5 बल्लेबाज असफल हुए तो क्या कर पाएंगे 5 गेंदबाज, सबसे बड़ा सवाल

Updated: Wed, Nov 04 2015 14:58 IST

नई दिल्ली, 4 नवंबर | भारत दौरे पर आने वाली सभी क्रिकेट टीमें टेस्ट सीरीज से पहले मानसिक दबाव का खेल भी खेलना शुरू कर देती हैं। 'हमारी सीरीज जीतने की संभावनाएं अच्छी हैं' या 'आंकड़ों के लिहाज से हमारी टीम बेहतर है' या 'हम छिपा रुस्तम ही रहना पसंद करेंगे' जैसे बयान उछाले जाने लगते हैं।  मीडिया भी आग में घी का काम करने लगता है और डेल स्टेन बनाम शिखर धवन, मोर्ने मोर्केल बना विराट कोहली या रविचंद्र अश्विन बनाम अब्राहम डिविलियर्स से जैसे भड़काऊ मुद्दे खड़े करने लगते हैं।

आईए सबसे पहले मोहाली की पिच का जायजा लेते हैं, जहां भारत और साउथ अफ्रीका के बीच आगामी चार मैचों की टेस्ट श्रृंखला का पहला मैच खेला जाना है। साउथ अफ्रीकी टी-20 टीम के कप्तान फॉफ डू प्लेसिस ने कहा है कि मोहाली की पिच पहले ही दिन से स्पिन गेंदबाजों को मदद करने लगेगी और तीन दिन से अधिक मैच आगे नहीं बढ़ सकेगा, इसलिए वे आक्रामक रणनीति के साथ उतरेंगे।

भारत के खिलाफ टी-20 और एकदिवसीय श्रृंखला जीत चुकी दक्षिण अफ्रीकी टीम ने अब तक अपने स्पिन गेंदबाजों का पूरा फायदा उठाया है और अब वे धीमी और स्पिन के अनुकूल पिच पर चिंता जताने लगे हैं। प्लेसिस का बयान थोड़ा अतिरंजनापूर्ण भी नजर आता है, क्योंकि मोहाली की पिच आज तक कभी भी पहले दिन से स्पिन के अनुकूल नहीं रही। भारतीय टीम के टीम निदेशक रवि शास्त्री भी यह कहने से जरा भी नहीं हिचकिचाए कि घरेलू टीमों को उनकी क्षमता के अनुरूप पिच मिलनी चाहिए और और भारत की क्षमता स्पिन गेंदबाजी है।

शास्त्री के बयान के वास्तव में दो पहलू हैं, पहला कि आप अपने घरेलू मैदान पर तैयार की गई अनुकूल पिचों पर जीतते चले जाएं और विदेश दौरों पर हरी घासयुक्त तेज और उछाल वाली पिचों पर हारते चले जाएं। वास्तव में सभी देश अपनी-अपनी टीमों के अनुकूल पिचें तैयार करवाते रहे हैं, लेकिन क्या यह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अच्छी बात है?

शास्त्री और युवा कप्तान विराट कोहली के समक्ष अंतिम एकादश के चयन की भी चुनौती है। श्रीलंका के खिलाफ पांच गेंदबाजों के साथ खेलने या दो वर्ष पहले आस्ट्रेलिया पर 4-0 से जीत दर्ज करने की यादें ताजा करने का कोई मतलब नहीं है। आस्ट्रेलिया का सूपड़ा साफ करने वाली टीम पांच गेंदबाज और पांच बल्लेबाज के साथ मैदान में उतरने का साहस इसलिए कर सकी थी, क्योंकि तब टीम के पास सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धौनी जैसे खिलाड़ी थे। 

इस बार सबसे बड़ा अंतर यह आया है कि भारत के पास इस समय तीन भिन्न किस्म के स्पिन गेंदबाज हैं। लेकिन इसका मतलब भी यह नहीं है कि वे पांच गेंदबाजों के साथ खेलेंगे। शास्त्री भले यह कहने में कुछ अधिक ही बहादुरी दिखा गए कि अगर पिच क्यूरेटर उन्हें स्पिन के अनुकूल पिच बनाकर देता है तो वह चार स्पिन गेंदबाजों के साथ उतरने में भी नहीं हिचकेंगे। 

कोहली भी अपनी कप्तानी में सफलता हासिल करने को बेताब हैं, इसीलिए उन्हें पांच गेंदबाजों की जरूरत महसूस हो रही है, लेकिन साउथ अफ्रीकी आक्रमण को देखते हुए वह पांच बल्लेबाजों के साथ जरूर उतरना चाहेंगे। कोहली के सामने भी लेकिन रोहित शर्मा और चेतेश्वर पुजारा में से किसी एक सलामी बल्लेबाज को चुनने की चुनौती है। हरफनमौला स्पिन गेंदबाज स्टुअर्ट बिन्नी ऐसे में बेहतर विकल्प हो सकते हैं। 

एक अतिरिक्त हरफनमौला खिलाड़ी को शामिल करना त्वरित उपाय तो हो सकता है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा नहीं हो सकता। हाशिम अमला, डिविलियर्स जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के रहते भारत के लिए गेंदबाजों और बल्लेबाजों का संतुलन हासिल करना इस सीरीज में बेहद अहम होगा।

(आईएएनएस)

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