आईपीएल स्पॉट फिसिंग : मयप्‍पन और कुंद्रा सट्टेबाजी में शामिल, श्रीनिवासन को क्लीन चीट

Updated: Sun, Feb 08 2015 16:42 IST
Supreme Court of India ()

नई दिल्ली, 22 जनवरी (CRICKETNMORE)। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से जुड़े सट्टेबाजी और स्‍पॉट फिक्सिंग मामले में विभिन्न मुद्दों पर आज अपना अहम फैसला सुनाते हुए श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्‍पन और राजस्थान रॉयल्‍स के मालिक राज कुंद्रा को सट्टेबाजी में शामिल बताया और उन्‍हें दोषी करार दिया।

कोर्ट ने अपनी टिप्‍पणी में कहा कि मयप्‍पन और राज कुंद्रा टीम ऑफिशियल हैं और वे आईपीएल टीमों के अधिकारी रहे हैं। इन दोनों के खिलाफ लगे सभी आरोप सही हैं और वे सट्टेबाजी में शामिल हैं। वहीं, शीर्ष कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि बीसीसीआई का कामकाज निजी नहीं है। बीसीसीआई का कामकाज न्‍यायिक समीक्षा के दायरे में हैं और इसके कामकाज की समीक्षा की जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारें अभी तक बीसीसीआई के एकाधिकार को रोकने में नाकाम रही हैं। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि जस्टिस मुदगल कमेटी ने इस केस से जुड़े हर पहलू की जांच की है। सुप्रीम कोर्ट ने आज स्‍पॉट फिक्सिंग केस में 130 पन्‍नों में अपना फैसला दिया है।


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वहीं, सुप्रीम कोर्ट से एन श्रीनिवासन को आज बड़ा झटका मिला है। कोर्ट ने कहा है कि श्रीनिवासन बीसीसीआई अध्‍यक्ष और चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स (सीएसके) के मालिक एक साथ नहीं रह सकते हैं। उन्‍हें बीसीसीआई या सीएसके में से किसी एक को चुनना होगा। हालांकि, इससे पहले कोर्ट ने कहा कि श्रीनिवासन पर मामले को दबाने के आरोप साबित नहीं हुए हैं। मयप्‍पन को बचाने के आरोपों पर श्रीनिवासन को एक तरह से क्‍लीनचिट मिल गई है। कोर्ट ने कहा कि ज्‍यादा से ज्‍यादा श्रीनिवासन पर मामले को दबाने का शक है। वहीं, मुदगल कमेटी ने राज कुंद्रा को सुनवाई का पूरा मौका दिया।

गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले में बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से जुड़े हितों के टकराव का मामला भी शामिल है। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और एफएमआई कलीफुल्ला की खंडपीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखा था। इस मामले में अगस्त 2013 से कई अंतरिम आदेश पारित किए जा चुके हैं जिसमें पंजाब एवं हरियाणा के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन भी शामिल है। श्रीनिवासन, उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन, राजस्थान रॉयल्‍स के मालिक राज कुंद्रा, क्रिकेट प्रशासक सुंदर रमन की न्यायमूर्ति मुदगल समिति ने जांच की थी। समिति को निश्चित व्यक्तियों द्वारा गलत काम का पता चला था और उसने इन्हें आईपीएल छह प्रकरण का दोषी ठहराया था। श्रीनिवासन से जुड़े हितों के टकराव का मामला भी समीक्षा के दायरे में आया था क्योंकि वह सिर्फ बीसीसीआई के अध्यक्ष ही नहीं थे बल्कि इंडिया सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक भी थे जो कंपनी आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स की मालिक है। मुदगल समिति के मुताबिक इस टीम में श्रीनिवासन का दामाद अधिकारी था और कथित तौर पर सट्टेबाजी में शामिल रहा।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक नजर-

# चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स के भाग्य का फैसला बीसीसीआई नहीं बल्कि एक स्वतंत्र कमेटी करेगी :सुप्रीम कोर्ट।

# सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बीसीसीआई के नियमों में संशोधन कर एन श्रीनिवासन को आईपीएल टीम खरीदने की इजाजत देना गलत।

#सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि एन श्रीनिवासन पर जो आरोप लगाये गये हैं, वे साबित नहीं होते हैं। चेन्नई सुपरकिंग्स के मैचों में एन श्रीनिवासन की गहरी रुचि नजर आती है, उनके व्यवहार से संदेह उत्पन्न होता है, लेकिन उसे साबित नहीं किया जा सकता।

# सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि जांच के दौरान मुद्गल समिति ने हर नियम का पालन किया और पाया कि राज कुंद्रा के खिलाफ जो आरोप है, वे सत्य हैं।

# गुरुनाथ मयप्पन सट्टेबाजी में शामिल थे, लेकिन उस बात से श्रीनिवासन का कोई लेना-देना नहीं।

# कोई नियम हितों के टकराव की अनुमति नहीं देता है : सुप्रीम कोर्ट।

# इंडिया सीमेंट्स में एन श्रीनिवासन की छोटी हिस्सेदारी की बात भ्रामक।

#खेल तभी तक खेल रहता है, जबतक कि वह किसी भी तरह धोखाधड़ी से परे हो।

# कोर्ट ने बीसीसीआई से पूछा, क्या वह अपनी विश्वसनीयता दावं पर लगा सकती है।

 

(एजेंसी)

 

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