वर्ल्ड कप के अधूरे फाइनल में गिलक्रिस्ट का धमाल

Updated: Thu, Feb 05 2015 09:10 IST

2007 वर्ल्ड कप के फाइनल में 1996 से लगातार फाइनल खेलने की आदि हो चुकी ऑस्ट्रेलिया की टीम चौथी बार वर्ल्ड चैंम्पियन बननें के दरवाजे पर खड़ी थी। ऑस्ट्रेलिया के सामने दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में श्रीलंका की टीम थी। 

2007 वर्ल्ड कप के फाइनल की शुरूआत में ही बारिश ने कहर बरपाया जिसके बाद डकवर्थ लिईस नियम के तहत मैच 38 ओवरों का करना पड़ा । बारबाडोस के किंग्स्टन ओवल के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। मैच 38 ओवर होने के कारण ओपनर गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन ने शुरूआत से ही श्रीलंकन गेंदबाजों पर धावा बोल दिया। खास कर एडम गिलक्रिस्ट ने श्रीलंका के गेंदबाजों पर रनों की बौछार कर दी। देखते – देखते गिलक्रिस्ट पहले अपना अर्धशतक पूरा किया। सलामी जोड़ी ने 102 गेंद पर 100 रनों की पार्टनरशिप कर श्रीलंका को बैक- फुट पर खड़ा कर दिया। 172 रन पर ऑस्ट्रेलिया को हेडन के रूप में पहला झटका मिला। लेकिन एक छोर से गिलक्रिस्ट श्रीलंका की गेंदबाजों की जमकर खबर लेते जा रहे थे। गिलक्रिस्ट की बल्लेबाजी ने श्रीलंका की टीम को पूरी तरह से हताश कर दिया।

केवल 72 गेंद पर गिलकिस्ट ने अपना शतक पूरा कर ऑस्ट्रेलिया को बड़े स्कोर बनानें की राह पर लाकर खड़ा कर दिया था। शतक के बाद भी एडम गिलक्रिस्ट नहीं रूके,31वें ओवर में गिलक्रिस्ट के यादगार पारी का अंत दिलहारा फर्नांडो ने किया। लेकिन तब तक वह अपना काम पूरा कर चुके थे एडम गिलक्रिस्ट ने केवल 104 गेंद पर 149 रन बनाकर फाइनल मैच में अपनी बल्लेबाजी से ऑस्ट्रेलियन खेमें के साथ –साथ किंग्स्टन मैदान पर मौजूद ऑस्ट्रेलियन प्रशंसकों का दिल जीत लिया था।

इसके बाद कप्तान पॉन्टिंग और साइमंड्स ने ऑस्ट्रेलिया को 250 रन के पार पहुंचा दिया। 38 ओवर में केवल 4 विकेट खोकर ऑस्ट्रेलिया ने 281 रन बना डाले। श्रीलंका के सामने हार बचाने के लिए 38 ओवर में 282 रन बनानें थे जो ऑस्ट्रेलियन तेज गेंदबाजों के सामने इस चुनौती से पार पाना आसान काम नहीं था।

7 रन के योग पर नैथन ब्रेकन ने श्रीलंका के ओपनर उपुल थरंगा का विकेट लेकर श्रीलंका के लिए मुश्किल हालात पैदा कर दिए। पूरी जिम्मेदारी सनथ जयसूर्या औऱ संगाकारा के ऊपर आ गई थी। जयसूर्या औऱ संगाकारा ने मिलकर श्रीलंका के लिए मैच को बचाने की कोशिश की पर अचानक से सनथ जयसूर्या के आउट होने से मैच पूरी तरह ऑस्ट्रेलिया के पाले में फिसल गया। जयसूर्या ने 63 रन बनाएं तो वहीं संगाकारा ने 54 रनो की पारी खेली । इन दोनों बल्लेबाजों के सिवाय कोई औऱ श्रीलंकन बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियन दबाव को झेल नहीं पाया। मौसम की मार के कारण मैच 36 ओवर तक का ही हो पाया, 36 ओवर में 8 विकेट पर श्रीलंका 215 रन ही बना सकी। डकवर्थ लुईस नियम के चलते ऑस्ट्रेलिया को 53 रन से विजय घोषित कर दिया गया और ऑस्ट्रेलिया लगातार तीसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनी। एडम गिलक्रिस्ट को उनके शानदार औऱ दार्शनिक बल्लेबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया।

मैच के बाद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने कहा था कि हालांकि मौसम की तनुकमिजाजी से हम परेशान जरूर थे पर गिलक्रिस्ट ने शानदार बल्लेबाजी कर ऑस्ट्रलिया के लिए इतिहास लिखने में अहम किरदार निभाया। उनकी बल्लेबाजी ने ऑस्ट्रेलिया को एक बार फिर वर्ल्ड चैंपियन बना दिया।-                                                                                
इस जीत के बाद ऑस्ट्रेलिया के महान क्रिकेटर इयन चैपल ने गिलक्रिस्ट की 149 रन की खेली पारी को वर्ल्ड कप में खेली गई असाधारण पारियो में से एक कहा था ,उस दिन गिलक्रिस्ट की बल्लेबाजी में गेंदबाजों का किसी भी तरह का भय नहीं दिखा था, गिलक्रिस्ट की बल्लेबाजी लुत्फ देने वाली थी।
सनथ जयसूर्या - पूरे टूर्नामेंट में गिलक्रिस्ट नहीं चल पाए थे, शायद गिलकिस्ट फाइनल का इंतजार कर रहे थे , दूर्भाग्य से हमारे खिलाफ ही गिलक्रिस्ट के बल्ले ने धावा वोला। 28 अप्रैल 2007 का दिन केवल गिलक्रिस्ट के लिए लिखा गया था। 

विशाल भगत/Cricketnmore

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