जब इरफान पठान ने अब्दुल समद को बल्लेबाजी करते देखा तो पूछा था यह सवाल, SRH ऑलराउंडर ने सुनाया दिलचस्प किस्सा

Updated: Sun, Nov 15 2020 10:10 IST
Sunrisers Hyderabad all rounder Abdul Samad says Irfan Pathan instilled in him the confidence to pla (Irfan Pathan on Abdul Samad)

सनराइजर्स हैदराबाद के युवा ऑलराउंडर अब्दुल समद (Abdul Samad) ने आईपीएल सीजन 13 में अपने खेल से सभी को प्रभावित किया है। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू के दौरान अब्दुल समद ने अपनी लाइफ से जुड़ा किस्सा शेयर किया है और बताया है कि कैसे पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान (Irfan Pathan) की सलाह ने उनकी मदद की है।

अब्दुल समद ने कहा कि, '2017-18 में मैंने अंडर -19 एक दिवसीय मैच खेला, लेकिन कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सका और मुझे टीम से बाहर कर दिया गया। मुझे वास्तव में बुरा लगा कि मुझे अंडर -19 टीम में नहीं चुना गया और अगले साल मैंने और अधिक अभ्यास करना शुरू कर दिया था। मैंने जो भी जूनियर क्रिकेट खेला है उसमें मेरा प्रदर्शन हमेशा औसत रहा।'

समद ने आगे कहा, 'मैंने कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया था क्योंकि मैं मैच के दौरान हमेशा बड़े शॉट के लिए जाता था। मैं प्रत्येक गेंद को हिट करने की कोशिश करता था। ऐसे में मेरा स्ट्राइक रेट तो अच्छा था, लेकिन मैं ज्यादा रन नहीं बना सका। अंडर -19 एक दिवसीय मैच खेलने के बाद जब हम घर वापस आए, तो वहां एक कैंप लगा था, जहां इरफ़ान भाई आए थे। इरफान भाई ने मुझे बल्लेबाजी करते हुए देखा, और उन्होंने पूछा कि मैं बड़े रन क्यों नहीं बना पा रहा हूं? मैंने उनसे कहा कि मुझमें थोड़ा धैर्य की कमी है।'

अब्दुल समद ने कहा, 'इरफान भाई ने तब मुझसे कहा था कि मुझे बड़े शॉट खेलना चाहिए लेकिन थोड़ा चुनिंदा तरीके से। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं बड़े स्कोर की तरफ देखता हूं और ऐसा करने में कामयाब होता हूं, तो मैं एक दिन भारत के लिए खेलने में सक्षम हो जाउंगा। इरफान भाई की यह सलाह मेरे काफी काम आई।'

माता पिता ने किया काफी सपोर्ट: अब्दुल समद ने बताया कि, 'जब मैंने आठ साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। मैं अपने इलाके और गलियों में खेला करता था, और हम सुबह विकेट कवर करते थे। जो भी विकेट पर पहुंचता पहले उस विकेट पर खेलता था। मेरे पिता भी अपने समय के दौरान एक खिलाड़ी रहे हैं। वह एक राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी थे। मेरी मां ने भी मेरा साथ दिया, लेकिन वह मुझे क्रिकेट से ज्यादा पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहती थीं। लेकिन मेरे पिताजी ऐसा नहीं कहते थे वह मुझे उस चीज को करने के लिए कहते था जो मुझे पसंद है।'

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