जमैका में खेला गया था खूनी टेस्ट, भारतीय बल्लेबाज वेस्टइंडीज तेज गेंदबाजों से बचकर भाग खड़े हुए !
29 अगस्त। भारत और वेस्टइंडीज के बीच सीरीज का दूसरी और आखिरी टेस्ट मैच जमैका में खेला जाएगा। आपको बता दें कि भारतीय टीम टेस्ट सीरीज में 1- 0 से आगे है। ऐसे में भारतीय टीम दूसरा टेस्ट मैच जीतकर सीरीज में वेस्टइंडीज का सफाया करना चाहेगी।
जब भारतीय बल्लेबाज डर कर भाग खड़े हुए थे
बात साल 1976 की है जब भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर थी। इस टेस्ट सीरीज का आखिरी मैच जमैका में खेला जाना था। उससे पहले तीसरे टेस्ट में भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 406 रनों को चेस कर ऐतिहासिक टेस्ट जीत दर्ज की थी।
ऐसे में उस समय वेस्टइंडीज के कप्तान रहे क्लाइव लॉयड पूरी तरह से खीझ से गए थे।ऐसा में उन्होंने फैसला किया कि चौथे टेस्ट में वेस्टइंडीज टीम 4 तेज गेंदबाजों माइकल होल्डिंग, वैनबर्न होल्डर, बर्नार्ड जूलियन और वेन डैनियल के साथ मैदान पर उतरेगी।
जमैका का वो खूनी टेस्ट मैच
21 अप्रैल 1976 को सबीना पार्क में शुरु हुए इस टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया। इस टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज की टीम टेस्ट मैच को जीतने के इरादे से नहीं बल्कि भारतीय बल्लेबाजों को चोट पहुंचाने के इरादे के साथ मैदान पर उतरी थी।
यही कारण था कि वेस्टइंडीज के चारों तेज गेंदबाज भारतीय बल्लेबाजों पर लगातार बाउंसर की बौछार कर रहे थे। भले ही भारतीय टीम ने पहली पारी में 6 विकेट पर 306 रन बनाकर पारी की घोषणा कर दी, लेकिन भारतीय पारी में अंशुमान गायकवाड़ 81 रन और गावस्कर ने 66 रनों की पारी खेली।
वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों ने इतनी घातक गेंदबाजी की जिससे अंशुमान गायकवाड़ और बृजेश पटेल को बल्लेबाजी करने के क्रम में चोटिल हो गए जिसके कारण उन्हें अस्पाताल जाना पड़ा था और वो दोनों बल्लेबाज फिर मैच में वापसी नहीं कर पाए। दोनों दिग्गज को टेस्ट मैच से बाहर होना पड़ा था।
जब वेस्टइंडीज की पारी शुरू हुई तो वेस्टइंडीज की टीम ने पहली पारी में 391 रन बनाए। अब भारतीय टीम को दूसरी पारी खेलने मैदान पर फिर से जाना था। भारतीय टीम एक बार फिर आग उगलती तेज रफ्तार वाली गेंद का सामना करना था।
दूसरी पारी में एक हैरान वाली घटना घटी।
भारत की टीम का स्कोर दूसरी पारी में जब 26.2 ओवर में 97 रन था और 5 विकेट गिर गए थे तो भारत के कप्तान बिशन सिंह बेदी ने किसी भी दूसरे बल्लेबाज को बल्लेबाजी के लिए नहीं भेजा और भारतीय टीम की दूसरी पारी को 97 रन पर ऑलआउट करार दे दिया गया।
बिशन सिंह बेदी ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि भारतीय टीम के दो बल्लेबाज अस्पाताल की बैड पर पड़े थे और आगे के जो भी बल्लेबाज बल्लेबाजी करने वाले थे वो गेंदबाज थे।
बिशन सिंह बेदी ने जानबूझकर भारत की पारी को आगे बढ़ने नहीं दिया। कप्तान बिशन सिंह बेदी ने एक स्टेटमेंट जारी किया और कहा कि वो नहीं चाहते थे कि वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों के सामने उनके गेंदबाज चोटिल हो जाए। यदि गेंदबाज भी चोटिल हो जाएंगे तो गेंदबाजी कौन करेगा।
इसी सोच के कारण बिशन सिंह बेदी ने दूसरी पारी को पूरा नहीं किया। अंत में भारतीय टीम को वेस्टइंडीज के हाथों 10 विकेट से हार झेलनी पड़ी।
टेस्ट मैच काला दिन
लेकिन यह टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉइड की इस खतरनाक सोच के लिए जाना जाता है। भारत - वेस्टइंडीज टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का यह टेस्ट मैच काला दिन के तौर पर याद किया जाता है।