2008 के ट्राई-सीरीज में भारत की जीत के हीरो रहे इस गेंदबाज ने कहा, बल्लेबाजों के पैर की चाल देखकर करते थे गेंदबाजी

Updated: Sun, Nov 22 2020 21:10 IST
Commonwealth Bank Series

भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने 2008 में आस्ट्रेलिया में खेली गई त्रिकोणीय सीरीज में भारत को जीत दिलाने में अहम रोल निभाया था। इस गेंदबाज ने कहा है कि वह बल्लेबाज के पैर और शारीरिक भाषा को देखकर ही उसे परख लेते थे।

भारत को सीरीज जीतने के लिए तीन में से दो फाइनल जीतने थे। पहला मैच उसने जीत लिया था। दूसरे मैच में सचिन तेंदुलकर की शानदार 91 रनों की पारी के दम पर उसने आस्ट्रेलिया के सामने 258 रनों का लक्ष्य रखा था। आस्ट्रेलिया के खिलाफ जिस तरह की बल्लेबाजी लाइन अप थी उसे देखते हुए यह लक्ष्य कम था।

प्रवीण ने इस मैच में आस्ट्रेलिया के मुख्य बल्लेबाजों- एडम गिलक्रिस्ट, रिकी पोंटिंग और माइकल क्लार्क के विकेट लिए थे। वहां से भारतीय टीम कभी वापसी नहीं कर सकी और भारत ने नौ रनों से मैच अपने नाम किया।

प्रवीण ने आईएएनएस से कहा, "मैं आपसे यह कह सकता हूं कि मैं बल्लेबाज के पैर और शारीरिक भाषा से उसको परख सकता हूं। उस समय (ब्रिस्बेन 2008) मैं बस उस कला को दर्शा रहा था जो मेरे पास थी।"

प्रवीण ने उस मैच में 46 रन देकर चार विकेट लिए थे जिसके कारण वह मैन ऑफ द मैच भी चुने गए।

प्रवीण ने कहा कि उन्होंने सपोर्ट स्टाफ की मदद से बल्लेबाजों को लेकर होमवर्क किया था।

उन्होंने महानतम बल्लेबाजों में से एक और आस्ट्रेलिया के उस समय के विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट के खिलाफ बनाई गई रणनीति के बारे में कहा, "गिलक्रिस्ट पैदल था ऊपर वाली गेंद पर। पोंटिंग के बारे में कहते थे कि वह अच्छा पुल मारता है। इसलिए मैंने कहा इसको पुल पर ही निकालना है।"

उन्होंने कहा, "जो एक इंसान की ताकत होती है वो उसकी कमजोरी भी होती है। मैंने छोटी गेंदें फेंकी, उन्होंने पुल की और शॉर्ट मिड ऑन पर कैच हो गया। मैंने पोंटिंग को तीन बार आउट किया। एक बार नागपुर में, वहां उसे पता था कि गेंद पैड पर पड़ी तो आउट है। यह बल्लेबाज को जानने की बात होती है। आप बल्लेबाज को उसके खेलने के तरीके से जान सकते हो। आपको उसके लिए दिमाग की जरूरत है। पोंटिंग के मामले में मैंने सोचा कि मैं शॉर्ट गेंद का इस्तेमाल करता हूं।"

प्रवीण हालांकि क्लार्क को आउट करने में भाग्यशाली साबित हुए थे।

उन्होंने कहा, "मैंने गेंद दबाई (बाउंस कराने की कोशिश) और वो बैठ गई (नीची रह गई)। मैं वहां थोड़ा भाग्यशाली रहा। पिच ने मुझे इसमें मदद की। लेकिन मैंने जिस तरह से गिलक्रिस्ट को आउट किया उस पर मुझे गर्व है। जब गेंदबाज अपने हाथ और दिमाग का इस्तेमाल करता है, वह सोकर उठने के बाद भी गेंदबाजी कर सकता है। आप स्वाभाविक तौर पर गुडलैंग्थ गेंद पर ही गेंदबाजी करोगे। भगवान की कृपा से मैंने इतना अभ्यास किया था कि अगर मैं सोकर भी आऊंगा तो गेंदबाजी कर सकता था।"

उस रात गाबा में प्रवीण ने भारत को अपनी कला और योग्यता से इतिहास रचने में मदद की थी।

TAGS

संबंधित क्रिकेट समाचार ::

सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें