ऋषभ पंत: मां गुरुद्वारे में करती थीं सेवा बेटा लंगर में खाता था खाना, ना रहने का ठिकाना था और ना खाने के पैसे

Updated: Tue, Apr 12 2022 14:11 IST
Cricket Image for Delhi Capitals skipper Rishabh pant struggle story (Rishabh pant)

ऋषभ पंत आईपीएल टीम दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान हैं। 4 अक्टूबर, 1997 को उत्तराखंड के रुड़की में जन्में ऋषभ पंत ने कम समय में ही तरक्की हासिल की है। वैसे तो मैदान पर ऋषभ पंत बड़े ही चिल नजर आते हैं लेकिन, सफलता के टॉप फ्लॉर पर काबिज ऋषभ पंत की कहानी में दुख, दर्द तकलीफ पीड़ा और संघर्ष भी कूट-कूटकर भरा हुआ है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके साथ शेयर करेंगे ऋषभ पंत की लाइफ से जुड़ा वो किस्सा जिसे बेहद कम लोग जानते हैं।

ऋषभ पंत को महज 12 साल की उम्र में अपना घर छोड़ना पड़ा। क्रिकेट के गुर सीखने के लिए ऋषभ पंत अपनी मां के साथ उत्तराखंड से दिल्ली आए थे। ऋषभ पंत को अपने पिता का साथ छोड़ना पड़ा और उनके पापा और बहन उत्तराखंड में ही रहे। इतनी कम उम्र में पिता का साथ छोड़ना किसी भी बच्चे के लिए आसान नहीं हो सकता।

12 साल के ऋषभ पंत जब दिल्ली आए तब यहां ना तो उनके पास रहने का ठिकाना था और ना ही खाने के पैसे। आर्थिक तंगी के कारण ऋषभ पंत ने मां के साथ मोतीबाग के गुरुद्वारे में रहने का फैसला किया यहां उनकी मां गुरुद्वारे में लोगों की सेवा करतीं और दोनो लोग वहीं रहकर लंगर का ही खाना खाते थे।

कई महीनों तक ऋषभ पंत के साथ यही कहानी चली। ऋषभ पंत रोज लंगर का खाना खाकर प्रैक्टिस करने के लिए जाते थे। बाद में मां-बेटे ने दिल्ली में ही किराए का एक कमरा ले लिया। यहां से पंत ने जो सफर तय किया वो आगे चलकर मिसाल बन गया। ना पैसा ना खाना ना घर बस हौंसला लेकर ऋषभ पंत आगे बढ़े और आज उनकी गिनती भारत के टॉप फेमस क्रिकेटरों में होती है।

ऋषभ पंत क्रिकेट में अपना नाम बना ही रहे थे लेकिन, उनपर तब दुख का पहाड़ टूटा जब IPL 2017 के दौरान उनके पिता की रुड़की में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। ऋषभ पंत के लिए समय काफी कठिन था लेकिन, यहां पर भी वो नहीं टूटे और पिता के निधन के महज 2 दिन बाद वापस आईपीएल खेलने लौट आए। वापस आकर पंत ने RCB के खिलाफ 33 गेंदो में शानदार फिफ्टी बनाई थी।

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ऋषभ पंत आज भारत के सबसे बेस्ट विकेटकीपर बल्लेबाज हैं लेकिन, आज उनके साथ उनके पिता नहीं हैं। ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ अगस्त, 2018 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया और यहां पर भी उन्होंने अपना लोहा मनवाया। ऑस्ट्रेलिया में गाबा के मैदान पर उनके द्वारा खेली गई पारी कौन भूल सकता है जब उन्होंने हार के जबड़े से जीत छीनी थी और ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराने में भूमिका रची थी।

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