CRICKET TALES: वो खिलाड़ी जिसे 2 टेस्ट के बीच में 22 साल 222 दिन का इंतज़ार करना पड़ा,दो देश के लिए खेला इंटरनेशनल क्रिकेट

Updated: Wed, Jan 25 2023 13:40 IST
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Cricket Tales - चेतन शर्मा की सेलेक्शन कमेटी को जिन फैसलों के लिए हमेशा याद किया जाएगा, उनमें से एक है जयदेव उनादकट की बांग्लादेश सीरीज के लिए भारतीय टेस्ट टीम में वापसी। खब्बू तेज गेंदबाज उनादकट सिर्फ टूरिंग टीम में नहीं आए- वास्तव में टेस्ट खेले। अपने पहले टेस्ट के लगभग 12 साल बाद अगला टेस्ट खेलना कोई मामूली रिकॉर्ड नहीं। पहला टेस्ट- 2010 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध सेंचुरियन में और दूसरा टेस्ट 22 दिसंबर 2022 से मीरपुर में। हालांकि दो टेस्ट के बीच सबसे ज्यादा समय निकलने का भारतीय रिकॉर्ड अभी भी 12 साल 129 दिन के साथ लाला अमरनाथ के नाम है पर 12 साल 2 दिन बाद टेस्ट टीम में लौटे जयदेव उनादकट के न खेलने के हालात उनसे बहुत अलग रहे।   

बहरहाल अब जब कि एक खिलाड़ी के दो टेस्ट के बीच अंतराल की बात कर ही रहे हैं तो ये नहीं हो सकता कि जॉन ट्रैकोस का जिक्र न आए। उनकी तो कहानी ही बिलकुल अलग है। इस मामले में जिनके नाम बड़े-बड़े अंतराल के रिकॉर्ड हैं उनमें से ज्यादातर ने करियर के बीच वर्ल्ड वॉर को झेला- ट्रैकोस के करियर में तो नए देश बन गए। किसी ने ठीक कहा उनके बारे में- ए करियर ऑफ़ टू हाफ जिसमें टेस्ट खेलने का पहला राउंड दक्षिण अफ्रीका के लिए और 22 से भी ज्यादा साल के बाद टेस्ट खेलने का दूसरा राउंड शुरू किया जिम्बाब्वे के लिए।
  
जॉन ट्रैकोस (John Traicos)- जन्म 17 मई, 1947 को काहिरा के नील डेल्टा के नार्थ-ईस्ट में ज़गाज़िग शहर में एक ग्रीक परिवार में। एक साल बाद परिवार रोडेशिया चला गया- अब इस नाम से नक़्शे में कोई देश नहीं है। तब ये ब्रिटिश शासन में था और इसे दक्षिण अफ्रीका का स्टेट गिनते थे। इसकी टीम, इसीलिए दक्षिण अफ्रीका के फर्स्ट क्लास क्रिकेट टूर्नामेंट करी कप में खेलती थी और इसमें दिखाई क्रिकेट की बदौलत वे दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट खेलने के दावेदार बने।  

फरवरी 1970 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध दूसरा टेस्ट- ट्रैकोस टेस्ट खेलने वाले सिर्फ दूसरे ग्रीक मूल के  खिलाड़ी बने और ऐसे पहले जो मिस्र में पैदा हुए। ये टेस्ट, ग्रीम पोलक के 274 के लिए ज्यादा याद किया जाता है पर ट्रैकोस ने 3 विकेट लिए। सीरीज के अगले दो टेस्ट में एक विकेट लिया।  

1970 में आईसीसी ने दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया- इस तरह ट्रैकोस का इंटरनेशनल करियर रुक गया। 1979 में रोडेशिया का नाम हुआ जिम्बाब्वे और  1980 में ये आजाद हो गया। अब वे न सिर्फ अलग देश थे- वहां रंगभेद भी नहीं था। उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का मौका मिल गया। पहला मैच- 1982 आईसीसी ट्रॉफी में। अगले साल वर्ल्ड कप खेले। यहां से हर मैच के साथ प्रभावित करने का सिलसिला जारी रहा और आखिरकार अपना पहला टेस्ट 18 अक्टूबर 1992 से खेले। टीम में ट्रैकोस भी थे और इस तरह 22 साल 222 दिन बाद फिर से टेस्ट खेले- ये शायद क्रिकेट के उन रिकॉर्ड में से एक है जो टूटने की कोई उम्मीद नहीं है।

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ये शुरुआत हुई भारत के विरुद्ध और टीम में वे सचिन तेंदुलकर भी थे जिनका ट्रैकोस के पिछले टेस्ट खेलने तक जन्म भी नहीं हुआ था। इसी टेस्ट में टैकोस, बर्ट आयरनमॉन्गर के बाद से एक टेस्ट पारी में 5 विकेट लेने वाले सबसे बड़ी उम्र के खिलाड़ी बन गए। उनका टेस्ट करियर मार्च 1993 तक चला और संयोग से अपना आख़िरी टेस्ट भी भारत के विरुद्ध खेले। वे टेस्ट में उन दो देश का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र खिलाड़ी बन गए जो उनमें से किसी भी देश में पैदा नहीं हुए थे। हजारों अन्य लोगों के साथ, मुगाबे शासन की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान उन्होंने भी ज़िम्बाब्वे को छोड़ दिया और अब ऑस्ट्रेलिया में कानूनी सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं।
 

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