18 मिनट की फोन कॉल ने बदल दी नीतिश राणा की ज़िंदगी, सुनिए कौन था वो शख्स
भारतीय क्रिकेट टीम में जगह पक्की करना आधुनिक क्रिकेट की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया है लेकिन एक समय था जब नीतिश राणा के पास अपनी जगह पक्की करने का मौका था लेकिन वो उन्हें दिए गए मौकों को भुना नहीं पाए। राणा को 2021 में श्रीलंका के व्हाइट-बॉल दौरे के दौरान भारत के लिए पदार्पण करने का मौका दिया गया था। राणा ने उस दौरे पर दो टी-20 और एक वनडे मैच खेला था और कुल 22 रन ही बनाए थे।
इस खराब प्रदर्शन के बाद, उन्हें राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया और उसके बाद से वो वापसी की राह तलाश रहे हैं। टीम इंडिया से बाहर होने के तीन साल बाद राणा ने अपने दिल का दर्द बयां किया है और बताया कि कैसे दिल्ली में उनके साथी और उस समय तक एक स्थापित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर ऋषभ पंत ने उन्हें आत्मविश्वास हासिल करने में किस प्रकार मदद की।
राणा ने BeerBiceps पर पॉडकास्टर रणवीर अल्लाहबादिया को दिए इंटरव्यू में कहा, "मुझे श्रीलंका दौरे के लिए चुना गया था। ये मेरे लिए बहुत खराब सीरीज़ थी। क्रिकेट जगत में सिर्फ़ एक व्यक्ति (ऋषभ पंत) था जिसने उसके बाद मुझे फ़ोन किया। हमने 18 मिनट तक बात की। उस फ़ोन कॉल ने मेरी ज़िंदगी बदल दी। जब आप वहां पहुंचते हैं जहां आप पहुंचना चाहते थे और फिर आप असफल हो जाते हैं, तो वो एहसास अलग होता है। कोई भी असफल नहीं होना चाहता।"
आगे बोलते हुए राणा ने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। मैंने खुद से कहा कि अगर मेरा चयन ही न होता तो बेहतर होता। ऋषभ ने मुझसे कहा, 'जब से तुमने पहली बार बल्ला उठाया था, तब से ये जर्सी पहनना तुम्हारा सपना था और तुमने ऐसा किया। तुम जानते हो कि तुमने क्या किया, लेकिन यहां से तुम अपने जीवन को कैसे देखते हो, ये तुम पर निर्भर करता है। तुम या तो गिर सकते हो या फिर मेहनत करके फिर से उठ सकते हो। मैं तुम्हें ये नहीं बताऊंगा, न ही मैं इस बारे में फिर कभी बोलूंगा।"
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राणा ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, "जब आप असफल होते हैं, तो आप अपनी प्रतिभा और क्षमता पर संदेह करने लगते हैं। मेरे साथ भी ऐसा हुआ। मैं खुद पर बहुत संदेह कर रहा था। मुझे लगने लगा था कि क्या मैं इसके लायक नहीं था? लेकिन ऋषभ ने मेरी शंकाओं को दूर करने में मेरी मदद की। हम क्रिकेट के बारे में बात नहीं करते हैं, लेकिन जब भी करते हैं, तो एक-दूसरे को आगे बढ़ाने के बारे में बात करते हैं और इसे ही दोस्ती कहते हैं।"