशक में, कई साल उन्हें भारत के लिए खेलने का हकदार गिनते थे। 1974 में श्रीलंका गए एक अनौपचारिक सीरीज खेलने टीम इंडिया के साथ। सुनील गावस्कर ने 'सनी डेज़' में भी लिखा था कि वे भारत के लिए खेल सकते हैं। तब भी खेल नहीं पाए। 1974 सीज़न के इंग्लैंड टूर में भारत के खराब रिकॉर्ड के बाद, विजडन ने भी उन्हें न चुनना, भारत की हार की एक बड़ी वजह बताया था। 63 फर्स्ट क्लास मैचों में 214 विकेट लिए। एमसीए ने रिटायर होने के बाद, पांडुरंग सालगांवकर को करियर बनाने में मदद की थी। एमसीए से सैलरी और बीसीसीआई से पेंशन थी यानि कि वे कतई ऐसी मुश्किल में नहीं थे कि किसी गड़बड़ी की तरफ आकर्षित होते। पुणे में एक क्रिकेट एकेडमी चलाई, पुणे स्टेडियम में चीफ पिच क्यूरेटर बने और महाराष्ट्र रणजी ट्रॉफी टीम के चीफ सेलेक्टर भी रहे। स्पष्ट है कि एसोसिएशन की तरफ से उन्हें पूरा सम्मान दिया गया।

अब वापस मैच पर लौटते हैं। मैच का नतीजा क्या रहा? शिखर धवन और दिनेश कार्तिक के 50 की मदद से भारत ने न्यूजीलैंड पर 6 विकेट से आसान जीत दर्ज की और सीरीज 1-1 से बराबर हो गई। न्यूजीलैंड को 50 ओवर में 230-9 पर रोक दिया था और भारत ने 232-4 तक पहुंचने के लिए 46 ओवर लिए।

सालगांवकर, उस साल फरवरी में भी वहीं ड्यूटी पर थे जब ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध पुणे में पहला टेस्ट खेला गया था- तब स्टीव ओ'कीफ ने 12 विकेट लेकर अपनी टीम के लिए जीत हासिल की थी। मजे की बात ये है कि टेस्ट से पहले उन्होंने कहा था कि पिच से गजब का बाउंस मिलेगा गेंद को पर पिच तो पहली गेंद से स्पिन लेने लगी थी। तीन दिन में टेस्ट ख़त्म होने के बाद, मैच रेफरी ने अपनी रिपोर्ट में पिच को 'खराब' बताया था। इसके बावजूद पांडुरंग सालगांवकर अपनी ड्यूटी पर जमे रहे।

स्टिंग ऑपरेशन पर, किसी ने भी ये सोचने की तकलीफ नहीं की कि पांडुरंग सालगांवकर ने मैच से पहले, कुछ ही घंटों में पिच को कैसे बदल दिया? जब वे सट्टेबाज को पिच तक ले गए तो उन्हें और किसी ने रोका क्यों नहीं? रिकॉर्ड में कहीं दर्ज नहीं कि वे वास्तव में किसी को ले गए थे। उस समय बीसीसीआई की एंटी करप्शन यूनिट (एसीयू) भी सवालों के घेरे में आई पर कुछ दिन में इस किस्से को सब भूल गए। एक और सच्चाई जो कहीं चर्चा में नहीं आई, वह ये कि एमसीए के स्टेडियम में, उनकी एंट्री पर प्रतिबंध के बावजूद, वे मैच की सुबह स्टेडियम आ गए थे। अपनी ड्यूटी वापस मांगने नहीं- मैच देखने। उनके पास टिकट तो था नहीं- इसलिए एमसीए बॉक्स से मैच देखना चाहते थे। एमसीए को लगा कि इससे तो हंगामा हो जाएगा इसलिए उन्हें वापस भेज दिया।

कुछ ही दिन बाद, वे फिर से उसी पुणे स्टेडियम में ड्यूटी पर लौट आए। शोर मचा तो महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन का जवाब था- उन्हें सिर्फ सस्पेंड किया था, नौकरी से नहीं निकाला था। इसलिए उनके ड्यूटी पर वापस लौटने का विवाद फिजूल है। विश्वास कीजिए- जब अक्टूबर, 2019 में, पुणे में भारत-दक्षिण अफ्रीका टेस्ट खेला गया, तब भी यही पांडुरंग सालगांवकर चीफ क्यूरेटर थे। महाराष्ट्र के इस पूर्व तेज गेंदबाज को, अपने आप को, 'एस्टेब्लिश' करने का वह मौका मिला जो अच्छों-अच्छों को नसीब नहीं होता।

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ये सब कैसे हो पाया? असल में, पिच से छेड़-छाड़ का आरोप कभी साबित नहीं हो पाया। आईसीसी ने उन्हें क्लीन चित दी पर वे इतना जरूर माने कि फ़िक्सर ने उनसे संपर्क किया था। आईसीसी ने इसे ही केस बनाया और फ़िक्सर की 'एप्रोच' की खबर बड़े अधिकारीयों के न देने का आरोप लगा दिया उन पर। पांडुरंग सालगांवकर का जवाब था- पत्नी बीमार थी और इस वजह से वे रिपोर्ट न कर पाए थे। आईसीसी ने 6 महीने के प्रतिबंध की सजा दी- जो 25 अक्टूबर 2017 को शुरू हुआ। इसीलिए वे फटाफट 'वापस' आ गए थे। बीसीसीआई ने चुपचाप तमाशा देखा जैसा अब चेतन शर्मा के मामले में किया।


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