कमजोर आंखों के कारण सेलेक्टर्स करते थे रिजेक्ट, 'कॉन्टैक्ट-लेंस' पहनकर बनाया MP को चैंपियन

Updated: Tue, Jun 28 2022 16:31 IST
yash dubey ranji trophy

रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के इतिहास में इस बार गजब हो गया। मध्य प्रदेश पहली बार चैंपियन बनी और इस चैंपियन टीम के हीरो के रूप में सामने आए यश दुबे। मुंबई के खिलाफ फाइनल मुकाबले में यश दुबे ने बेहतरीन 133 रनों की पारी खेली। इसके अलावा यश दुबे मध्य प्रदेश के लिए इस सीजन दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। यश दुबे का नाम धूमिल ना पड़ जाए इसलिए आप लोगों को ये आर्टिकल जरूर पढ़ना चाहिए।

यश दुबे का नाम इस वक्त मध्य प्रदेश के सेलेक्टर्स के जुबान पर है और वो उनकी तारीफों के पूल बांध रहे हैं। लेकिन, शुरुआत से यश दुबे के साथ ऐसा नहीं था उनकी लाइफ में एक वक्त ऐसा भी था जब सेलेक्टर्स उनको सेलेक्ट करने से कतराते थे। उनको सेलेक्ट ना करने के पीछे की वजह उनकी कमजोर आंखें थीं।

दरअसल, यश दुबे चश्मा लगाते थे इसके साथ ही उनको बचपन में तमाम तरीकों की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था। यश दुबे के बचपन के कोच शैलेश शुक्ला ने न्यू इंडियन एक्सप्रैस के साथ बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत की थी।

शैलेश शुक्ला ने कहा था, 'जब वो आठ या 9 साल का था तब उसने भोपाल में मेरी क्रिकेट अकैडमी जॉइन की थी। कुछ साल बाद उनको पढ़ने में दिक्कतें हो रही थी जिसके बाद एक आंखों के डॉक्टर ने उनको चश्मा पहनने को कहा था। आंखों की रोशनी बल्लेबाज की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है इसलिए सेलेक्टर्स उनको सेलेक्ट करने से कतराने लगे।'

शैलेश शुक्ला ने आगे कहा, 'सेलेक्टर्स को समझाना मुश्किल था। ये चीजें काफी लंबे टाइम तक उन्हें परेशान करती रही। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मेहनत करना जारी रखा। जैसे-जैसे वो एक क्रिकेटर के रूप में आगे बढ़े तब उन्होंने कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करना शुरू कर दिया।'

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बता दें कि रणजी ट्रॉफी के इस सीजन में यश दुबे के बल्ले से 10 पारियों में 76.75 की औसत से 614 रन निकले। 2018 में फर्स्ट क्लास डेब्यू करने वाले इस बल्लेबाज ने अब तक कुल 22 फर्स्ट क्लास मैच खेले जिसमें उन्होंने 1473 रन बनाए।

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