संजय बांगर ने अपने 5 साल के कार्यकाल में टीम इंडिया को मिली कामयाबी पर जताई खुशी,कही ये बात
नई दिल्ली, 11 सितम्बर | भारतीय क्रिकेट टीम के साथ अपना पांच साल का करार खत्म करने वाले बल्लेबाजी कोच संजय बांगर ने कहा है कि वह तुरंत ही देश के बाहर से मिलने वाले प्रस्तावों को कबूल नहीं करेंगे और इस ब्रेक को वह अपने आप को तरोताजा करने तथा आंकलन करने में लगाएंगे। बांगर ने पांच साल तक भारत के बल्लेबाजी कोच के तौर पर काम किया है। उन्हें हाल ही में इस पद से हटा दिया गया है और विक्रम राठौर को टीम के नए बल्लेबाजी कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
क्रिकबज ने बांगर के हवाले से लिखा है, "मैं पांच साल से सफर कर रहा हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं भारत के बाहर के प्रस्ताव तुरंत ले सकता हूं।"
भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री के कोचिग स्टाफ में सिर्फ एक तब्दीली हुई है और उसमें बांगर को बाहर जाना पड़ा है। पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी को हालांकि इस बात का मलाल नहीं है, बल्कि वह अपने कार्यकाल पर गर्व कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "निराश होना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, जो कुछ दिनों तक रहती है। लेकिन मुझे लगता है कि बीसीसीआई, डंकन फ्लैचर, अनिल कुंबले और रवि शास्त्री ने मुझे भारत की सेवा करने के लिए पांच साल दिए।"
उन्होंने कहा, "2014 के बाद से टीम ने जो प्रगति की है और खुशी के साथ टेस्ट में नंबर-1 बनी, वह भी तीन साल तक लगातार। हमने इस दौरान 52 टेस्ट खेले और 30 में जीत हासिल की, जिसमें से 13 जीत विदेशों में हासिल की गई थी। हम वनडे में भी बाकी देशों में जीते। सिर्फ एक चीज जो नहीं हो पाई वह है विश्व कप।"
बांगर को हटाने की पीछे की वजह नंबर-4 के लिए ठोस विकल्प न ढूंढ़ना बताई गई थी।
उन्होंने कहा, "पूरा टीम प्रबंधन और चयनकर्ता नंबर-4 को लेकर लिए गए फैसलों में हिस्सेदार थे। चुनाव मौजूदा फॉर्म, फिटनेस पर होना था।"
बांगर के समय में ही विराट कोहली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े बल्लेबाज बनकर उभरे। रोहित शर्मा और शिखर धवन के रूप में भारत को मजबूत सलामी जोड़ी मिली और टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा भी टीम की मजबूत कड़ी बने। हालांकि इसी दौरान लोकेश राहुल, मुरली विजय और अजिंक्य रहाणे के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी चिंता का विषय रही।
बांगर ने कहा, "रहाणे बीते 18 महीनों में कई बार 50 को 100 में नहीं बदल पाए। उन्होंने जोहान्सबर्ग, नॉटिंघम और एडिलेड में मिली जीतों में सहयोग दिया। मैं उनके लिए खुश हूं कि वह वेस्टइंडीज में अंतत: तीन अंकों में पहुंचने में सफल हो सके।"
उन्होंने कहा, "जहां तक विजय की बात है, जब एक खिलाड़ी सिर्फ एक प्रारूप खेलता है तो उसके सामने अचानक से लय हासिस करने की चुनौती होती है वो भी अगर आप विदेशों में सलामी बल्लेबाजी करते हो तो और मुश्किल होता है।"