गांगुली-द्रविड़ की कभी न भूल पानें वाली साझेदारी

Updated: Sun, Feb 08 2015 03:41 IST

1999 वर्ल्ड कप में ग्रुप ए के लीग मैच में 26 मई 1999 को भारत और श्रीलंका की टीम एक दूसरे के सामनें थी। श्रीलंका औऱ भारत के बीच का यह मैच इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि श्रीलंका से भारत को वर्ल्ड कप 1996 के सेमीफाइनल में मिली हार का हिसाब बराबर करना था ।

श्रीलंका के कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता दिया और सदगोप्पन रमेश और सौरव गांगुली की सलामी जोड़ी मैदान पर उतरी  । श्रीलंका के तेज गेंदबाज चमिंडा वास ने अपने पहले ही ओवर में रमेश को आउट कर भारत को करारा झटका दिया था। जिस समय पहला विकेट गिरा उस समय भारत का स्कोर केवल 6 रन था लेकिन इसके बाद जो हुआ वह हमेशा के लिए वर्ल्ड कप इतिहास में दर्ज हो गया। रमेश के आउट होने के बाद सौरव गांगुली का साथ देने राहुल द्रविड़ मैदान पर आए। 

राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली की जोड़ी ने श्रीलंकन गेंदबाजों की इस तरह से धुनाई करी कि लगने लगा कि श्रीलंका के गेंदबाजों को गेंदबाजी करानी ही नहीं आती। । सौरव गांगुली और राहुल द्रविंड ने अपनी क्लासिकल बल्लेबाजी का हुनर दिखाते टाउंटन के मैदान पर जिस तरह से दिखाया था उससे पूरी श्रीलंकन टीम हैरान औऱ परेशान थी । गांगुली और द्रविड़ ने मिलकर दूसरे विकेट के लिए रिकॉर्डतोड़ साझेदारी करी दोनों ने असाधारण बल्लेबाजी करते हुए 45 ओवर में 318 रन की साझेदारी करी।  गांगुली ने 158 गेंदों में 17 चौकों और 7 छक्कों की मदद से 183 रन की और द्रविड़ ने 129 गेंदों में 17 चौंकों और 1 छक्के की मदद से 145 रन की कभी न भूल पाने वाली बेहतरीन पारी खेली। गांगुली और द्रविड़ की यह साझेदारी अब तक वर्ल्ड कप के इतिहास की सबसे बड़ी और वन डे क्रिकेट की दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी है। 

जब भारत का स्कोर 45.4 ओवर में 324 रन था तब द्रविड़ दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गए। द्रविड़ के वापस पवेलियन लौटने के बाद सौरव गांगुली ने तेज गति से रन बनानें का सिलसिला जारी रखा था। गांगुली ने अपने वनडे करियर का सर्वोच्च स्कोर बनाते हुए शानदार 183 रन बनाए। यह समय वन डे क्रिकेट की चौथी और वर्ल्ड कप का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर था। गांगुली से पहले साउथ अफ्रीकी सलामी बल्लेबाज गैरी क्रिस्टन ने 1996 वर्ल्ड कप में संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ 188 रन की पारी खेली थी। 

इतना ही नहीं इस मैच में भारत ने श्रीलंका के सामने 373 रन 6 विकेट के नुकसान पर बनाएं थे जो 50 ओवर के खेल में उस समय तक किसी भी टीम के द्वारा बनाया गया दूसरे सबसे बड़ा स्कोर था । इससे पहले बड़े स्कोर का रिकॉर्ड श्रीलंका के ही नाम था। 1996 वर्ल्ड कप में केन्या के खिलाफ खेलते हुए श्रीलंकन टीम ने 398 रनों का अंबार लगाया था। 

भारत के विशालकाय स्कोर के सामने श्रीलंकन टीम के लिए बड़ी चुनौती थी। सनथ जयसूर्या और कालूवितरना की सलामी जोड़ी पर श्रीलंकन टीम पूरी तरह से निर्भर थी । लेकिन जवागल श्रीनाथ ने श्रीलंकन टीम की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए एक तरफ जहां जयसूर्या को रन आउट कर बहुत बड़ा झटका दिया था तो वहीं कालूवितरना को एलबीडबल्यू आउट कर श्रीलंका की टीम के लिए हार की जमीन तैयार कर दी। । इसके बाद अरविंद डि सिल्वा,कप्तान अर्जुन राणातुंगा और रोशन महानामा ने मैच को बचाने की कोशिश करी लेकिन विफल साबित हुए। गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के चलते श्रीलंका की पूरी टीम 42.3 ओवर में 216 रनों पर सिमट गई जिससे भारत ने श्रीलंका को 157 रनों से हराकर बड़ी जीत हासिल करी । 

भारत के बल्लेबाजों के पराक्रम के बाद भारत के पार्ट टाइम गेंदबाज रॉबिन सिंह ने तो कमाल ही कर दिया था। रॉबिन सिंह ने श्रीलंका के 5 खिलाड़ियों को आउट करके श्रीलंका की टीम को धूल चटाने में खास भूमिका निभाई थी। इस मैच में सौरव गांगुली के शानदार बल्लेबाजी के कारण मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया था। इस तरह से भारत की टीम ने श्रीलंका को हर एक डिपार्टमेंट में चारों खाने चित कर दिया था और 1996 के सेमीफाइनल की हार का भी बदला ले लिया था। 

 

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