मुशीर खान को कार दुर्घटना में गर्दन और हाथ-पैरों में चोटें आईं; शेष सत्र से बाहर रहने की संभावना (लीड)
भारत के बल्लेबाज सरफराज खान के भाई मुशीर के साथ कार में उनके पिता और कोच नौशान खान भी थे और दुर्घटना में नौशान खान को भी मामूली चोटें आईं। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के एक सूत्र ने कहा कि कार तेज गति से अनियंत्रित हो गई और सड़क पर कई बार पलट गई।
डॉक्टर स्कैन रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, ताकि यह पुष्टि हो सके कि उनकी गर्दन में फ्रैक्चर हुआ है या नहीं और यह कितना गंभीर है।
एमसीए सूत्र ने आईएएनएस को बताया, "मुशीर संभवतः इस सत्र से बाहर रहेंगे। लखनऊ से आजमगढ़ जाते समय हुई तेज रफ्तार दुर्घटना में उनकी फॉर्च्यूनर कार कई बार पलट गई थी, जिससे उनकी गर्दन और अंगों में चोट आई है। उन्हें अस्पताल में भर्ती होने के बाद तीन महीने आराम करना होगा। उसके बाद उन्हें पुनर्वास से गुजरना होगा, जिसका मतलब है कि वे छह से सात महीने बाद ही खेल पाएंगे। मुशीर का फिलहाल लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा है।"
मुशीर, जो अपने पिता के साथ आजमगढ़ में प्रशिक्षण ले रहे थे, 1 अक्टूबर से अटल बिहारी वाजपेयी एकाना क्रिकेट स्टेडियम में शेष भारत के खिलाफ होने वाले ईरानी कप मैच के लिए लखनऊ में अपने साथियों के साथ शामिल होने वाले थे।
एमसीए के अधिकारी मुशीर के दलीप ट्रॉफी मैचों के समापन के बाद आजमगढ़ में प्रशिक्षण लेने और मुंबई में अपनी घरेलू टीम के साथ नहीं जुड़ने के फैसले से भी नाखुश हैं।
मुशीर ने आखिरी बार दलीप ट्रॉफी में इंडिया बी के लिए खेला था, इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु में इंडिया ए के खिलाफ टूर्नामेंट में पदार्पण किया था। उन्होंने अपने डेब्यू मैच में 181 रन बनाए, लेकिन टूर्नामेंट के बाकी मैचों में वे ऐसा कमाल नहीं कर पाए।
2024 अंडर-19 विश्व कप में भारत के सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक मुशीर ने फरवरी में रणजी ट्रॉफी में दमदार वापसी की। करीब दो साल बाद मुंबई के लिए अपने पहले मैच में उन्होंने अपना पहला प्रथम श्रेणी दोहरा शतक लगाया और बाद में विदर्भ के खिलाफ रणजी फाइनल में दूसरी पारी में शतक जड़कर मुंबई को रिकॉर्ड 42वां रणजी खिताब दिलाने में मदद की।
मुशीर ने नौ प्रथम श्रेणी मैचों में 50 से अधिक की औसत से 716 रन बनाए हैं, जिसमें उनके नाम तीन शतक और एक अर्धशतक शामिल है।
2024 अंडर-19 विश्व कप में भारत के सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक मुशीर ने फरवरी में रणजी ट्रॉफी में दमदार वापसी की। करीब दो साल बाद मुंबई के लिए अपने पहले मैच में उन्होंने अपना पहला प्रथम श्रेणी दोहरा शतक लगाया और बाद में विदर्भ के खिलाफ रणजी फाइनल में दूसरी पारी में शतक जड़कर मुंबई को रिकॉर्ड 42वां रणजी खिताब दिलाने में मदद की।
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Article Source: IANS