क्या धोनी ने कराई थी टीम से छुट्टी? इरफ़ान पठान ने सालों बाद किया खुलासा, बोले- 'मुझे पहले से पता था किसके हाथ..'

Updated: Fri, Aug 15 2025 20:24 IST
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टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर इरफ़ान पठान ने सालों बाद अपने करियर से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा साझा किया है। 2009 में न्यूज़ीलैंड दौरे के दौरान उन्हें लगातार प्लेइंग इलेवन से बाहर बैठना पड़ा था, और उस फैसले के पीछे की वजह पर अब उन्होंने चुप्पी तोड़ी है। इरफ़ान ने उस समय के कोच गैरी कर्स्टन से हुई बातचीत का ज़िक्र भी किया। अब उनके इस बयान ने क्रिकेट फैंस के बीच फिर से पुरानी यादें और बहसें ताज़ा कर दी हैं।

टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर इरफ़ान पठान और मौजूदा समय में कमेंटेटर ने सालों बाद एक बड़ा खुलासा किया है। 2009 में न्यूज़ीलैंड दौरे पर उन्हें वनडे सीरीज़ में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला था, और अब उन्होंने बताया कि ये फैसला सीधे तौर पर उस वक्त किसका था।

इरफ़ान ने द लल्लनटॉप के साथ बातचीत में बताया, “ न्यूज़ीलैंड में पहले, दूसरे और तीसरे वनडे में मैं बाहर बैठा। चौथा मैच बारिश से धुल गया, और पांचवें मैच में भी मौका नहीं मिला। तब मैंने उस समय के टीम के कोच गैरी कर्स्टन से पूछा कि मुझे क्यों ड्रॉप किया गया? अगर सुधार करने की ज़रूरत है तो बताइए, लेकिन वजह तो पता चले।”

कर्स्टन का जवाब था, “कुछ चीज़ें मेरे हाथ में नहीं हैं”। इरफ़ान ने कहा, “मैंने पूछा किसके हाथ में है, लेकिन उन्होंने नहीं बताया। इरफान आगे बोले, मुझे पहले से पता था किसके हाथ में है। प्लेइंग XI का फैसला कप्तान, कोच और मैनेजमेंट मिलकर करते हैं, और उस समय धोनी कप्तान थे। मैं ये नहीं कहूंगा कि फैसला सही था या गलत, क्योंकि हर कप्तान को अपनी टीम चलाने का हक है।”

इरफ़ान ने ये भी कहा कि उन्हें धोनी से कोई शिकायत नहीं थी, शायद इसलिए भी क्योंकि उनकी जगह उनके ही भाई यूसुफ पठान को खिलाया गया था। इरफ़ान ने आगे बताया कर्स्टन ने दूसरा कारण दिया कि टीम नंबर 7 पर एक बैटिंग ऑलराउंडर चाहती थी। इरफ़ान बोले, “मेरे भाई बैटिंग ऑलराउंडर थे, मैं बॉलिंग ऑलराउंडर। दोनों अलग थे, लेकिन उस समय टीम में जगह सिर्फ एक की थी। आज के दौर में पूछो तो दोनों को खिलाने में किसी को दिक्कत नहीं होगी।”

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आपको बता दें इर्फान पठान ने अपने करियर में 120 वनडे खेले, जिसमें उन्होंने 173 विकेट लिए और 1500 से ज्यादा रन बनाए। हालांकि 2009 के बाद उन्हें वनडे में वापसी में दो साल लग गए और 2011 में लौटने तक टीम ने नए गेंदबाजों पर भरोसा करना शुरू कर दिया था।

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