क्या 2020 में भी दर्शकों को 'लुभाने' में सफल होगा टेस्ट क्रिकेट?

Updated: Thu, Jan 02 2020 16:09 IST
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नई दिल्ली, 2 जनवरी| केपटाउन में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका तथा सिडनी में आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के बीच खेले जाने वाले मैचों के साथ 2020 में टेस्ट क्रिकेट का आगाज होने जा रहा है। हर नए साल के साथ एक बड़ा सवाल लोगों के जेहन में आता है और वह यह है कि फटाफट क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के बीच क्या टेस्ट क्रिकेट लोगों को लुभाते रहने में सफल हो पाएगा?

टेस्ट क्रिकेट को असल प्रारूप माना जाता है। क्रिकेट को चाहने वाले आज भी टेस्ट मैच देखना पसंद करते हैं। फटाफट क्रिकेट, खासतौर पर टी-20 की बढ़ती लोकप्रियता ने टेस्ट क्रिकेट पर एक लिहाज से ग्रहण लगा दिया है। लोगों को स्टेडियम तक लाना मुश्किल हो गया है। तमाम क्रिकेट बोर्ड इसे लेकर संघर्ष करते दिख रहे हैं लेकिन जहां तक मनोरंजन और परिणाम की बात है तो हर गुजरते साल के साथ टेस्ट क्रिकेट बेहतर होता जा रहा है।

आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच मेलबर्न में खेले गए बॉक्सिंग डे टेस्ट के पहले दिन 80 हजार से अधिक दर्शकों ने एमसीजी का रुख किया। इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी दर्शकों की संख्या में कोई कमी नहीं रहती, लेकिन भारत में हालात हमेशा चिंताजनक बने रहते हैं। यही देखते हुए भारत ने नवंबर में अपना पहला डे-नाइट टेस्ट खेला, जिसमें रिकार्ड संख्या में दर्शक ईडन गार्डन्स स्टेडियम पहुंचे।

2019 टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से काफी सफल रहा है। इस साल कुल 39 टेस्ट मैच खेले गए। इनमें से 35 के परिणाम आए। सबसे खास बात यह है कि बीते साल 11 मैचों में टीमों ने पारी के अंतर से जीत हासिल की। इनमें से सबसे अधिक चार पारी के अंतर की जीत भारत ने नाम रहीं। बेशक साल की शुरुआत सिडनी में भारत और आस्ट्रेलिया के बीच ड्रॉ से हुई थी लेकिन साल का समापन सेंचुरियन में इंग्लैंड पर दक्षिण अफ्रीका की 107 रनों की जीत के साथ हुआ।

यह अलग बात है कि 2019 में 2018 की तुलना में नौ टेस्ट कम हुए। साल 2018 में कुल 48 टेस्ट मैच खेले गए थे। उस साल भी 43 मैचों के परिणाम आए थे। इनमें से कुल 9 मैचों के परिणाम पारी के अंतर से आए थे। भारत की बात करें तो भारतीय टीम ने 2018 में कुल 14 टेस्ट मैच खेले थे, जिनमें से सात में उसे जीत मिली थी। इसी तरह भारत ने 2019 में कुल 8 मैच खेले और सात में जीत हासिल की।

3-7 जनवरी, 2019 तक सिडनी में आस्ट्रेलिया के साथ हुए टेस्ट मैच को छोड़ दिया जाए तो भारत ने इसके बाद वेस्टइंडीज को उसके घर में 2 मैचों की सीरीज में 2-0 से हराया और फिर अपने घर में दक्षिण अफ्रीका को तीन मैचों की सीरीज में 3-0 से धोया। इस सीरीज में भारत ने दो मैचों में पारी के अंतर से जीत हासिल की। इसके बाद भारत ने बांग्लादेश को दो मैचों की सीरीज में 2-0 से हराया। इस सीरीज के दोनों मैच भारत ने पारी के अंतर से जीते। भारत में होने वाले अधिकांश मैचों के परिणाम तीन दिनों में आ गए थे।

इसमें कोई शक नहीं कि टेस्ट क्रिकेट का मिजाज बदल गया है। बीते एक दशक में जितने टेस्ट मैचों के परिणाम आए हैं, उतने परिणाम बीते 30 सालों में नहीं आए थे। टेस्ट क्रिकेट रिजल्ट ओरिएंटेड हुआ है लेकिन फटाफट क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता ने इसकी इस बदलती छवि को लोगों से दूर रखा है। यही कारण है कि लोग अब टी-20 क्रिकेट को अधिक पसंद करने लगे हैं।

कारण साफ है। लोग पांच दिनों तक मैच देखना पसंद नहीं करते। इन्हीं सब कारणों से आईसीसी ने अब टेस्ट मैचों को चार दिनों का करने को लेकर माहौल बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि कई टीमों का मानना है कि बेशक भारत में तीन दिनों में परिणाम आ जाते हैं लेकिन कई ऐसे देश हैं, जहां पांचवें दिन ही परिणाम आ पाते हैं और अगर टेस्ट मैचों को चार दिनों का कर दिया गया तो एशेज सीरीज के किसी भी मैच का परिणाम नहीं आ सकेगा।

ग्लैन मैक्ग्रा सहित क्रिकेट के कई दिग्गजों ने भी इस आइडिया का विरोध किया है। ऐसे में आईसीसी के पास पिंक बॉल क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता। और होना भी चाहिए। किसी फॉरमेट के पारंपरिक रूप से छेड़छाड़ करने की जगह पिंक बॉल क्रिकेट बेहतर ऑब्शन हो सकता है। भारत में कोलकाता में खेले गए पहले पिंक बॉल टेस्ट को लोगों ने काफी पसंद किया। आस्ट्रेलिया में यह पहले से ही पसंद किया जा रहा है। अभी कई देश हैं, जहां इसका डेब्यू नहीं हुआ है।

इन सब बातों के बीच यह सवाल काफी अहम है कि क्या फटाफट क्रिकेट की बढ़ती प्रतिस्पर्धा और समय के साथ बदलाव की मांग के बीच टेस्ट क्रिकेट अपने स्वरूप और मनोरंजन के अंश को बरकरार रख पाएगा? बीते साल के रिकार्ड को देखते हुए मनोरंजन के अंश के बरकरार रहने की पूरी उम्मीद है। जहां तक स्वरूप में बदलाव की बात है तो इसे पांच दिनों का ही रहने दिया जाए तो बेहतर होगा क्योंकि इसी रूप में इसकी असल पहचान है।

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