डब्ल्यूटीसी फाइनल : दक्षिण अफ्रीका में 'इरादे की कमी' के चलते ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी- हेडन
टेम्बा बावुमा की टीम ने टॉस जीतकर मौजूदा चैंपियन के खिलाफ पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। प्रोटियाज तेज गेंदबाजों ने मौके का पूरा फायदा उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 212 रन पर ढेर कर दिया। तेज गेंदबाज कगिसो रबाडा ने 15.4 ओवर में 5-51 के आंकड़े के साथ वापसी की, जबकि मार्को जानसेन ने तीन विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी।
हालांकि, दक्षिण अफ्रीका के लिए चीजें अलग नहीं थीं क्योंकि मिशेल स्टार्क ने दो शीर्ष क्रम के विकेट लिए और साथी तेज गेंदबाज पैट कमिंस और जोश हेजलवुड के साथ मिलकर दक्षिण अफ्रीका को 43 रन पर चार विकेट पर रोक दिया, जिससे वह 169 रन से पीछे रह गए।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ओपनिंग बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने जियोस्टार पर कहा, "मुझे पूरी तरह यकीन नहीं है कि यह दिन ऑस्ट्रेलिया का था। दक्षिण अफ्रीका ने पहला सत्र जीता और अंतिम सत्र में ऑस्ट्रेलिया ने वापसी की। आधे दिन बादल छाए रहे और आधे दिन धूप खिली रही। बल्लेबाजी आसान होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे लगता है शायद यह खेल 80 प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में है। ऐसा मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका की इच्छाशक्ति की कमी के कारण है। इसकी शुरुआत टेम्बा बावुमा से हुई।"
आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक कप्तान के तौर पर यह सिर्फ गेंदबाजी में बदलाव की बात नहीं है, यह बल्ले से लय तय करने की भी बात है। उन्होंने कम जोश दिखाया और तीन विश्वस्तरीय तेज गेंदबाजों का सामना करते समय यह खतरनाक है, खासकर तब जब गेंदबाजी के लिए अनुकूल परिस्थितियां हों। उन्हें दूसरे दिन ज्यादा इरादे के साथ उतरना होगा। यहां तक कि दिन के आखिर में लगाए गए कुछ बाउंड्री भी मददगार साबित होंगे। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो ऑस्ट्रेलिया दूसरे दिन मजबूत दावेदार के तौर पर उतरेगा। हेडन ने कहा कि यह साफ तौर पर ऑस्ट्रेलिया का दिन था और ऑस्ट्रेलिया मजबूत स्थिति में है।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ओपनिंग बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने जियोस्टार पर कहा, "मुझे पूरी तरह यकीन नहीं है कि यह दिन ऑस्ट्रेलिया का था। दक्षिण अफ्रीका ने पहला सत्र जीता और अंतिम सत्र में ऑस्ट्रेलिया ने वापसी की। आधे दिन बादल छाए रहे और आधे दिन धूप खिली रही। बल्लेबाजी आसान होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे लगता है शायद यह खेल 80 प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में है। ऐसा मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका की इच्छाशक्ति की कमी के कारण है। इसकी शुरुआत टेम्बा बावुमा से हुई।"
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Article Source: IANS