वर्ल्ड कप की भारत पहली जीत कुछ खास थी

Updated: Sat, Jan 10 2015 00:05 IST

1975 में इंग्लैंड में हुए पहले वर्ल्ड कप में कुल टीमों ने हिस्सा लिया था। इसमें कुल आठ टीमों ने हिस्सा लिया जिसमें 6 टेस्ट मैच खेलने वाली टीमें थी और श्रीलंका और ईस्ट अफ्रीका पहली बार किसी टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे थे। 

इंडिया की टीम ने वर्ल्ड कप में अपने सफर का आगाज पहले ही मैच से इंग्लैंड के खिलाफ करा था लेकिन इस मैच में इंडिया ने जैसा प्रदर्शन किया वह बहुत निराशाजनक था और उसे मेजबान इंग्लैंड के हाथों 202 रनों की करारी हार झेलनी पड़ी थी। इस मैच में सुनील गावस्कर विलेन साबित हुए थे क्योंकि उन्होंने 174 गेंदों में मात्र 36 रन की पारी खेली थी।  

इग्लैंड से हारने के बाद इंडिया का दूसरा मुकाबला वर्ल्ड कप में खेल रही अंडरडॉग टीम ईस्ट अफ्रीका से था. 11 जून 1975 को लीड्स के ग्राउंड पर खेले गए मैच में इंडिया की टीम पर दबाव चरम पर था। इंडियन टीम वर्ल्ड कप में अपनी उम्मीदें जिंदा रखने के लिए यह मैच हार हाल में जितना था। वहीं इंडियन बल्लेबाज सुनील गावसकर को अपने ऊपर लगे धीमी बल्लेबाजी करने के दाग को भी मिटाना था।  

ईस्ट अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया । अंडरडॉग की हैसियत से खेल रही टीम ईस्ट अफ्रीका की बल्लेबाजी इंडियन गेंदबाज आबिद अली मदनलाल की जोड़ी के सामनें काफी असहज नजर आ रही थी। जिसके कारण ईस्ट अफ्रीका की टीम की शुरूआत भी काफी धीमी रही थी । शुरू के 22 ओवर में ईस्ट अफ्रीका की टीम केवल 36 रन ही बना पाई थी। नियमित अंतराल पर विकेट का पतन होने से ईस्ट अफ्रीका की पूरी टीम 55.3 ओवर में ही केवल 120 रन पर सिमट गई थी। मदनलाल ने 3 विकेट और आबिद अली और मोहिंदर अमरनाथ ने 2-2 विकेट लेकर ईस्ट अफ्रीका की टीम को सस्ते में ही निपटा दिया था। 

अब इंडिया के सामनें इस लक्ष्य का हासिल करने की चुनौती। हालांकि यह स्कोर काफी छोटा लेकिन पिछले मैच में जो हुआ था उसके बाद कुछ भी संभव था। जब गावसकर और फारूख इंजीनियर की सलामी जोड़ी हाथ में बल्ला थामें मैदान के बीचों बीच जा रहे थे तो कहीं – ना कहीं इंडियन क्रिकेट प्रेमियों में इस बात को लेकर डर था की कहीं गावसकर फिर से धीमी बल्लेबाजी ना कर दें ।

लेकिन उस दिन सुनील गावसकर सोचकर ही क्रीज पर बल्लेबाजी करने आए थे कि उनके ऊपर लगे धीमी बल्लेबाजी करने के दाग को वो किसी भी किमत पर अपने से अलग कर देगें । 

फारूख इंजीनियर के साथ सुनील गावसकर ने ईस्ट अफ्रीका के बॉलर की जमकर धुनाई की।  गावसकर मैच में इस तरह से खेल रहे थे मानों वो पिछली पारी की जो खीझ थी उसे ईस्ट अफ्रीका के बॉलरों पर उतार रहे हों । इसका ही कारण था कि गावसकर ने केवल 86 बॉल पर 9 चौकों जड़कर नाबाद 65 रन बनाएं थे और सबसे बेहतरीन बात थी सुनील गावसकर का स्ट्राईक रेट करीब 75.58 का रहा था जो इंग्लैंड के खिलाफ केवल 20.68 था। तो वहीं दूसरी तरफ फारूख इंजीनियर ने भी गावसकर का बखूबी साथ निभाया और नाबाद 54 रन की पारी खाली थी। दोनों सलामी बल्लेबाजों की शानदार हाफसेंचुरी की बदौलत इंडिया ने 31 ओवर बाकी रहते हुए ईस्ट अफ्रीका को 10 विकेट से हरा दिया था। वर्ल्ड कप में विकेटों के हिसाब से यह सबसे बड़ी जीत थी (इंडिया ने 181 गेंद बाकी रहते 10 विकेट से मैच जीता था) औऱ आज भी यह रिकॉर्ड इंडिया के नाम ही है।      

सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें